Govinda With Sunita Ahuja Make First Appearance Amid Divorce On Ganesh Chaturthi WithSon Yashvardhan

गणेश चतुर्थी का पावन पर्व था, जब पूरे देश में भक्तिभाव से गणपति बप्पा की पूजा की जा रही थी। इस खास अवसर पर, गोविंदा और उनकी पत्नी सुनीता आहूजा ने अपने बेटे यशवर्धन के साथ एक विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। यह क्षण उनके लिए बेहद खास था, क्योंकि गोविंदा का करियर और परिवार दोनों ही इस समय महत्वपूर्ण मोड़ पर थे।

सुनीता ने अपने बेटे के हाथों से गणेश जी की स्थापना करवाई। उन्होंने कहा, “इस बार मेरा बेटा गणपति लेकर आया है। मैं चाहती हूं कि यशवर्धन गोविंदा की तरह नाम और इज्जत कमाए।” सुनीता का यह सपना सिर्फ एक मां का सपना नहीं था, बल्कि एक ऐसे बेटे का सपना था जो अपने पिता की तरह सफल हो सके।

गणेश जी की पूजा करते हुए गोविंदा ने कहा, “भगवान का आशीर्वाद अगर रहे, तो कोई नहीं छोड़ सकता। मैं हमेशा मां का आशीर्वाद मानता हूं।” उनकी बातें सुनकर सभी भक्तों में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उन्होंने कहा, “मां-बाप की सेवा कीजिए, यही सबसे बड़ा धर्म है।”

इस दौरान, सुनीता ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, “मैं गणेश जी की बहुत भक्त हूं। गणेश जी के आशीर्वाद से ही मेरे बेटे का करियर शुरू हो रहा है।” उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन यह आंसू खुशी के थे। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि आप सभी मेरे बेटे को वही प्यार दें जो आपने मेरे पति गोविंदा को दिया है।”

हालांकि, इस खुशी के बीच एक गहरा तनाव भी था। गोविंदा और सुनीता के बीच हाल ही में कुछ समस्याएं पैदा हुई थीं। मीडिया में उनके तलाक की चर्चा चल रही थी। लेकिन सुनीता ने अपने पति के प्रति अपनी निष्ठा को बनाए रखा। उन्होंने कहा, “हमारे बीच जो भी हो, हम हमेशा एक-दूसरे के साथ रहेंगे। हमारे प्यार में कोई दरार नहीं आ सकती।”

सुनीता ने कहा, “मैं चाहती हूं कि लोग हमारे रिश्ते को समझें। हम एक परिवार हैं, और परिवार की ताकत हमेशा एकजुटता में होती है।” उनकी बातें सुनकर वहां खड़े सभी लोग उनकी दृढ़ता और साहस की सराहना कर रहे थे।

गणेश चतुर्थी की पूजा के बाद, सुनीता ने अपने बेटे के भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगा। उन्होंने कहा, “गणपति बप्पा से मेरी यही प्रार्थना है कि मेरे बेटे को सफलता मिले और वह अपने सपनों को साकार कर सके।” इस दौरान, गोविंदा ने भी अपने बेटे को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “मेरे बेटे, तुम मेहनत करो, और भगवान तुम्हारा साथ देगा।”

सुनीता ने कहा, “गणेश जी की कृपा से हमें जो भी मिला है, उसका हम हमेशा आभार व्यक्त करेंगे।” उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर गणपति की आरती की, और सभी ने मिलकर ‘गणपति बप्पा मोरया’ का जयकारा लगाया। यह क्षण सिर्फ एक पूजा नहीं, बल्कि एक नए शुरुआत का प्रतीक था।

### एक नई शुरुआत

गणेश चतुर्थी के इस दिन ने न केवल परिवार के लिए एक नई शुरुआत की, बल्कि यह उनके रिश्ते को भी मजबूत बनाने का अवसर बना। गोविंदा और सुनीता ने एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं को फिर से जिंदा किया। सुनीता ने कहा, “हम एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। हमारे प्यार को कोई भी नहीं तोड़ सकता।”

इस दिन ने उन्हें यह सिखाया कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर परिवार एकजुट रहे, तो हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। गणेश चतुर्थी का यह पर्व उनके लिए सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा थी।

### समाज में संदेश

इस विशेष अवसर पर, सुनीता ने सभी माता-पिताओं से अपील की कि वे अपने बच्चों का समर्थन करें और उन्हें सही दिशा में मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा, “बच्चों की सफलता में माता-पिता का आशीर्वाद सबसे महत्वपूर्ण होता है। अगर हम अपने बच्चों के साथ हैं, तो वे किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।”

गणेश चतुर्थी के इस पर्व ने न केवल गोविंदा और सुनीता के परिवार को जोड़ा, बल्कि यह समाज के लिए भी एक प्रेरणा बना। सभी ने मिलकर एक-दूसरे का हाथ थामकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया।

### अंत में

गणेश चतुर्थी का यह पर्व उनके लिए एक नई शुरुआत, नए सपनों और नए आशीर्वाद का प्रतीक बन गया। गोविंदा और सुनीता ने अपने बेटे के साथ मिलकर एक नई दिशा में कदम बढ़ाया। यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि सभी परिवारों के लिए एक प्रेरणा है कि प्यार, समर्थन और आशीर्वाद से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

इस प्रकार, गणेश चतुर्थी ने न केवल एक धार्मिक पर्व के रूप में, बल्कि एक भावनात्मक और सामाजिक संदेश के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी ने मिलकर कहा, “गणपति बप्पा मोरया!” और इस आशीर्वाद के साथ, उन्होंने अपने जीवन की नई यात्रा की शुरुआत की।