बेटा विदेश से लौटा तो मां-बाप रोड के किनारे भीख मांग रहे थे बेटे ने देखा फिर जो हुआ

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आकाश चार साल बाद विदेश से अपने गांव लौटता है। उसने विदेश में कड़ी मेहनत की थी और अपने माता-पिता के लिए एक सुखद जीवन की उम्मीदें संजोई थीं। वह टैक्सी में बैठा, अपने माता-पिता से मिलने की खुशी में खोया हुआ था। उसके मन में खुशी थी कि वह अपने परिवार को देखकर उन्हें खुश कर देगा।

जैसे ही टैक्सी शहर से बाहर निकली, ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी। “साहब, मुझे थोड़ी देर का काम है। अगर आपको जल्दी नहीं है, तो मैं इसे कर लूं?” आकाश ने हामी भर दी। वह टैक्सी में बैठा, अपने माता-पिता के बारे में सोचने लगा। अचानक उसकी नजर मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों पर पड़ी। उनमें से एक बुजुर्ग व्यक्ति उसके पिता की तरह दिख रहा था।

आकाश ने ध्यान से देखा और उसे पहचान लिया। वह उसके पिता मोहन सिंह थे। यह देखकर उसके होश उड़ गए। उसने तुरंत टैक्सी से बाहर निकलकर अपने पिता की ओर बढ़ा। जैसे ही वह अपने पिता के पास पहुंचा, उसकी आंखों में आंसू आ गए। “पिताजी, आप यहां किस हाल में हैं? आप भीख क्यों मांग रहे हैं?”

मोहन सिंह ने सिर उठाया और अपने बेटे को देखा। उनकी आंखों में आंसू थे। “बेटा, यह सब तुम्हारी पत्नी रोशनी की वजह से हुआ है। उसने हमें घर से निकाल दिया है। हम दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।”

आकाश को विश्वास नहीं हुआ। उसकी पत्नी ने तो कहा था कि उसके माता-पिता गांव में हैं। वह सोचने लगा, “यह कैसे हो सकता है?” उसके पिता ने पूरी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे रोशनी ने उन्हें परेशान किया और घर से निकाल दिया।

आकाश के दिल में गुस्सा और दुख दोनों थे। उसने अपने पिता का हाथ पकड़कर कहा, “पिताजी, मैं आपको और मां को वापस ले जाऊंगा। आपको अब और परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।” वह अपने पिता को लेकर उस झुग्गी में गया, जहां उसकी मां मीना देवी भी थी।

जब आकाश ने अपनी मां को देखा, तो उसकी आंखों में फिर से आंसू आ गए। उसने अपनी मां को गले लगाते हुए कहा, “मां, मुझे माफ कर दो। मैंने अपनी पत्नी पर अंधा विश्वास किया।”

आकाश ने अपने माता-पिता को टैक्सी में बिठाया और एक होटल में ले जाकर उन्हें अच्छे से खाना खिलाया। वह अब अपनी पत्नी से बात करना चाहता था। उसने सोचा कि उसे रोशनी को सबक सिखाना होगा।

जब वह घर पहुंचा, तो रोशनी अपनी मां के साथ टीवी देख रही थी। उसने रोशनी से कहा, “चलो, हमें पिताजी और माताजी के पास चलना है।” लेकिन रोशनी ने बहाना बनाया, “अभी आराम करो। फिर चलेंगे।”

आकाश को गुस्सा आ रहा था, लेकिन उसने अपने गुस्से को काबू में रखा। उसने अपनी सास से पूछा, “आप यहां क्या कर रही हैं?” उसकी सास ने कहा, “बेटा, मुझे परेशान किया गया है। मैं यहां आ गई।”

आकाश ने कहा, “आपने सही किया। कोई भी बुजुर्गों को परेशान नहीं कर सकता।” यह सुनकर रोशनी का चेहरा सफेद हो गया। आकाश ने अपनी पत्नी से कहा, “मैं तुम्हें शॉपिंग पर ले जाना चाहता हूं। तुम अपनी मां को भी ले चलो।”

आकाश ने रोशनी और उसकी मां को मार्केट में छोड़ दिया और खुद होटल चला गया। वहां उसने अपने माता-पिता से कहा, “मैंने सब कुछ जान लिया है। अब मैं तुम्हें बताना चाहता हूं कि जब कोई अपना धोखा देता है, तो कैसा महसूस होता है।”

आकाश ने अपनी पत्नी से कहा, “मैं तुम्हें तलाक देने वाला हूं। तुमने मेरे माता-पिता के साथ जो किया, उसके लिए मैं तुम्हें माफ नहीं कर सकता।” रोशनी रोने लगी और माफी मांगने लगी, लेकिन आकाश ने उसे अनसुना कर दिया।

आखिरकार, आकाश ने अपने माता-पिता के साथ एक नया जीवन शुरू किया। उन्होंने एक छोटा सा घर खरीदा और खुशी-खुशी रहने लगे। आकाश ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और अपने माता-पिता के साथ एक सुखद जीवन बिताने का निर्णय लिया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि हमें अपने परिवार की कद्र करनी चाहिए और कभी भी किसी पर अंधा विश्वास नहीं करना चाहिए। परिवार का प्यार और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण होता है, और हमें हमेशा अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए।