बेचारा चौकीदार कहता है, “यह मशीन बंद कर दो!” अमीर सीईओ की बेटी अप्रत्याशित रूप से कोमा से जाग जाती है…

एक छोटे से शहर में, जहां समुद्र की लहरें हमेशा अपने साथ उम्मीदें लाती थीं, एक सफल व्यवसायी, युडा महेंद्र, अपनी बेटी, बूँदा महर्दिका के लिए संघर्ष कर रहा था। युडा के पास सब कुछ था—भव्य घर, महंगी गाड़ियाँ, और एक आलीशान जीवन। लेकिन उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ उसकी बेटी थी, जो एक साल से कोमा में थी। एक साल पहले, बूँदा की कार एक भयानक दुर्घटना का शिकार हो गई थी, और तब से वह अस्पताल में बेहोश पड़ी थी।

भाग 2: निराशा की गहराई

हर दिन युडा अस्पताल में अपनी बेटी के पास बैठता। डॉक्टरों ने कहा था कि बूँदा के मस्तिष्क को गंभीर चोट लगी है और उसकी स्थिति में सुधार की कोई संभावना नहीं है। युडा ने सभी प्रकार के इलाज कराए—स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की मदद ली, महंगे उपचार किए, लेकिन सब बेकार। उसके दिल में निराशा गहराती जा रही थी। उसने हर रात बूँदा का हाथ पकड़कर उससे बात की, यह सोचते हुए कि शायद उसकी आवाज सुनकर वह जाग जाए।

भाग 3: एक अनजान साथी

अस्पताल के सफाईकर्मी, आसिफ, हमेशा युडा को देखता था। उसकी साधारण कपड़े और पुराने जूते थे, लेकिन उसकी आँखों में एक गहराई थी। आसिफ हर सुबह जल्दी आता और अस्पताल के गलियारों को साफ करता। वह बूँदा के कमरे के सामने रुककर चुपचाप प्रार्थना करता। युडा ने कभी उसे ध्यान से नहीं देखा, लेकिन आसिफ की उपस्थिति ने उसे एक अजीब सी शांति दी।

भाग 4: एक अजीब प्रस्ताव

एक दिन, युडा अस्पताल से बाहर आ रहा था, जब वह आसिफ से टकराया। आसिफ ने उसे देखा और कहा, “सर, मैं जानता हूँ कि आपकी बेटी कोमा में है, लेकिन मैं उसके लिए प्रार्थना करता हूँ। मुझे लगता है कि मैं उसे वापस ला सकता हूँ।” युडा ने उसे घूरते हुए कहा, “तुम कौन हो? तुम एक साधारण सफाईकर्मी हो। तुम्हारी प्रार्थना का क्या असर होगा?”

आसिफ ने शांत स्वर में कहा, “मैं जानता हूँ कि मैं साधारण हूँ, लेकिन प्रार्थना में शक्ति होती है। यदि आप मुझे अनुमति दें, तो मैं उसे जाग्रत करने की कोशिश कर सकता हूँ।” युडा ने हंसते हुए कहा, “क्या तुम सच में सोचते हो कि तुम्हारी प्रार्थना से मेरी बेटी जाग जाएगी?”

भाग 5: विश्वास की कमी

युडा ने आसिफ की बातों को नजरअंदाज कर दिया। लेकिन उस रात, जब वह बूँदा के पास बैठा था, उसने आसिफ की बातें याद कीं। क्या सच में कोई ऐसा तरीका हो सकता है? लेकिन फिर उसने सोचा, “नहीं, यह सब बकवास है।” वह निराशा में डूबा रहा।

भाग 6: एक नई सुबह

अगली सुबह, युडा ने आसिफ को फिर से देखा। आसिफ ने कहा, “सर, कृपया मुझे एक मौका दें। मैं चाहता हूँ कि आपकी बेटी फिर से मुस्कुराए।” युडा ने उसे गंभीरता से देखा और कहा, “ठीक है, तुम कोशिश कर सकते हो, लेकिन मुझे कोई उम्मीद नहीं है।” आसिफ ने मुस्कुराते हुए कहा, “बस एक बार कोशिश करूँगा।”

