रोहन और प्रिया की कहानी
शहर की गहरी रात थी। सड़कें सो चुकी थीं, लेकिन एक छोटे से घर के अंदर तूफान मचा हुआ था। प्रिया की आवाज, जो कभी रोहन के लिए संगीत थी, अब उसकी आत्मा को चीर रही थी।
“तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ नहीं है रोहन! न बड़ा घर, न महंगी गाड़ी, न वो जिंदगी जो मैं जीना चाहती हूँ। मैं अब तुम्हारे साथ एक पल भी नहीं रह सकती।”
प्रिया ने अपना सूटकेस ज़मीन पर पटका, दरवाजा खोला और अंधेरे में गुम हो गई। रोहन अकेला रह गया, अपनी बेबसी और टूटे दिल के साथ।
शुरुआत
रोहन और प्रिया की कहानी एक छोटे शहर से शुरू हुई थी। रोहन साधारण परिवार से था, पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक और माँ गृहिणी। बचपन से ही उसने मेहनत करना सीखा था। पढ़ाई में अव्वल, स्वभाव से शांत और ईमानदार।
प्रिया मध्यमवर्गीय परिवार की थी, लेकिन उसके सपने बड़े थे। उसे चमक-दमक, महंगी चीजें और आलीशान जीवन पसंद था।
जब दोनों मिले, तो एक-दूसरे की खूबियों से प्रभावित हो गए। शादी सादगी से हुई, रोहन ने वादा किया कि वह प्रिया को हर खुशी देगा।
शादी के बाद
शुरुआत में सब ठीक था। लेकिन धीरे-धीरे प्रिया को अपने दोस्तों की आलीशान जिंदगी देखने के बाद लगने लगा कि वह पीछे रह गई है।
वो रोहन से शिकायत करती, “मेरी दोस्त की नई कार है, उसका पति उसे हर जगह घुमाता है। तुम मुझे कभी कहीं ले जाते भी नहीं।”
रोहन मुस्कुरा कर कहता, “थोड़ा सब्र करो प्रिया, मैं मेहनत कर रहा हूँ। एक दिन सब कुछ मिलेगा।”
लेकिन प्रिया का सब्र टूटता जा रहा था। उसकी शिकायतें बढ़ती गईं।
“तुम्हारी ये छोटी सी नौकरी कब तक चलेगी? मुझे बड़ा घर चाहिए, बड़ी गाड़ी चाहिए। मैं कब तक इस छोटे घर में रहूँगी?”
रोहन समझाता, “हमारा घर छोटा है, लेकिन उसमें प्यार है।”
लेकिन प्रिया को ये बातें समझ नहीं आती थीं। उसे लगता था, रोहन उसकी भावनाओं को नहीं समझता।
संघर्ष और दूरी
रोहन ने प्रिया को खुश करने की पूरी कोशिश की। ओवरटाइम किया, छोटे-मोटे गिफ्ट दिए, रेस्टोरेंट में खाना खिलाया। लेकिन प्रिया को ये सब कम लगता था।
वह अक्सर ताना मारती, “तुम एक गरीब भिखारी हो। तुम मुझे खुश नहीं कर सकते।”
रोहन रात भर सो नहीं पाता, बस यही सोचता रहता कि प्रिया को कैसे खुश करे।
एक दिन प्रिया ने महंगी साड़ी की मांग की। रोहन ने अपनी सारी बचत उसे दे दी।
प्रिया खुश तो हुई, लेकिन उसकी खुशी टिकाऊ नहीं थी। धीरे-धीरे उसका व्यवहार और कठोर हो गया।
वह देर रात दोस्तों के साथ घूमती, पार्टी करती, रोहन का इंतजार नहीं करती।
रोहन टूट रहा था, लेकिन प्रिया को खोना नहीं चाहता था। उसे उम्मीद थी, वक्त सब ठीक कर देगा।
अंतिम तूफान
एक रात प्रिया ने कहा, “मुझे तलाक चाहिए। मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।”
रोहन ने समझाने की कोशिश की, “हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं, सब ठीक हो सकता है।”
