जिसे सब सफाई कर्मचारी समझ रहे थे, वो निकला करोड़ों की कंपनी का मालिक! क्या…

दानिश रायजादा, एक ऐसा नाम जो सुनते ही बड़े-बड़े बिजनेस मैन कांपते हैं। आज वह दुबई से अपने प्राइवेट हेलीकॉप्टर में मुंबई लौट रहा था। लेकिन दानिश ने अपने मैनेजर से साफ कह दिया था, “मैं एक अमीर आदमी नहीं, बल्कि एक झाड़ू लगाने वाला बनकर जाऊंगा।” यह सुनकर सभी लोग हैरान रह गए। आखिर ऐसा क्या राज है कि दानिश रायजादा को अपनी ही कंपनी में झाड़ू लगानी पड़ी? आइए, इस कहानी को विस्तार से समझते हैं।

मुंबई की ओर यात्रा

रायजादा टॉवर की भव्य इमारत के सामने एक पुरानी बस से एक दुबला-पतला आदमी उतरा। उसके कपड़ों पर धूल थी और हाथ में एक छोटा सा कपड़े का थैला। यह दानिश था। उसने ऊंची इमारत को देखा, जिसके हर शीशे में आसमान का टुकड़ा चमक रहा था। कल तक यह इमारत उसकी मिल्कियत थी, लेकिन आज वह यहां एक अदना सा कर्मचारी था।

गेट पर गार्ड ने उसे रोक लिया। “ऐ किधर? यह आम रास्ता नहीं है।” दानिश ने घबराते हुए कहा, “जी, वो सफाई का काम मिला है। आज पहला दिन है।” गार्ड ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और रजिस्टर में उसका नाम लिखने के बाद उसे अंदर जाने दिया। लेकिन उसकी आंखों में तिरस्कार साफ झलक रहा था।

कर्मचारी की जिंदगी

अंदर का नजारा बिल्कुल अलग था। सेंटेड एयर कंडीशनर की ठंडी हवा, पॉलिश किए हुए फर्श पर जूतों की टकटक और हर तरफ स्मार्ट और आत्मविश्वास से भरे लोग। दानिश को एचआर डिपार्टमेंट में भेजा गया, जहां उसे एक झाड़ू और सफाई का सामान थमा दिया गया। जैसे ही उसने अपने काम की शुरुआत की, वह सबके ध्यान का केंद्र बन गया।

कॉरिडोर में झाड़ू लगाते हुए उसके कानों में फुसफुसाहटें पड़ने लगीं। “देखो तो जरा इसे कहां से उठा लाए हैं? बिल्कुल देहाती लग रहा है।” एक लड़की ने अपनी सहेली से कहा। “शक्ल तो देखो। लगता है पहली बार लिफ्ट देखी है,” दूसरी ने हंसते हुए जवाब दिया। दानिश चुपचाप सब सुनता रहा। उसका खून खौल रहा था, लेकिन उसने अपने चेहरे पर घबराहट और भोलेपन बनाए रखा।

यह वही लोग थे जिनके सैलरी स्लिप पर उसके हस्ताक्षर होते थे। आज वे ही उसका मजाक उड़ा रहे थे। उसे एहसास हुआ कि लोग इंसान को नहीं, उसके पद और कपड़ों को सम्मान देते हैं।

कायरा का आगमन

ऑफिस में अभी सुबह के 10 ही बजे थे, लेकिन माहौल में एक अजीब सी शांति थी। तभी पार्किंग एरिया से एक लग्जरी BMW के इंजन की गहरी गड़गड़ाहट सुनाई दी। उस आवाज में एक संदेश छिपा था – “रानी आ चुकी है।” कंपनी के शीशे वाले दरवाजे खुले और अंदर कदम रखा कायरा ने। महंगी साड़ी, चेहरे पर ब्रांडेड मेकअप और चाल में एक ऐसा अहंकार जो कह रहा था कि यह जगह उसकी है।

उसके आते ही जैसे हवा रुक गई। जो लोग हंस बोल रहे थे, वे अचानक अपने लैपटॉप में ऐसे डूब गए जैसे बरसों से कोई जरूरी काम कर रहे हों। कायरा की नजर सीधे दानिश पर पड़ी, जो एक कोने में झाड़ू लगा रहा था। उसका खूबसूरत चेहरा पल भर में घृणा से भर गया।

अपमान का सामना

कायरा की आवाज किसी चाबुक की तरह पूरे हॉल में गूंजी। “यह कौन है और यह यहां क्या कर रहा है?” सभी कर्मचारी चुप थे। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कुछ बोले। कायरा फिर चिल्लाई, “गार्ड्स, तुम लोग क्या सो रहे हो? कोई भी मुंह उठाकर कंपनी में घुस आता है और तुम्हें पता भी नहीं चलता यह अछूत आदमी कौन है?”

अछूत शब्द दानिश के सीने में किसी खंजर की तरह लगा। उसने आज तक अपनी जिंदगी में ऐसा अपमान महसूस नहीं किया था। एक गार्ड दौड़ता हुआ आया और कांपती हुई आवाज में बोला, “मैम, यह नया सफाई कर्मचारी है। आज ही आया है।” यह सुनकर कायरा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

वह दानिश के पास आई और उसे ऐसे देखा जैसे वह कोई कीड़ा हो। “किसकी सिफारिश लगाई है तूने 5,000 की नौकरी के लिए? और तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी इजाजत के बिना इस ऑफिस में घुसने की?” उसके चेहरे पर पद का घमंड साफ झलक रहा था।

एक नई सोच

दानिश ने मन ही मन तय कर लिया कि वह इस खेल के हर नियम को समझेगा। वह जानता था कि कायरा का अहंकार सिर्फ कर्मचारियों को दबाने तक सीमित नहीं था। यह कंपनी की जड़ों को भी खोखला कर रहा था। दानिश ने चुपचाप अपने काम में लग गया। लेकिन उसका दिमाग अब शांत नहीं था।

उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी खांसते हुए पानी के कैंपर की तरफ बढ़ रहा था। वह आदमी बहुत कमजोर और बीमार लग रहा था। उसके चेहरे की झुर्रियाओं में सिर्फ उम्र का नहीं बल्कि जिंदगी की कठिनाइयों का सबूत था। उसने कांपते हाथों से गिलास में पानी भरा और एक ट्रे में रखकर हर डेस्क पर पानी देने लगा। कोई भी कर्मचारी उसकी तरफ देख तक नहीं रहा था जैसे वह कोई अदृश्य इंसान हो।

रामफल की कहानी

दानिश ने बहाने से अपनी झाड़ू उसी तरफ घुमाई और उस बूढ़े आदमी के पास पहुंच गया। “अंकल, आपकी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। इस उम्र में आपको आराम करना चाहिए।” यह सुनते ही बूढ़े आदमी की आंखों से आंसू बह निकले। “बेटा, आराम किस्मत वालों को मिलता है। मेरा नाम रामफल है। मैंने इसी कंपनी से अपनी पत्नी के इलाज के लिए लोन लिया था। उसकी हालत बहुत खराब थी।”

रामफल ने आगे कहा, “मैंने जैसे तैसे कंपनी के पैसों से अपनी पत्नी का इलाज तो करवा लिया, लेकिन अब मेरे पास लोन चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। मैंने कायरा मैडम से ब्याज थोड़ा कम करने की गुहार लगाई थी। तो उन्होंने मुझे जलील करते हुए कहा, ‘तुम जैसे गरीबों की अगर कर्ज चुकाने की औकात नहीं है तो लेते ही क्यों हो?’”