मजदूर बनकर डीएम साहब ने मचाया अस्पताल में हड़कंप, तलाकशुदा पत्नी को देखकर रह गए हैरान
बिहार के एक छोटे से जिले में हाल ही में ऐसी घटना घटी जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। जिले के डीएम साहब, जिनका नाम हिमांशु है, ने सरकारी अस्पताल में छापा मारने का फैसला किया। लेकिन यह छापा आम नहीं था—डीएम साहब मजदूर का भेष बदलकर अस्पताल पहुंचे ताकि वहां की असली हालत देख सकें। उन्हें क्या पता था कि इस छापेमारी में उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा मोड़ आने वाला है।
डीएम साहब ने फटे पुराने कपड़े पहने, सिर पर गमछा बांधा और मजदूरों की तरह अस्पताल के गेट पर पहुंचे। सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया, लेकिन डीएम साहब ने विनती की कि उनका एक रिश्तेदार अस्पताल में भर्ती है। जब गार्ड नहीं माना, तो उन्होंने चुपके से 50 रुपये का नोट उसकी हथेली पर रख दिया। गार्ड ने तुरंत रास्ता खोल दिया और डीएम साहब अंदर पहुंच गए।
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अस्पताल के अंदर का दृश्य बेहद डरावना था। मरीजों की संख्या बेड से कहीं ज्यादा थी, कई मरीज फर्श पर लेटे थे। इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही थी। तभी डीएम साहब की नजर एक महिला पर पड़ी, जो फर्श पर दर्द में तड़प रही थी। करीब जाकर देखा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई—वह उनकी तलाकशुदा पत्नी हिमानी थी। हिमानी की हालत बहुत खराब थी और उसे एक्सपायर दवाइयां दी जा रही थीं।
गुस्से में डीएम साहब ने जोर से चिल्लाया कि सभी डॉक्टरों को सस्पेंड कर देना चाहिए। तभी एक डॉक्टर ने उन्हें मजदूर समझकर अपशब्द कहे और थप्पड़ मारने की कोशिश की। लेकिन हिमांशु ने उसका हाथ पकड़कर उल्टा उसे जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। अस्पताल का पूरा स्टाफ इकट्ठा हो गया, लेकिन हिमांशु ने सबको चेतावनी दी—”खबरदार, मैं इस जिले का कलेक्टर हूं!”

इतना सुनते ही पूरे अस्पताल में हड़कंप मच गया। डीएम साहब ने तुरंत पुलिस बुलवाई और सभी डॉक्टरों को हिरासत में ले लिया गया। फॉरेंसिक टीम ने जांच की तो ज्यादातर दवाइयां एक्सपायर निकलीं। डॉक्टरों पर केस दर्ज हुआ, लाइसेंस निलंबित कर दिए गए।
इसके बाद हिमांशु अपनी पत्नी हिमानी के पास गए। हिमानी ने रोते हुए माफी मांगी और बताया कि तलाक के बाद उसकी जिंदगी मुश्किलों से भर गई थी। नौकरी भी छूट गई, पिता भी बीमार होकर चल बसे। हिमांशु ने उसे गले लगा लिया और कहा—”सुबह का भूला अगर शाम को लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते।”
डीएम साहब ने हिमानी को अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ वह जल्दी ही स्वस्थ हो गई। दोनों पति-पत्नी फिर से एक हो गए और खुशी-खुशी रहने लगे। डीएम साहब ने कोर्ट में दरख्वास्त देकर अस्पताल में नए डॉक्टर नियुक्त करवाए और अस्पताल को शहर का टॉप अस्पताल बना दिया।
यह कहानी सिर्फ एक छापेमारी की नहीं, बल्कि रिश्तों, संघर्ष और इंसानियत की मिसाल है। हिमांशु ने साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और सच्चाई से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। उनकी ईमानदारी और इंसानियत ने न सिर्फ सिस्टम को झकझोरा, बल्कि अपने टूटे हुए रिश्ते को भी जोड़ दिया।
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