Ek Saanp Ne Maa Ke Dudh Ka Karz Kaise Nibhaya? Islamic story in Hindi Urdu
शाम का गमगीन वक्त था। पेड़ों के सायों में एक बूढ़ी मां, जिसका चेहरा समय की धूल में छिपा हुआ था, फटे-पुराने कपड़ों में बैठी थी। उसकी आँखों में आंसू थे, और एक आंख नहीं थी, दूसरी से धुंधला दृश्य देख रही थी। यह वही माँ थी जिसने अपने बेटे को अपने खून और पसीने से पाला था। आज वही बेटा उसे दर-ब-दर भटकने पर मजबूर कर दिया था।
उसकी आँखों में बस एक ही ख्वाब था—अपने बेटे को खुश देखना। लेकिन उस बेटे की बेरुखी ने उसे तोड़ दिया था। मजबूरन, वह एक पेड़ के नीचे सहमी बैठी थी, हाथ में दूध की एक छोटी बोतल थी, जो एक राहगीर ने दया करके उसे दी थी। भूख से बेहाल, उसने ढक्कन खोला और घूंट भरने की कोशिश की। तभी झाड़ियों से साएं साएं की आवाज आई। उसका दिल दहल उठा।
एक सांप, लहूलुहान जख्मों से भरा, उसकी तरफ रेंग रहा था। पीछे एक योगी, बीन बजाते हुए, उसका पीछा कर रहा था। लेकिन सांप, किसी तरह जोगी के हाथ से बच निकला और सीधे बूढ़ी माँ के फटे आंचल में जा छुपा। बूढ़ी माँ की सांस अटक गई। बदन कांपने लगा। लेकिन उसी वक्त, अल्लाह के हुक्म से, सांप इंसानों की तरह बोल पड़ा, “अम्मा, डरिए मत। मैं आपको कोई नुकसान नहीं दूंगा। मेरा दुश्मन पीछे पड़ा है। मैं जख्मी हूं। मुझे पनाह दे दीजिए।”
बूढ़ी माँ हैरान थी। सांप बोल रहा था! उसका दिल पसीज गया। आंसू छलक पड़े। कांपते हाथों से उसने उसे अपने दुपट्टे में छुपा लिया। योगी पास आया और पूछा, “ए बुढ़िया, यहां से कोई सांप गुजरा है?” माँ कांपती आवाज में बोली, “नहीं बेटा, मैंने किसी सांप को नहीं देखा।” योगी दूसरे रास्ते मुड़ गया। सांप बाहर निकला और बोला, “अम्मा, आपने मेरी जान बचाई है। मैं जिंदगी भर आपका एहसान नहीं भूलूंगा। लेकिन आप क्यों रो रही हैं? मुझे बताइए, मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूं?”
यह सुनकर बूढ़ी माँ की आँखों से आंसू बह निकले। उसने दर्द भरी आवाज में कहा, “बेटा, अगर सुनना चाहते हो तो दिल मजबूत कर लो। मेरी कहानी बहुत दर्दनाक है।” उसने कांपते लफ्जों में अपना गम बयान करना शुरू किया।
“मेरे पेट में बच्चा था कि मेरे शौहर इस दुनिया से चले गए। ससुराल वालों ने धक्के मारकर मुझे घर से निकाल दिया। तन्हाई और मजबूरी में मैं दर-बदर भटकती रही। फिर गांव के एक रईस ने रहम खाकर मुझे अपने घर काम पर रख लिया और सर छुपाने को मिट्टी का एक छोटा सा मकान दे दिया। दिन गुजरते गए और एक दिन अल्लाह ने मुझे बेटे जैसी औलाद से नवाजा। वह मेरा दिल का टुकड़ा था। लेकिन तकदीर का फैसला कुछ और था।”
“एक दिन, जब मैं अपने नन्हे बेटे के साथ काम से लौट रही थी, अचानक तूफानी आंधी चली और एक पेड़ मेरे लाल पर गिर पड़ा। उसकी मासूम आँख बर्बाद हो गई। उस वक्त मेरा कलेजा चीर गया। मैंने सोचा कि जब मेरा बेटा बड़ा होगा, तो लोग उसे कान्हा कहकर ताना देंगे। मैं यह जल्लत बर्दाश्त नहीं कर सकती। मैंने दौड़कर उसे डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर ने कहा कि आँख की रोशनी हमेशा के लिए जा चुकी है। लेकिन अगर पैसे हों तो नई आँख लग सकती है। मैंने कांपते होठों से कहा, ‘डॉक्टर साहब, मेरे पास दो आँखें हैं। एक निकाल कर मेरे बेटे को लगा दीजिए। मैं अंधेरी जिंदगी गुजार लूंगी।’”
