Ban biyahi 3 behnein kaise haamla ho gain | In bachon ka baap unka baap bhi tha aur unka maamu bhi

यह कहानी है एक गरीब बेवा माँ, हलीमा की, जो अपनी तीन बेटियों के साथ एक छोटे से कच्चे घर में रहती थी। हलीमा का पति कई साल पहले गुजर गया था। उसके बाद, उसने मेहनत-मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। हलीमा की बेटियाँ खूबसूरत, शर्मीली और इज्जतदार थीं। वे कभी अकेले बाहर नहीं जाती थीं और हमेशा अपने सिर पर दुपट्टा रखती थीं।

एक दिन, हलीमा की सबसे बड़ी बेटी, फातिमा, की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसे चक्कर आने लगे और उल्टियाँ होने लगीं। हलीमा उसे डॉक्टर के पास ले गई, जहाँ डॉक्टर ने कहा, “आपकी बेटी उम्मीद से है।” यह सुनकर हलीमा के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसकी बेटी अभी तक बिन ब्याही थी। हलीमा ने अपनी बेटी को डांटा, लेकिन फातिमा ने कहा, “अम्मी, मैंने कभी किसी को देखा भी नहीं। मुझे विश्वास करें।” हलीमा को अपनी बेटी की बात पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसकी आँखों में सच्चाई थी।

कुछ दिनों बाद, हलीमा की दूसरी बेटी, सारा, भी उसी हाल में निकली। हलीमा का दिल टूट गया। उसने सोचा, “यह सब कैसे हो रहा है?” जब सारा ने भी यही कहा, “मुझे कुछ नहीं पता,” तो हलीमा की स्थिति और भी खराब हो गई। अब उसकी तीसरी बेटी, नूर, की तबीयत भी बिगड़ने लगी। हलीमा ने सोचा कि यह सब एक बुरा सपना है, लेकिन हकीकत ने उसे हिलाकर रख दिया।

हलीमा ने हिम्मत जुटाई और सुल्तानबाद के बादशाह के दरबार में जाकर अपनी कहानी सुनाने का निर्णय लिया। दरबार में हलीमा का चेहरा आंसुओं से भरा हुआ था। उसने बादशाह से कहा, “बादशाह सलामत, मुझे इंसाफ चाहिए। मेरी बेटियों की इज्जत लूट ली गई है। मैं जानना चाहती हूँ कि यह दरिंदा कौन है।”

बादशाह ने उसकी बातों को ध्यान से सुना और कहा, “यह सिर्फ तुम्हारा मामला नहीं है, यह मेरी सल्तनत का मामला है। मैं इसे हल करूंगा।”

बादशाह ने अपने वजीर को बुलाया और उसे आदेश दिया कि वह उस दरिंदे को पकड़ने के लिए एक योजना बनाएं। वजीर ने एक कुत्ता लाने का सुझाव दिया, जो दरवाजे के पास बंधा रहेगा। जब वह दरिंदा आएगा, तो कुत्ता भौंकेगा और सिपाही उसे पकड़ लेंगे।

रात के समय, हलीमा के घर की छत पर एक साया दिखा। वह दरिंदा दबे पांव अंदर आया, लेकिन जैसे ही कुत्ता भौंका, हलीमा और उसकी बेटियाँ जाग गईं। सिपाही दौड़कर अंदर आए और दरिंदे को पकड़ लिया। जब उन्होंने उसका नकाब हटाया, तो हलीमा की आँखों में हैरानी और गुस्सा था। वह दरिंदा कोई और नहीं, बल्कि उसका सौतेला बेटा कामरान था।

#### विश्वास का टूटना

कामरान, जो कभी हलीमा का प्यारा बेटा था, अब उनकी बेटियों का दुश्मन बन गया था। हलीमा ने गुस्से में कहा, “तूने यह क्या किया? तूने अपनी बहनों के साथ ऐसा क्यों किया?” कामरान ने कांपते हुए कहा, “मैंने अपनी हवस के लिए यह सब किया।”

#### न्याय का फैसला

बादशाह ने कामरान को सजा देने का आदेश दिया। उसने तलवार उठाई और कहा, “तुम्हें अपनी हरकतों की सजा मिलेगी।” कामरान का सिर एक झटके में धड़ से अलग हो गया। दरबार में सन्नाटा छा गया। हलीमा की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने अपने बच्चों के लिए न्याय पाया था।

#### नई शुरुआत

बादशाह ने हलीमा को आश्वासन दिया कि उसकी बेटियों को खुशियाँ दी जाएंगी। उसने तीन इज्जतदार नौजवानों का चुनाव किया और हलीमा की बेटियों की शादी करवाई। हलीमा ने बादशाह का धन्यवाद किया और कहा, “आपने मेरी बेटियों को नया जीवन दिया है।”

#### अंत में

इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि कभी-कभी हमारे अपने ही हमें धोखा दे सकते हैं। हमें हमेशा सच बोलने और इंसाफ की तलाश करने का साहस रखना चाहिए। हलीमा ने अपने बच्चों के लिए जो संघर्ष किया, वह सभी माताओं के लिए प्रेरणा है। हमें हर हाल में अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए और कभी भी चुप नहीं रहना चाहिए।