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भूमिका

मुंबई का जूहू, एक आलीशान बंगला, जिसमें वर्षों से बॉलीवुड की चमक रही है। आज उसी बंगले में सन्नाटा है, क्योंकि हिन्दी सिनेमा के महानायक धर्मेंद्र सिंह देओल अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर, दूसरी पत्नी हेमा मालिनी, बेटे सनी और बॉबी, बेटियाँ ईशा और अहाना—सब अपने-अपने दुख और डर के साथ उसी घर में बैठे हैं। आज सिर्फ शोक नहीं, बल्कि एक तूफान उठने वाला है, जो हर रिश्ते को हिला देगा।

1. विरासत का सवाल: रात की शुरुआत

रात के करीब 12 बजे, बंगले की सारी बत्तियाँ जल रही थीं, लेकिन दिल बुझ चुके थे। हॉल के बीचोंबीच धर्मेंद्र साहब की तस्वीर पर फूलों की माला थी। प्रकाश कौर की आंखों में बरसों की टूटन थी, हेमा मालिनी की आंखें लाल थीं, शायद रोने या आने वाले तूफान की आशंका से। सनी दीवार को घूर रहा था, बॉबी शांत मगर कांपते हाथों के साथ बैठा था। ईशा और अहाना मां के पास थीं, मगर डर उनके चेहरे पर साफ था।

मुख्य वकील अविनाश मेहरा हाथ में पुराना लकड़ी का बक्सा और मोटी फाइल लिए अंदर आए। उनके पीछे दो गार्ड थे। सभी की नजरें उस बक्से पर टिक गईं। अविनाश बोले—”आज धर्मेंद्र जी की अंतिम इच्छा, वसीयत खोली जाएगी।” सबकी धड़कनें तेज हो गईं।

2. वसीयत का रहस्य

अविनाश ने फाइल खोली और पढ़ना शुरू किया। “मैं धर्मेंद्र सिंह देओल, अपनी संपत्ति पांच हिस्सों में बांटता हूँ—जूहू बंगला, लोनावला फार्म हाउस, पंजाब की जमीन, फिल्म प्रोडक्शन कंपनी, शेयर और कुल 2700 करोड़ की संपत्ति।”

हेमा मालिनी के साथ हुई नाइंसाफी 😔 सनी बोला यहां से जा रोते हुए वापस लौटी | Hema Malini Dharmendra

लेकिन अचानक अविनाश ने अगला वाक्य पढ़ा—”परंतु अंतिम निर्णय एक गुप्त चिट्ठी में लिखी मेरी आखिरी इच्छा के आधार पर होगा, जिसे मैंने अपने हाथों से लिखकर लकड़ी की अलमारी में बंद किया है।” सब चौंक गए। सनी ने पूछा—”कौन सी अलमारी? कहां है वो?” वकील ने ऊपर की मंजिल की ओर इशारा किया—”धर्मेंद्र जी के प्राइवेट रूम में।”

ईशा ने कहा—”अलमारी की चाबी हमारे पास है।” सनी ने रोकते हुए कहा—”कोई कहीं नहीं जाएगा। यह घर सबसे पहले हमारा है। चाबी मेरे पास होगी।” हेमा मालिनी गुस्से से बोली—”यह विरासत सिर्फ तुम्हारी नहीं सबकी है।” प्रकाश कौर ने शांत स्वर में कहा—”धर्म को मत भूलना सनी।”

3. रिश्तों में दरार

बहस तेज हो गई। सनी ने टेबल पर हाथ मारा—”घर, नाम, इज्जत सब मेरे पापा ने अपनी मेहनत से बनाया। किसी और को इसमें हिस्सा लेने का हक नहीं।” ईशा ने चीखते हुए कहा—”हम भी उन्हीं की बेटियां हैं। खून अलग होने से अधिकार अलग नहीं हो जाता।” कमरा चीख-चिल्लाहट से भर गया।

अविनाश ने कहा—”अगर आप लोग ऐसे लड़ते रहे तो वसीयत की प्रक्रिया रोकनी पड़ेगी।” लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। पूरे घर की बिजली अचानक गुल हो गई। किसी ने चीख लगाई—”ऊपर वाले कमरे की अलमारी से किसी ने ताला तोड़ दिया है।” सब सीढ़ियों की ओर दौड़े। अलमारी का ताला टूटा पड़ा था, कागज बिखरे थे, लेकिन गुप्त चिट्ठी गायब थी। सनी चिल्लाया—”यह अंदर वाला काम है। चिट्ठी किसने चुराई?”