प्रिया ने चिल्ला कर कहा, “तुम एक गरीब भिखारी हो। मैं अपनी जिंदगी बर्बाद नहीं कर सकती।”
प्रिया ने अपना सूटकेस उठाया, दरवाजा खोला और चली गई।
रोहन वहीं खड़ा रह गया, उसकी आंखों से आंसू बहते रहे। उसे लगा, उसकी दुनिया उजड़ गई है।
नई शुरुआत
कुछ दिन रोहन ने खुद को कमरे में बंद कर लिया। खाना-पीना छोड़ दिया।
माँ आई और कहा, “बेटा, तूने कभी हार नहीं मानी। एक लड़की के जाने से जिंदगी खत्म नहीं होती। उठो, अपनी जिंदगी को नया रास्ता दो।”
माँ के शब्दों ने रोहन को हिम्मत दी। उसने नौकरी छोड़कर खुद को मजबूत बनाने का फैसला किया।
सुबह दौड़ना, योग, किताबें पढ़ना, नए कौशल सीखना शुरू किया।
ऑनलाइन कोर्स किया, डिजिटल मार्केटिंग और वेब डेवलपमेंट सीखा।
शुरुआत में मुश्किलें आईं—पैसे नहीं थे, भूखा सोना पड़ा। लेकिन हार नहीं मानी।
धीरे-धीरे फ्रीलांस प्रोजेक्ट मिलने लगे, मेहनत से काम किया, अच्छे ग्राहक मिले।
कमाई बढ़ी, ऑफिस खोला, टीम बनाई।
कुछ ही सालों में रोहन की कंपनी देशभर में मशहूर हो गई।
वह अब करोड़पति था, आलीशान घर, महंगी गाड़ियाँ, माँ को हर खुशी दी।
प्रिया की कहानी
प्रिया ने रोहन को छोड़ने के बाद एक अमीर आदमी से शादी की।
शुरुआत में सब अच्छा लगा—बड़ा घर, गाड़ियाँ, शॉपिंग।
लेकिन उसका पति घमंडी और स्वार्थी था, प्यार नहीं करता था।
धीरे-धीरे पति ने सारा पैसा जुए और शराब में गँवा दिया।
घर बिक गया, कंपनी भी। प्रिया सड़क पर आ गई।
दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया।
अब प्रिया को रोहन की याद आने लगी—उसका प्यार, उसकी सादगी।
फिर मिलन
एक दिन प्रिया एक छोटे रेस्टोरेंट में वेटर का काम कर रही थी।
तभी वहाँ एक बड़ी गाड़ी रुकी, सूट-बूट में रोहन उतरा।
प्रिया हैरान रह गई। रोहन ने मुस्कुरा कर कहा, “प्रिया, तुम यहाँ क्या कर रही हो?”
प्रिया रोने लगी, “रोहन, मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें भिखारी कहा, लेकिन आज मैं खुद भिखारी हूँ।”
रोहन ने कहा, “प्रिया, मैंने तुम्हें कब का माफ कर दिया है। मैंने खुद को बदल लिया है, तुम्हारे लिए नहीं, अपने लिए।”
प्रिया ने एक और मौका माँगा, रोहन ने उसे पैसे दिए, अच्छे होटल में ठहराया, नई शुरुआत करने का हौसला दिया।
अंत
रोहन ने अपनी जिंदगी में सब कुछ हासिल किया, लेकिन कभी अपने अतीत को नहीं भुलाया।
उसने एक चैरिटी संस्था खोली, गरीबों की मदद करने लगा।
प्रिया ने भी अपनी जिंदगी फिर से शुरू की, ईमानदारी से काम किया, सच्चा प्यार और खुशी पाई।
दोनों ने सीखा—पैसा सब कुछ नहीं होता, प्यार और सम्मान सबसे जरूरी है।
सीख
दोस्तों, यह कहानी सिखाती है कि मुश्किल वक्त में हार नहीं माननी चाहिए।
सच्चा प्यार, मेहनत और आत्मविश्वास से जिंदगी बदल सकती है।
पैसा जरूरी है, लेकिन रिश्तों और इंसानियत से बढ़कर नहीं।
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