भाग 7: अद्भुत प्रार्थना

रात को, जब अस्पताल में सब कुछ शांत था, आसिफ बूँदा के कमरे में आया। उसने बूँदा के पास बैठकर प्रार्थना शुरू की। उसकी आवाज में एक अनोखी शक्ति थी। उसने बूँदा के सिर पर हाथ रखा और गहरे मंत्र पढ़े। अचानक, कमरे में एक अजीब सी ऊर्जा महसूस होने लगी।

भाग 8: एक चमत्कार

सुबह होते ही, युडा अस्पताल आया। वह बूँदा के कमरे में गया और देखा कि उसके दिल की धड़कन सामान्य हो गई थी। युडा ने डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर ने कहा, “यह असंभव है। उसकी स्थिति में सुधार हुआ है।” युडा की आँखों में आंसू थे। उसने आसिफ की ओर देखा, जो चुपचाप खड़ा था।

भाग 9: एक नया जीवन

कुछ दिनों के बाद, बूँदा धीरे-धीरे होश में आने लगी। युडा ने आसिफ को धन्यवाद दिया। आसिफ ने कहा, “यह सब आपकी बेटी की शक्ति है। उसने खुद को वापस लाने का निर्णय लिया।” युडा ने आसिफ को अपने घर बुलाया और उसे एक नौकरी की पेशकश की।

भाग 10: प्यार की शुरुआत

बूँदा ने आसिफ को अपना दोस्त बना लिया। वह उसे अपने जीवन की छोटी-छोटी बातें बताती। आसिफ ने भी बूँदा को अपनी कठिनाइयों के बारे में बताया। दोनों के बीच एक गहरा संबंध बन गया।

भाग 11: कठिनाइयों का सामना

लेकिन एक दिन, आसिफ ने बूँदा को बताया कि उसे एक गंभीर बीमारी है। वह उसे छोड़ने वाला था। बूँदा ने कहा, “तुम मुझे मत छोड़ो। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहती।” आसिफ ने कहा, “मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, भले ही मैं यहाँ न रहूँ।”

भाग 12: एक नया संघर्ष

बूँदा ने आसिफ की बीमारी का सामना करने का निर्णय लिया। उसने उसके लिए एक इलाज की व्यवस्था की। युडा ने भी आसिफ की मदद करने का निर्णय लिया। वह जानता था कि आसिफ ने उसकी बेटी के लिए क्या किया है।

भाग 13: एक नई शुरुआत

आसिफ का इलाज सफल रहा। वह ठीक हो गया और बूँदा के साथ वापस अस्पताल में काम करने लगा। दोनों ने मिलकर एक चैरिटी फाउंडेशन शुरू किया, जो जरूरतमंदों की मदद करता था।

भाग 14: सच्चा प्यार

एक दिन, आसिफ ने बूँदा से कहा, “क्या तुम मुझसे शादी करोगी?” बूँदा ने खुशी से कहा, “हाँ!” उन्होंने एक साधारण समारोह रखा, जिसमें उनके करीबी दोस्त और परिवार वाले शामिल हुए।

भाग 15: एक नई जिंदगी

अब बूँदा और आसिफ एक खुशहाल जीवन जी रहे थे। उन्होंने अपने फाउंडेशन के माध्यम से कई लोगों की मदद की। युडा ने भी अपनी सोच बदली और अब वह अपने काम के साथ-साथ दूसरों की मदद करने में भी लगा रहा।

भाग 16: अंत में

बूँदा और आसिफ की कहानी ने सभी को यह सिखाया कि सच्चा प्यार और विश्वास हर कठिनाई को पार कर सकते हैं। कभी-कभी, हमें उन लोगों की शक्ति को पहचानना चाहिए, जो हमारे आसपास हैं, भले ही वे साधारण क्यों न दिखें।

अंत

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता, और जब हम एक-दूसरे का साथ देते हैं, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

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