4. शक, आरोप और पुलिस केस

बॉबी धीरे से बोला—”शायद पापा की मौत भी नेचुरल नहीं थी।” हेमा के हाथ कांपने लगे, ईशा रो पड़ी। सनी ने बॉबी की कॉलर पकड़ ली—”क्या कहना चाह रहे हो?” बॉबी बोला—”उनके कमरे में एक डॉक्टर रोज आता था। कुछ रिपोर्ट्स थी, शायद वह कोई और बात छुपा रहे थे।”

अविनाश ने कहा—”अगर यह चिट्ठी नहीं मिली तो संपत्ति फ्रीज हो जाएगी और पुलिस केस शुरू होगा।” अब यह सिर्फ विरासत की लड़ाई नहीं रह गई थी, यह बन चुकी थी शक, बदला और राज की जंग।

5. पुलिस की एंट्री, सच्चाई की तलाश

इंस्पेक्टर कबीर मल्होत्रा की एंट्री हुई। “हमें एक कंप्लेंट मिली है कि मौत संदिग्ध हो सकती है और वसीयत गायब है।” सनी चिल्लाया—”किसने की है शिकायत?” कबीर ने कहा—”शिकायत बॉबी देओल ने की थी।” घर में बम फट गया। सनी ने बॉबी की कॉलर पकड़ ली—”तूने अपने ही घर का पुलिस केस कर दिया।” बॉबी रोता हुआ बोला—”मैंने अपने पिता के लिए किया क्योंकि मुझे लगता है वह जाते-जाते कुछ कह नहीं पाए।”

कबीर ने सवाल दागा—”धर्मेंद्र जी की मौत के दिन कौन-कौन उनके कमरे में था?” हेमा बोली—”मैं आखिरी बार गई थी उनके पास।” प्रकाश बोली—”मैं भी 2 घंटे पहले गई थी।” ईशा बोली—”उन्होंने कहा था बेटा जो आने वाला है उसके लिए हिम्मत रखना।”

6. नौकरानी कविता का खुलासा

नौकरानी कविता रोते हुए अंदर आई—”मुझे सच पता है साहब। लेकिन अगर मैंने बताया तो मैं मर जाऊंगी।” कबीर ने कहा—”तुम डरो मत। पुलिस यहां है। बताओ क्या हुआ था?” कविता ने कहा—”जिस रात सर की मौत हुई, मैंने उन्हें किसी से बहस करते सुना था। किसी ने कहा था अगर तुमने वह चिट्ठी खोली तो सब खत्म कर दूंगा।”

कबीर ने पूछा—”आवाज किसकी थी?” कविता ने कांपते हुए सीढ़ियों की ओर इशारा किया—”मैंने नहीं देखा लेकिन वह आवाज घर के अंदर वाले लोगों में से किसी की थी।”

7. सीसीटीवी और गुप्त चिट्ठी का राज

पुलिस ने घर की तलाशी शुरू कर दी। सीसीटीवी फुटेज डिलीट पाया गया। कबीर चीखा—”इसे केवल घर के किसी सदस्य ने ही हटाया होगा।” वकील ने फाइल में एक और रहस्य बताया—”वसीयत में लिखा है, चिट्ठी चुराने वाला व्यक्ति विरासत से हमेशा के लिए बेदखल माना जाएगा।”

कबीर ने कहा—”मतलब जिसने चोरी की है, वह सब कुछ खो देगा। इसलिए उसके लिए यह चोरी सिर्फ लालच नहीं मजबूरी भी हो सकती है।” पूछताछ शुरू हुई—हेमा मालिनी, सनी, बॉबी, ईशा—सबने अपने-अपने बयान दिए।

8. डॉक्टर राणा और अकाउंटेंट रघुवीर का सच

दरवाजा खुला, डॉक्टर राणा आ गए। बोले—”धर्मेंद्र जी की मौत दिल का दौरा थी, लेकिन आखिरी 24 घंटे में उन पर इतना मानसिक दबाव था कि दिल रुक गया।” कबीर ने पूछा—”किसने दबाव डाला?” डॉक्टर बोले—”कोई रात के 1:00 बजे आया था, दरवाजा बंद कराया और आधे घंटे बाद निकला। उसके बाद धर्मेंद्र जी बेहोश हो गए।”

तभी सीढ़ियों पर एक परछाई दिखी—अकाउंटेंट मैनेजर रघुवीर। उसके हाथ में वही गुप्त चिट्ठी थी। रघुवीर ने कहा—”मैंने परिवार में दरार देखी, मुझे दिल का दौरा पड़ा और गिरते वक्त सिर में चोट लगी।”

9. टूटे रिश्ते और नया सवेरा

हर कोई चुप। सब समझ चुके थे—लड़ाई ने सबको मार दिया था। सूरज की रोशनी अंदर आई। धर्मेंद्र की तस्वीर के सामने सब खड़े थे। सनी ने गुलदस्ता रखकर कहा—”पापा, आज से इस घर में ना कोई बड़ा ना छोटा।” बॉबी बोला—”हम सब आपकी विरासत हैं और रहेंगे।” हेमा ने प्रकाश कौर का हाथ पकड़ लिया। ईशा और अहाना दोनों माओं के गले लग गईं।

पहली बार चारों ओर एक ही परिवार था। सभी ने एक साथ कहा—”हम वादा करते हैं इस विरासत को संभालेंगे, बांटेंगे नहीं।” कबीर मुस्कुराया। अब यह घर विरासत नहीं, परिवार कहलाएगा।

10. निष्कर्ष और सीख

धर्मेंद्र की सबसे बड़ी विरासत पैसा नहीं, ताज नहीं, बल्कि प्यार, एकता और परिवार थी। रिश्तों की जीत ही असली विरासत है। जब तक हम साथ हैं, कोई तूफान हमें तोड़ नहीं सकता।

यह कहानी हमें सिखाती है कि विरासत सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि रिश्तों का सम्मान, विश्वास और एकता है।

जय हिंद, वंदे मातरम।