“डॉक्टर ने कहा, ‘आप पहले ही बहुत कमजोर हैं। एक आँख निकालना आपके लिए जानलेवा साबित हो सकता है।’ लेकिन माँ का दिल किसी तर्क को नहीं मानता। मैंने जिद की, गिड़गिड़ाई और कहा, ‘डॉक्टर साहब, मेरी जान ले लीजिए। लेकिन मेरे बेटे की आँख लौटा दीजिए।’ अंततः डॉक्टर झुक गया। मेरी आँख निकाल दी गई और मेरे बेटे को नई रोशनी मिल गई।”
“वह तंदुरुस्त हो गया और स्कूल जाने लगा। लेकिन अफसोस, मेरा बेटा मुझे एक आँख से मेहरूम देखकर मुझसे नफरत करने लगा। वह स्कूल में मुझे अपनी माँ तक मानने से इंकार करता। वह कहता, ‘जिस दिन तूने मेरे दोस्तों के सामने कह दिया कि तू मेरी माँ है, उस दिन तू मेरा मरा हुआ मुँह देखेगी।’ यह सुनकर मेरा दिल चाक हो गया।”
“जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, उसकी नफरत बढ़ती चली गई। एक दिन मुझे तेज बुखार चढ़ा। मैं काम पर नहीं जा सकी। दिल में एक ही तमन्ना थी—काश मेरा बेटा आए और मुझे दवा ला दे। लेकिन बेटा उस रात घर नहीं आया। ना अगली सुबह, ना अगले दिन। दिल की तड़प बेकरार हो गई। जब वह शाम को आया, तो हाथ में डंडा लेकर आया और मुझे इस तरह पीटा कि जिस्म पर छाले उभर आए। मैं रोते हुए गिर पड़ी और बस इतना कहा, ‘बेटा, मेरी गलती क्या है?’”
“वह गुर्राया, ‘क्यों गई थी तू मेरे दोस्तों के पास? अब सब मुझे का बेटा कहते हैं। तूने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी।’ मैंने सब्र किया, लेकिन वह मुझसे दूर होता गया। अब मेरा बेटा जवानी की दहलीज पर पहुंच चुका था। बिगड़े दोस्तों की सोबत ने उसे आवारा बना दिया।”
“एक दिन, जब मेरा बेटा घर आया, वह अकेला नहीं था। उसके साथ एक दुल्हन थी। उसने कहा, ‘यह मेरी बीवी है।’ मैं सन्न रह गई। मैंने सोचा, ‘कोई बात नहीं, अब मेरा बेटा मेरे पास तो रहेगा।’ लेकिन मुझे पता नहीं था कि आने वाली बहू बेटे से भी ज्यादा निर्दई होगी। बहू ने मुझसे घूर कर कहा, ‘क्या देख रही हो? जल्दी खाना बनाओ।’”
“मैंने सब कुछ किया, लेकिन बहू कभी खुश नहीं होती थी। एक दिन, बहू मां बनने वाली थी। बेटा मुझसे बोला, ‘मेरी बीवी का खूब ध्यान रखना।’ मैंने सिर हिलाकर कहा, ‘तू निश्चिंत रह बेटा।’ लेकिन जब बहू ने बच्चे को जन्म दिया, तो वह बच्चा अचानक गायब हो गया।”
“गांव में अफरा-तफरी मच गई। हर बार जब बहू मां बनती, बच्चा गायब हो जाता। यह सिलसिला जारी रहा। एक दिन, एक बुजुर्ग ने बहू से कहा, ‘तेरे बच्चे मरे नहीं हैं। वह सब जिंदा हैं।’”
“बूढ़ी माँ ने सांप को अपना बेटा मान लिया। सांप ने उसे कहा, ‘मैं तुम्हारे दूध का कर्ज चुकाऊंगा।’ सांप ने कहा, ‘जिस दिन तुम्हारी बहू का बच्चा पैदा होगा, उसी दिन मैं अपना पहला वार करूंगा।’”
“अंततः, जब बहू फिर से मां बनी, सांप ने अपना वार किया। उस रात, जब सब सो रहे थे, सांप ने बच्चे को उठाया और जंगल की झोपड़ी में ले गया। बूढ़ी माँ ने सांप को धन्यवाद दिया और कहा, ‘तू मेरा बेटा है।’”
यह कहानी एक माँ की है, जिसने अपने बेटे के लिए सब कुछ सहा। उसने अपने प्यार और बलिदान से एक नया जीवन पाया। इस कहानी में हमें यह सिखाया गया है कि माँ का प्यार और त्याग कभी व्यर्थ नहीं जाता।
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