मनीषा के साथ उस दिन क्या हुआ था, पूरी साजिश का पर्दाफाश! Haryana Bhiwani Manisha Murder Case

हरियाणा के भिवानी जिले में एक मासूम लड़की, मनीषा, की कहानी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। मनीषा, जो केवल 19 वर्ष की थी, एक गरीब परिवार से आती थी और उसका सपना था कि वह एक नर्सिंग ऑफिसर बने। वह अपने छोटे से प्ले स्कूल में शिक्षक के रूप में काम करती थी और अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाना चाहती थी। लेकिन 11 अगस्त 2023 का दिन उसके जीवन का आखिरी दिन बन गया।

उस दिन की शुरुआत

मनीषा के साथ उस दिन क्या हुआ था, पूरी साजिश का पर्दाफाश! Haryana Bhiwani Manisha Murder Case

पिता ने CCTV फुटेज दिखाने की मांग की, लेकिन गार्ड ने कहा कि स्टाफ नहीं है, इसलिए फुटेज नहीं दिखा सकते। निराश होकर, उन्होंने पुलिस को बुलाया, लेकिन पुलिस ने केवल औपचारिकता निभाई और चली

रात 9 बजे, मनीषा के पिता थाने पहुंचे और अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने कहा, “आपकी बेटी 19 साल की है, वह कहीं भी जा सकती है।” यह सुनकर पिता रो पड़े और हाथ जोड़कर बोले, “मेरी बेटी ऐसा नहीं कर सकती।” लेकिन पुलिस ने उनकी सुनने से इंकार कर दिया।

अगले दिन, मनीषा का परिवार और गांव के लोग हर जगह उसकी तलाश में निकले, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंततः, जब ग्रामीणों की भीड़ थाने पर इकट्ठा हुई, तब जाकर पुलिस ने मजबूरी में FIR दर्ज की। लेकिन फिर भी, ना कॉलेज का CCTV देखा गया, ना मोबाइल लोकेशन ट्रेस की गई।

एक दर्दनाक खोज

13 अगस्त की सुबह, मनीषा के पिता को थाने की एएसआई शकुंतला का फोन आया। उसने कहा, “सिंघानी में आकर देख लो।” परिवार दौड़ते हुए वहां पहुंचा, लेकिन जो दृश्य उन्होंने देखा, वह उनकी कल्पना से परे था। मनीषा की लाश मिली थी। यह खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई और हर कोई आक्रोशित हो गया।

गांव वाले सड़कें जाम करने लगे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। उन्होंने मांग की कि दोषियों को फांसी दी जाए। जब मामला बढ़ने लगा, तो प्रशासन हरकत में आया।

पोस्टमार्टम की रिपोर्ट

भिवानी के सिविल हॉस्पिटल में मनीषा के शव का पोस्टमार्टम हुआ। रिपोर्ट में कहा गया कि मनीषा के कपड़ों पर संघर्ष के निशान थे, लेकिन दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। इस रिपोर्ट ने परिवार को और भी गुस्से में डाल दिया, क्योंकि उन्होंने देखा कि रिपोर्ट झूठी और मनगढ़ंत थी।

परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस असली अपराधियों को बचा रही है। मनीषा की मां बेहोश हो गईं, और पिता का बुरा हाल था। भाई बार-बार पुलिस से भिड़ता रहा, कहता रहा, “अगर तुमने पहले ही कार्रवाई की होती, तो मेरी बहन जिंदा होती।”

जन आक्रोश

गांव के लोग एकजुट होकर धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि जब तक दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। सरकार ने मामला CID को सौंपने का फैसला किया, लेकिन परिवार ने कहा कि उन्हें CBI जांच चाहिए।

मीडिया में यह खबर तेजी से फैल गई, और सोशल मीडिया पर “जस्टिस फॉर मनीषा” ट्रेंड करने लगा। लोग सवाल करने लगे कि आखिर कब तक बेटियां ऐसी दरिंदगी का शिकार होती रहेंगी?

गुप्त सूचना और नए मोड़

इसी बीच, गांव में गुप्त सूचना आई कि मनीषा को आखिरी बार कुछ युवकों के साथ देखा गया था, जिनमें से दो मेडिकल लाइन से जुड़े थे। जब पुलिस ने उन युवकों को हिरासत में लिया, तो उनके नाम और पहचान उजागर नहीं की गई।

परिवार ने कहा कि यह सब दिखावा है और असली अपराधियों को बचाने के लिए पुलिस छोटे-मोटे लोगों को पकड़ कर केस कमजोर कर रही है।

सीबीआई जांच

आखिरकार, सरकार ने CBI जांच की सिफारिश की। CBI की टीम ने गांव पहुंचकर मामले की जांच शुरू की। उन्होंने पहले से हिरासत में लिए गए युवकों से पूछताछ की, और कई राज खोले।

जांच में पता चला कि मनीषा का अपहरण एक बड़े गैंग द्वारा किया गया था, जो मासूम लड़कियों को फंसाकर उनका शोषण करता था। CBI ने कई डॉक्टरों, व्यापारियों और राजनीतिक लोगों को गिरफ्तार किया, जो इस गिरोह में शामिल थे।

न्याय की उम्मीद

गांव के लोग अब भी न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं। मनीषा की मां हर रोज अपनी बेटी की तस्वीर को सीने से लगाकर यही कहती हैं कि “मेरी बच्ची को न्याय मिले, तभी उसकी आत्मा को शांति मिलेगी।”

इस मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह केवल मनीषा की कहानी नहीं है, बल्कि हर बेटी के लिए एक मिसाल है। यदि दोषियों को फांसी की सजा दी जाती है, तो यह सभी बेटियों के लिए एक संदेश होगा कि वे सुरक्षित हैं।

निष्कर्ष

मनीषा की कहानी ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम अपनी बेटियों को सुरक्षित रख पा रहे हैं? क्या हम समाज में इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए ठोस कदम उठा रहे हैं? यह एक दर्दनाक सच्चाई है, लेकिन हमें मिलकर इसे बदलना होगा।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए और समाज में बदलाव लाने के लिए एकजुट होना चाहिए। मनीषा की याद हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी, और हम उसके लिए न्याय की लड़ाई जारी रखेंगे।