जब कलेक्टर मैडम ने मरे हुए पति को टपरी पर बर्तन धोते देखा? फिर…

“कलेक्टर पूजा और उसका मरा हुआ पति”

कलेक्टर पूजा नागपुर शहर में हुई एक बड़ी चोरी का केस सुलझा रही थी। सुबह से शाम हो गई थी, थकान भी हद से ज्यादा हो चुकी थी। पूजा ने अपने ड्राइवर से कहा, “चलो, कहीं आसपास अच्छी कड़क चाय मिलती हो, वहां ले चलो। आज एक चाय पीने के बाद ही सारा थकान उतरेगा।”

ड्राइवर बोला, “मैडम, यहां से कुछ ही दूरी पर एक फेमस चाय की टपरी है, जहां पर बहुत अच्छी चाय मिलती है।” पूजा और ड्राइवर दोनों वहां पहुंचे। शाम का समय था, टपरी पर भीड़ लगी थी। ड्राइवर ने कहा, “मैडम, आप कार में बैठिए, मैं चाय लेकर आता हूं।” लेकिन पूजा बोली, “नहीं, मैं बाहर खड़ी होकर चाय पीना चाहती हूं, खुली हवा में।”

पूजा ने टपरी वाले से दो कड़क चाय मांगी। पांच मिनट बाद ही एक आदमी दो चाय लेकर आया। पूजा और ड्राइवर दोनों ने चाय का खूब आनंद उठाया। जैसी चाय चाहिए थी, वैसी ही मिली। चाय पीने के बाद पूजा ने अपना झूठा गिलास टपरी के पास रखने के लिए गई, जहां एक आदमी बैठा-बैठा चाय के गिलास धो रहा था।

पूजा की आदत थी कि वह अपना झूठा बर्तन खुद धोती थी। उसने उस आदमी से पानी मांगा, उसने जग भरकर दे दिया। पूजा ने अपना गिलास खुद धोया और वहीं रख दिया। वह आदमी पूजा को देखने लगा और बोला, “मैडम, आपने गिलास धोने का कष्ट क्यों किया?”

जैसे ही पूजा ने उस आदमी का चेहरा देखा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। वह बर्तन धोने वाला कोई और नहीं, बल्कि पूजा का मरा हुआ पति विशाल था, जो 15 साल पहले मर चुका था। पूजा को समझ नहीं आ रहा था कि जो आदमी मर चुका था, वह जिंदा कैसे मिल सकता है? और वह भी एक बर्तन धोने वाले के रूप में!

पूजा ने कांपती आवाज में पूछा, “विशाल, तुम जिंदा हो? तुम कैसे जिंदा हो सकते हो? तुम तो मर चुके थे!”
आदमी बोला, “कौन विशाल? मैं विशाल नहीं हूं, आप मुझे ऐसे क्यों बोल रही हैं?”
पूजा ने अपना फोन निकाला, शादी की फोटो दिखाई और बोली, “यह देखो, यही मेरे पति विशाल हैं।”
आदमी फोटो देखता रह गया। पूजा ने कहा, “मेरे पति की पीठ पर लोहे की रड से चोट का निशान था, टांके लगे थे। तुम अपनी पीठ दिखाओ।”
आदमी सकपका गया, लेकिन शर्ट के बटन खोलकर पीठ दिखाई। वही निशान थे। पूजा की आंखों में आंसू आ गए। वह समझ गई थी कि यह उसका विशाल है।

पूजा ने पूछा, “विशाल, आखिर तुम इतने साल कहां थे? मुझे पहचान क्यों नहीं पा रहे हो?”
विशाल की आंखों में भी आंसू आ गए। उसने कहा, “मेरा एक छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था। जब तुमने कहा कि तुम्हें कलेक्टर बनना है, लेकिन मेरे माता-पिता के कारण तुम आगे नहीं बढ़ पा रही थी, तो मेरे दिमाग में बस एक ही बात थी – कैसे तुम्हें कलेक्टर बनाऊं?
तुम मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी, इसलिए मैंने अपनी कार को खाई में गिरा दिया, ताकि सबको लगे कि मैं मर गया हूं। फिर मैं महाराष्ट्र आ गया और यहां छोटे-मोटे काम करने लगा। कुछ समय बाद मुझे पता चला कि तुम दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रही हो। मैं हमेशा तुम्हारी खबर रखता रहा। जब तुम कलेक्टर बनी तो मैं बहुत खुश हुआ। मैं चाहता था कि तुमसे मिलूं, लेकिन शर्मिंदा था कि तुम्हें छोड़कर गया। मैंने यह सब सिर्फ तुम्हारे लिए किया ताकि तुम कलेक्टर बन सको। अगर मैं यह नाटक नहीं करता तो तुम कलेक्टर नहीं बन पाती।”

यह सुनकर पूजा फूट-फूट कर रोने लगी। एक पति ने अपनी मौत का नाटक किया ताकि उसकी पत्नी का सपना पूरा हो सके। पूजा ने कहा, “जो हुआ सो हुआ। इन 15 सालों में भले मैं कलेक्टर बन गई हूं, लेकिन मेरी जिंदगी का खालीपन कभी नहीं भर पाया। मैंने तुम्हारे अलावा किसी को अपनी जिंदगी में नहीं आने दिया। लेकिन अब तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे।”

इस तरह कलेक्टर पूजा और विशाल, इतने सालों बाद फिर से एक हो गए। एक मरा हुआ पति, एक बर्तन धोने वाले के रूप में मिला, लेकिन उनकी मोहब्बत ने फिर से उन्हें मिला दिया।

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