IPS Officer Pooja Sharma ki Sacchi Kahani | Corrupt Police Be Naqab | Urdu Story || Old History
दिन के करीब 10 बजे थे। सड़कों पर अजीब सा सन्नाटा पसरा था। इसी सन्नाटे में एक जवान लड़की लाल रंग का सलवार सूट और पीला दुपट्टा ओढ़े धीरे-धीरे कदम बढ़ाती हुई जा रही थी। उसकी चाल में आत्मविश्वास था, मगर आंखों में चिंता साफ झलक रही थी। यह कोई आम लड़की नहीं बल्कि जिले की आईपीएस ऑफिसर पूजा शर्मा थी। मां की दवा लेने निकली पूजा ने सड़क के मोड़ पर कुछ पुलिस वालों को देखा—तीन-चार हवलदार और उनके साथ इंस्पेक्टर मल्होत्रा। सब नशे में धुत बैठे थे, बेहूदा हंसी और गंदे गाने बज रहे थे। जैसे ही मल्होत्रा की नजर पूजा पर पड़ी, उसने ठहाका लगाते हुए कहा—“ओए देखो तो, दिन-दहाड़े परी उतर आई है, चलो थोड़ा मज़ा लेते हैं।” बाकी हवलदार भी कुटिल हंसी हंसे। उन्हें अंदाजा नहीं था कि यह वही लड़की है जिसके नाम से पूरा थाना कांप उठता है।
पूजा ठिठकी, मगर अगले ही पल सीधी होकर उनकी ओर बढ़ी। उसने सख्त आवाज़ में कहा—“पुलिस होकर सड़क पर शराब पी रहे हो? सरकार ने शराबबंदी लागू की है और तुम खुद ही कानून तोड़ रहे हो। जनता से क्या उम्मीद कर सकते हो?” हवालदार एक पल को खामोश हो गए, लेकिन मल्होत्रा लड़खड़ाता हुआ खड़ा हो गया। आंखों में नशा और हवस साफ झलक रही थी। उसने बेहूदी हंसी के साथ पूजा का हाथ पकड़ने की कोशिश की। पूजा ने हाथ झटकते हुए कहा—“इज्जत दी है इसलिए चुप हूं, मगर आपकी हरकतों की रिपोर्ट दर्ज कराऊंगी।”
मल्होत्रा ठठाकर हंसा—“रिपोर्ट? पूरा थाना मेरा है। मैं ही मालिक हूं। चाहूं तो अभी तुम्हें गिरफ्तार कर लूं। समझी?” उसने जोर से पूजा का हाथ पकड़ लिया। पूजा का धैर्य टूट गया। उसने पूरे जोर से उसे थप्पड़ जड़ दिया। थप्पड़ इतना भारी था कि मल्होत्रा लड़खड़ा गया। गुस्से में बोतल उठाकर पूजा के हाथ पर दे मारी। शीशे के टुकड़े उसके हाथ में धंस गए, खून बह निकला। फिर उसने पूजा को धक्का देकर मोटरसाइकिल के पास पटक दिया। दर्द से कराहते हुए भी पूजा की आंखों में आग थी। उसने फोन उठाने की कोशिश की, लेकिन मल्होत्रा ने छीनकर फेंक दिया। माहौल अब जानलेवा हो चुका था। पूजा किसी तरह भागते हुए घर पहुंची। आंखों में गुस्सा और दिल में कसम थी—अब चुप नहीं रहूंगी।
पूरी रात वह सो नहीं सकी। सुबह होते ही उसने प्लान बनाया। अपनी सहेली रेशमा को बुलाया और पूरी बात बताई। अगले दिन रेशमा को साधारण लड़की बनाकर उसी रास्ते पर भेजा गया, जबकि पूजा दूर पेड़ के पीछे से सब रिकॉर्ड कर रही थी। जैसा अंदाजा था, वैसा ही हुआ। मल्होत्रा और उसके साथी फिर वही हरकतें करने लगे। रेशमा का हाथ पकड़ने की कोशिश की, गंदी बातें की। रेशमा ने योजना के मुताबिक हाथ झटका और भाग निकली। पूरा दृश्य मोबाइल में कैद हो चुका था।
