दिवाली में खोई हुई बेटी, पिता को 7 साल बाद दिवाली के ही दिन दीपक बेचती हुई मिली फिर जो हुआ

यह कहानी है अमित और प्रिया की, जो एक खुशहाल दांपत्य जीवन जी रहे थे। अमित एक सफल बिजनेसमैन था, जबकि प्रिया एक शिक्षिका। उनके पास एक प्यारी सी बेटी थी, जिसका नाम मुस्कान था। मुस्कान केवल 8 साल की थी, लेकिन उसकी हंसी और मासूमियत ने उनके जीवन को रोशन कर रखा था। घर में उसकी खिलखिलाहट गूंजती थी और हर दिन एक नया उत्सव जैसा लगता था।

दिवाली का त्योहार नजदीक था। चारों ओर रौनक और खुशियों का माहौल था। अमित ने तय किया कि वह इस बार मुस्कान के लिए कुछ खास खरीदेंगे। वह बाजार जाने की तैयारी कर रहा था, तभी मुस्कान ने उसे रोक लिया। “पापा, मैं भी चलूंगी!” उसने मासूमियत से कहा। अमित ने उसे समझाया कि बाजार में भीड़ होती है, लेकिन मुस्कान की जिद ने उसे मजबूर कर दिया।

भाग 2: बाजार की रौनक

अमित ने मुस्कान को गोद में उठाते हुए कहा, “ठीक है, चलो। लेकिन मम्मी की बात सुनना।” मुस्कान खुशी से झूम उठी। कार में बैठते ही वह खिड़की से बाहर झांकने लगी। “पापा, मैं मिठाई खाऊंगी और पटाखे भी लूंगी!” उसने उत्साह से कहा। अमित मुस्कुराते हुए उसकी बातें सुन रहा था।

बाजार पहुंचते ही मुस्कान की आंखें चमक उठीं। चारों ओर मिठाइयों की दुकानें, पटाखों की रंग-बिरंगी सजावट और दीपों की रोशनी थी। वह एक दुकान से दूसरी दुकान की ओर दौड़ रही थी। अमित ने उसकी हर इच्छा पूरी करने का वादा किया।

भाग 3: अचानक आई मुसीबत

जब वे मिठाई की दुकान पर पहुंचे, तभी एक 12-13 साल का लड़का पटाखे जलाते हुए दिखा। मुस्कान ने उसे देखकर कहा, “पापा, वह कितना मजा कर रहा है!” और इससे पहले कि अमित कुछ कह पाता, मुस्कान ने उसकी उंगली छुड़ाई और दौड़ पड़ी।

“मुस्कान, रुको!” अमित ने चिल्लाया, लेकिन उसकी आवाज बाजार के शोर में खो गई। अचानक, उस लड़के की जलती हुई फूलझड़ी एक बड़ी पटाखे की दुकान पर गिर गई। एक जोरदार धमाका हुआ और हर तरफ अफरातफरी मच गई। लोग दौड़ने लगे। अमित ने घबराकर मुस्कान को ढूंढना शुरू किया।

भाग 4: बिछड़ना

“मुस्कान, मेरी बच्ची!” वह चिल्ला रहा था। धुएं और चीखों के बीच वह हर दिशा में भागा। उसे हर जगह से बस शोर सुनाई दे रहा था। अमित का दिल धड़क रहा था। एक पुलिस वाले से मदद मांगने के बाद, उसने देखा कि लोग घायल हो रहे हैं और कुछ की लाशें भी पड़ी हैं।

आखिरकार, जब पुलिस और फायर ब्रिगेड ने आग पर काबू पाया, तो अमित को एक भयानक सच्चाई का सामना करना पड़ा। एक छोटी सी लड़की की जल चुकी लाश मिली। अमित का दिल टूट गया। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी मुस्कान के साथ ऐसा हो सकता है।

भाग 5: शोक का सामना

अमित ने अपनी बेटी की लाश को पहचान लिया। उसकी आंखों में आंसू थे और दिल में दर्द। घर लौटते ही प्रिया को यह खबर मिली और वह बेहोश हो गई। पूरा घर शोक में डूब गया।

अमित ने अपनी बेटी का अंतिम संस्कार किया। हर कोई वहां मौजूद था, लेकिन अमित और प्रिया के दिलों में केवल खोई हुई मुस्कान की यादें थीं। हर त्योहार अब उनके लिए अधूरा था।

