तलाकशुदा पत्नी चौराहे पर भीख मांग रही थी… फार्च्यूनर कार से जा रहे पति ने जब देखा… फिर जो हुआ…

कानपुर शहर का बालकृष्ण चौराहा हमेशा की तरह भीड़भाड़ से भरा था। ट्रैफिक जाम, हॉर्न की आवाज़ें और धूल-मिट्टी से घिरा वह इलाका रोज़ाना हजारों लोगों को रोकता और आगे बढ़ाता था। लेकिन उस दिन की शाम ने न सिर्फ़ चौराहे पर फंसे लोगों को बल्कि पूरे शहर को हिला देने वाली एक सच्ची घटना को जन्म दिया।

एक काली Fortuner कार जाम में फंसी खड़ी थी। उसके अंदर बैठे थे अशोक शर्मा, कानपुर के एक जाने-माने कारोबारी। दिल के बेहद दयालु और संवेदनशील इंसान। वे दिल्ली किसी ज़रूरी काम से जा रहे थे, लेकिन ट्रैफिक ने उन्हें वहीं रोक दिया।

खिड़की के बाहर से कुछ औरतें, मैले-कुचैले कपड़ों में, हाथ फैलाए उनकी ओर बढ़ीं। अशोक ने पर्स से नोट निकाले और उन्हें मदद के तौर पर पैसे दे दिए। तभी अचानक, उनकी कार की खिड़की पर किसी ने ज़ोर से दस्तक दी।

बाबूजी, मुझे तो आपने कुछ दिया ही नहीं…

अशोक ने खिड़की नीचे की। सामने खड़ी महिला की आँखें खाली थीं, चेहरा थका हुआ और शरीर पर गंदगी से लथपथ कपड़े। लेकिन जैसे ही अशोक ने उसकी शक्ल गौर से देखी—उनका दिल दहल गया।

वह कोई और नहीं, बल्कि उनकी तलाकशुदा पत्नी पूनम थी।


तीन साल पहले टूटा रिश्ता

अशोक और पूनम की शादी बड़े धूमधाम से हुई थी। पूनम अच्छे घराने से आई थी। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन कुछ ही सालों में हालात बदल गए। पूनम के घरवालों—खासतौर पर उसके जीजा और भाई—की लालच ने उसकी ज़िंदगी उलट दी।

उन्होंने पूनम को समझाया कि अशोक की संपत्ति अपार है, वह इकलौता बेटा है, इसलिए तलाक लेकर भारी मुआवज़ा लो।

नासमझ पूनम, मायके वालों के दबाव में, कोर्ट में अशोक पर ₹40 लाख का हर्ज़ाना ठोक देती है। अशोक, टूटे दिल से, वह रकम चुका देते हैं। और दोनों का रिश्ता कानूनी और सामाजिक रूप से खत्म हो जाता है।

लेकिन तलाक के बाद पूनम की ज़िंदगी बेहतर नहीं हुई—बल्कि रसातल में चली गई। मायके वालों ने उसका पैसा हड़प लिया। भाई ने उसे घर से निकाल दिया। जीजा ने भी पल्ला झाड़ लिया। और आखिरकार, बेघर, बेसहारा पूनम सड़क पर आ गई। मजबूरी ने उसे भिखारिन बना दिया।


चौराहे पर टकराव

जब उस दिन चौराहे पर अशोक ने अपनी पूर्व पत्नी को देखा, उनका दिल बैठ गया। वह वही पूनम थी, जो कभी उनके घर की बहू थी, जिसकी मुस्कान पर पूरा घर खिल उठता था।

पूनम…! तुम यहाँ इस हाल में?” – अशोक की आवाज़ भर्रा गई।

पूनम भी पहचान गई। आँसू बहते हुए बोली –
“हाँ अशोक… किस्मत ने मुझे यहीं ला खड़ा किया। जो घर मैंने खुद अपने हाथों से उजाड़ा, आज उसी के टुकड़े बिखेरते-बिखेरते मैं यहाँ तक पहुँच गई।”

अशोक ने उसे अपनी कार में बैठाया। आसपास के लोग हैरान थे कि एक करोड़पति कारोबारी, एक भिखारिन को क्यों गाड़ी में बिठा रहा है। भीड़ ने शक भी किया कि कहीं वह औरत को जबरन तो नहीं ले जा रहा। लेकिन पूनम ने सबके सामने कहा—
“ये मेरे पति हैं… मेरा कोई अपहरण नहीं हो रहा। मैं खुद इनके साथ जा रही हूँ।”