लेकिन पूजा जानती थी कि इतने से मल्होत्रा नहीं गिरेगा। उसे और पुख्ता सबूत चाहिए थे। तीसरे दिन उसने खुद हल्की साड़ी पहनकर झाड़ियों के पीछे से रिकॉर्डिंग की। बोतलें, गालियां, बेहूदा हंसी—सब कैद हुआ। घर लौटकर वीडियो बार-बार देखते हुए उसके गुस्से में और आग भर गई। मगर वह जानती थी कि अकेली लड़ाई नहीं जीत सकती। उसने अपने मोहल्ले के बुजुर्गों और औरतों को बुलाकर वीडियो दिखाया। सबका खून खौल उठा। सबने गवाही देने की हामी भरी।
अब पूजा सीधे डीएसपी विकास सिंह के पास पहुंची। वीडियो देखकर वे दंग रह गए। “मैडम, मल्होत्रा का नाम पहले भी आया है मगर सबूत नहीं था। आपने कमाल कर दिया।” पूजा ने दृढ़ता से कहा—“मैं गवाही दूंगी। बस दबाया ना जाए।” डीएसपी ने सहमति दी और कहा—“और सबूत चाहिए होंगे, आपको सुरक्षा भी दी जाएगी।”
इस बार पूजा ने स्टिंग ऑपरेशन में मोहल्ले के दो लड़कों और एक औरत को शामिल किया। फिर वही मंजर—नशे में धुत पुलिस, गंदी बातें, जबरन हाथ पकड़ना। सब रिकॉर्ड हो गया। अब पूजा के पास वीडियो, ऑडियो और गवाह—all proof था।
अगले दिन वह एसपी संदीप चौहान से मिली। सबूत देखकर एसपी गुस्से से बोला—“यह लोग पुलिस कहलाने लायक नहीं। मैं डीएम मैडम तक ले जाता हूं।” डीएम श्रुति वर्मा ने वीडियो देखते ही कहा—“शर्मनाक! यह लोग वर्दी पर कलंक हैं। फौरन निलंबन का आदेश तैयार करो।”
अगली सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई। मीडिया, जनता, पुलिस सब मौजूद थे। पूजा ने माइक उठाकर कहा—“तीन दिन पहले मैंने देखा कि इंस्पेक्टर मल्होत्रा और उसके हवलदार खुलेआम शराब पी रहे थे और औरतों को परेशान कर रहे थे। उन्होंने मुझ पर हाथ उठाया। अगर मैं चुप रहती तो ना जाने कितनी औरतें शिकार बनतीं। इसलिए मैंने सबूत जुटाए।” फिर वीडियो चला दिए गए। स्क्रीन पर साफ दिख रहा था—नशे में धुत पुलिस और उनकी दरिंदगी।
हॉल में हंगामा मच गया। जनता चीखने लगी—“सस्पेंड करो, जेल भेजो।” मीडिया के कैमरे चमकने लगे। डीएम ने हाथ उठाकर कहा—“कानून से बड़ा कोई नहीं, चाहे इंस्पेक्टर हो या हवलदार।”
उसी वक्त खबर थाने तक पहुंची। मल्होत्रा बौखलाया—“यह सब पूजा की साजिश है। कोई मुझे सस्पेंड नहीं कर सकता।” मगर तभी डीएसपी और एसपी पुलिस फोर्स के साथ पहुंचे। “इंस्पेक्टर मल्होत्रा!” एसपी की कड़क आवाज गूंजी। मल्होत्रा चीखा—“सब झूठ है, मुझे फंसाया जा रहा है।” लेकिन सबूत सामने था। आदेश हुआ—“हथकड़ी लगाओ।”
मल्होत्रा और उसके साथी हवालदार हथकड़ियों में जकड़े गए। बाकी पुलिसकर्मी शर्म से सिर झुका लिए। मल्होत्रा ने गुस्से से पूजा की ओर देखा—“तुमने मुझे बर्बाद कर दिया।” पूजा ने शांत मगर सख्त स्वर में कहा—“नहीं मल्होत्रा, तुमने खुद को बर्बाद किया है। कानून से बड़ा कोई नहीं।”
उस दिन के बाद थाना ही नहीं, पूरा जिला बदल गया। पुलिस वालों ने सीखा कि वर्दी सिर्फ ताकत नहीं बल्कि जिम्मेदारी है। पूजा शर्मा की हिम्मत ने साबित कर दिया कि अगर इंसाफ दिल में हो तो कोई भी दरिंदा कितना भी ताकतवर क्यों ना हो, गिराया जा सकता है। यह कहानी सिर्फ एक अफसर की नहीं बल्कि हर उस औरत की है जो चुप रहने के बजाय सच्चाई की राह चुनती है।
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