भाग 6: समय का गुजरना

सात साल बीत गए। अमित और प्रिया ने अपने जीवन को फिर से संभालने की कोशिश की, लेकिन मुस्कान की यादें हमेशा उनके साथ थीं। हर दिवाली पर वे अपनी बेटी की यादों में खो जाते थे।

एक दिन, प्रिया ने अमित से कहा, “हमें आगे बढ़ना चाहिए। मुस्कान चाहती होगी कि हम खुश रहें।” अमित ने सहमति जताई, लेकिन उसके दिल में हमेशा एक खालीपन था।

भाग 7: एक नई शुरुआत

दिवाली का त्योहार फिर से नजदीक आ रहा था। अमित और प्रिया ने तय किया कि इस बार वे दिवाली मनाएंगे। उन्होंने अपने घर को सजाने का फैसला किया।

अमित ने बाजार जाकर मिठाइयां और पटाखे खरीदे। जब वह एक दुकान पर गया, तो उसकी नजर एक उम्रदराज आदमी पर पड़ी, जो मिट्टी के दिए बेच रहा था। अमित ने उससे पूछा, “इन दियों के क्या दाम हैं?”

भाग 8: एक अनोखी मुलाकात

जैसे ही अमित ने दियों की कीमत पूछी, एक किशोरी दौड़ती हुई आई। उसकी आंखों में एक अजीब सी पहचान थी। वह अचानक रुक गई और अमित को देखती रह गई।

“पापा!” उसने चिल्लाया। अमित ने चौंककर पूछा, “तुम कौन हो?” लेकिन लड़की ने कहा, “आप मुझे भूल गए? मैं मुस्कान हूं!” अमित का दिल तेजी से धड़कने लगा।

भाग 9: पहचान की लड़ाई

अमित ने कहा, “तुम मेरी बेटी नहीं हो। मेरी बेटी तो…” लेकिन लड़की ने उसकी बात काटते हुए कहा, “मैं आपकी मुस्कान हूं! आपने मुझे कैसे भुला दिया?”

लड़की ने अपनी पहचान साबित करने के लिए लॉकेट दिखाया, जो अमित ने उसे जन्मदिन पर दिया था। अमित का दिल धड़कने लगा। क्या यह सच में उसकी बेटी थी?

भाग 10: सच्चाई का सामना

अमित ने उस लड़के से पूछा, “तुम्हारी मां का नाम क्या है?” लड़की ने सही जवाब दिया। अमित की आंखों में आंसू थे। “लेकिन मेरी बेटी तो…”

तभी वहां खड़ा एक आदमी बोला, “साहब, मेरी बेटी की लाश मिली थी। मैं नहीं चाहता था कि आप गलत समझें।”

भाग 11: दर्द और राहत

अमित को समझ में आया कि उसकी मुस्कान वापस आ गई थी। उसने उस आदमी को गले लगाया और कहा, “आपने मुझे मेरी खोई हुई बेटी लौटा दी।”

लड़की ने कहा, “पापा, अब हम फिर से एक साथ रहेंगे।” अमित ने उसे गले लगा लिया।

भाग 12: नई जिंदगी की शुरुआत

अमित ने अपनी बेटी के साथ मिलकर नए सिरे से जिंदगी जीने का फैसला किया। उन्होंने उसे स्कूल भेजा, उसके पसंदीदा खेल खिलाए और हर दिन को खास बनाने की कोशिश की।

भाग 13: दिवाली का नया अर्थ

इस बार दिवाली पर अमित और प्रिया ने मुस्कान के साथ मिलकर खुशियां मनाईं। घर में फिर से हंसी गूंजने लगी।

भाग 14: प्यार और सुरक्षा

अमित ने ठान लिया कि अब वह अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

भाग 15: एक नई पहचान

जिंदगी ने उन्हें फिर से एक मौका दिया था। अमित और प्रिया ने मुस्कान के साथ मिलकर एक नया जीवन शुरू किया।

भाग 16: अंत में

इस तरह, अमित और प्रिया ने अपनी खोई हुई मुस्कान को फिर से पाया और अपने जीवन को नए सिरे से संवारने का फैसला किया।

दोस्तों, यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, प्यार और परिवार की अहमियत हमेशा बनी रहनी चाहिए। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो कृपया इसे लाइक करें और अपने दोस्तों के साथ साझा करें।

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