एसपी अंजलि वर्मा की सच्ची बहादुरी

एसपी अंजलि वर्मा अपनी छोटी बहन के साथ सादे कपड़ों में टैक्सी से मॉल जा रही थीं। रास्ते में पुलिस चेक पोस्ट पर सब इंस्पेक्टर अजय कुमार ने उनकी टैक्सी को रोक लिया और टैक्सी चालक से कागजात मांगने लगे। कागजों में कमी निकालकर अजय कुमार ने रिश्वत की मांग शुरू कर दी। टैक्सी चालक ने विनम्रता से कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं, लेकिन सब इंस्पेक्टर ने सख्ती दिखाते हुए धमकी दी कि अगर तीन हजार रुपये नहीं दिए तो टैक्सी जब्त कर ली जाएगी।

एसपी अंजलि वर्मा पीछे बैठी सबकुछ देख रही थीं। जब अजय कुमार ने टैक्सी चालक को थप्पड़ मारा और अपमानित किया, तो अंजलि का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने टैक्सी से उतरकर अजय कुमार को डांटते हुए पूछा, “आपको इस ड्राइवर को थप्पड़ मारने का अधिकार किसने दिया?” लेकिन पुलिस वालों को लगा कि अंजलि कोई आम लड़की है।

अजय कुमार ने अंजलि को भी धमकाया और जेल भेजने की धमकी दी। अंजलि ने अपनी पहचान छिपाए रखी और वहां से चली गईं, लेकिन मन ही मन ठान लिया कि ऐसे भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को सबक सिखाना जरूरी है। अगले दिन, वे आम लड़की की तरह थाने पहुंचीं और रिपोर्ट लिखवाने की कोशिश की। वहां इंस्पेक्टर राज शर्मा ने खुलेआम रिश्वत मांगी और बदतमीजी की।

अंजलि ने फिर भी संयम रखा और अपनी पहचान उजागर नहीं की। उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को फोन किया और थाने में बुलाया। जब एसीपी और डीएसपी अफसरों का दल थाने पहुंचा, तो माहौल बदल गया। अंजलि ने सबके सामने अपनी असली पहचान बताई और कहा, “मैं जिले की एसपी हूं।”

उन्होंने इंस्पेक्टर राज शर्मा और सब इंस्पेक्टर अजय कुमार को तुरंत सस्पेंड करने और गिरफ्तार करने का आदेश दिया। दोनों को हथकड़ी पहनाकर जेल ले जाया गया। जेल में उनकी वर्दी उतरवा दी गई और कैदी वाली ड्रेस पहनाई गई। आज वे अफसर नहीं, बल्कि अपराधी बन गए थे।

भीड़ ने ताली बजाई और यह ऐतिहासिक पल कैमरे में कैद हो गया। एसपी अंजलि वर्मा ने साबित कर दिया कि कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह पुलिस वाला हो या आम आदमी। अब जिले में दादागिरी नहीं, सिर्फ कानून चलेगा।