बीते कल की सच्चाई

अशोक ने पूनम को पास के होटल में ले जाकर स्नान और नए कपड़े दिलाए। वह फिर से एक इंसान जैसी लगने लगी, उसकी आँखों में पुरानी चमक लौट आई।

बाद में, जब दोनों अकेले बैठे, पूनम ने पूरी सच्चाई बयां की। कैसे उसके जीजा और भाई ने लालच में आकर उसे बहकाया, तलाक दिलवाया और फिर उसके सारे पैसे हड़प लिए।

“अशोक, मैंने कभी तुम्हें छोड़ना नहीं चाहा था। मैंने गलती की… लेकिन वह मेरी गलती नहीं थी, मेरे परिवार का लालच था। आज भी मैं तुम्हें उतना ही चाहती हूँ जितना हमारी शादी के पहले दिन।” – पूनम फूट-फूट कर रो पड़ी।

अशोक की आँखों से भी आँसू गिर पड़े। लेकिन दिल के कोने में अब भी तलाक का बोझ था।
“पूनम, सबकुछ खत्म हो चुका है। हम कानूनी तौर पर, सामाजिक तौर पर अलग हो चुके हैं। मैं तुम्हें वापस अपने साथ नहीं रख सकता।”

यह कहते हुए उन्होंने उसे मासिक खर्च के लिए पैसे देने की पेशकश की। लेकिन पूनम ने उसके पैर पकड़ लिए।


मां का निर्णय

अशोक का दिल टूटा हुआ था। उन्होंने फोन उठाया और अपनी माँ को कॉल लगाया।

“माँ… पूनम मिल गई है…”

फोन की दूसरी तरफ खामोशी थी, फिर बूढ़ी माँ की आवाज़ कांपते हुए आई –
“बेटा, तुरंत उसे घर ले आओ। मैं अपनी बहू को फिर से देखना चाहती हूँ।”

अशोक की माँ हमेशा पूनम से बेहद स्नेह करती थीं। उनके लिए तलाक कभी सच नहीं था।


वापसी

जैसे ही कार घर पहुँची, माँ दरवाज़े पर आरती की थाल लिए खड़ी थीं। उन्होंने पूनम को गले से लगाया और कहा—
“अगर सुबह का भूला शाम को घर लौट आए, तो उसे भूला नहीं कहते।”

अशोक हक्का-बक्का रह गए।
“माँ, यही पूनम है जिसने कोर्ट में मुझसे ₹40 लाख का जुर्माना लिया था… क्या इसे फिर से इस घर में रखना सही होगा?”

माँ मुस्कुराई—
“बेटा, इंसान गलतियों से सीखता है। अगर वह पछताकर वापस आई है तो उसे गले लगा लो। यही असली रिश्तेदारी है।”


नई शुरुआत

उस पल, अशोक का दिल पिघल गया। उन्होंने पूनम को माफ कर दिया। और दोनों ने फिर से अपनी ज़िंदगी की नई शुरुआत की।

चौराहे पर भीख माँगने वाली महिला अब फिर से एक घर की बहू, एक पत्नी और एक माँ की प्यारी बन चुकी थी।


सीख

यह कहानी सिर्फ़ एक पति-पत्नी की नहीं, बल्कि रिश्तों की असली कीमत की कहानी है।

पैसा रिश्तों को कभी नहीं जोड़ सकता। पूनम ने लालच के दबाव में आकर अपना घर उजाड़ा, लेकिन अंततः समझ गई कि धन अस्थायी है, प्यार और विश्वास ही स्थायी हैं।

लालच सबसे बड़ा दुश्मन है। मायके वालों की हवस ने पूनम की पूरी ज़िंदगी तबाह कर दी।

माफी और दूसरा मौका सबसे बड़ा उपहार है। अगर इंसान अपनी गलती समझ कर लौट आए, तो उसे अपनाना ही सबसे बड़ी इंसानियत है।

अशोक करोड़पति थे, लेकिन उनकी असली अमीरी उनके दिल में थी। उन्होंने साबित कर दिया कि असली महानता दौलत में नहीं, बल्कि टूटे रिश्तों को जोड़ने और इंसानियत को जिंदा रखने में है।