लखनऊ रेलवे स्टेशन की रात: जब एक अजनबी ने बचाई सुमन की जिंदगी

लखनऊ का रेलवे स्टेशन रात में भी चहल-पहल से भरा रहता था। कुलियों की आवाजें, चायवालों की पुकार, और यात्रियों की भीड़ – हर तरफ शोर था। लेकिन प्लेटफॉर्म नंबर तीन के एक कोने में सुमन नाम की लड़की खड़ी थी। उसके चेहरे पर गहरी उदासी थी। आंखों में आंसुओं का सैलाब था, पर होठ खामोश थे।

सुमन की जिंदगी पिछले कुछ महीनों से संघर्षों से भरी हुई थी। उसने नौकरी पाने के लिए हर संभव कोशिश की थी। कई इंटरव्यू दिए, लोगों से मदद मांगी, लेकिन हर जगह उसे सिर्फ ताने और ठोकरें मिलीं। समाज ने उसके आत्मसम्मान को रौंद दिया था। आज वह थक चुकी थी। उसने फैसला कर लिया था कि अब सब कुछ खत्म कर देना चाहिए।

दूर से आती ट्रेन की सीटी ने उसके कदम पटरियों की ओर बढ़ा दिए। उसके दिल में एक अजीब सी शांति थी, जैसे उसने अपनी जिंदगी का आखिरी फैसला ले लिया हो। भीड़ में कुछ लोग उसे देख रहे थे, लेकिन किसी ने उसे रोकने की कोशिश नहीं की।

लेकिन प्लेटफॉर्म की दूसरी ओर खड़ा अर्जुन हर चीज पर नजर रखे हुए था। अर्जुन एक पढ़ा-लिखा युवक था, जो एक फाइल हाथ में लिए अपने सफर के इंतजार में खड़ा था। जैसे ही उसने सुमन को पटरियों की ओर बढ़ते देखा, उसका दिल धक से रह गया। उसने बिना कुछ सोचे-समझे दौड़ लगाई।

“अरे रुको!” अर्जुन की आवाज गूंजी। लेकिन तब तक सुमन पटरियों के पास पहुंच चुकी थी। अर्जुन ने पूरी ताकत से उसे खींच लिया। उसी पल ट्रेन सीटी बजाती हुई प्लेटफॉर्म पर आ रही थी। अगर अर्जुन ने एक पल की भी देरी की होती, तो सुमन की जिंदगी खत्म हो चुकी होती।

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सुमन अर्जुन की बाहों में गिर पड़ी। उसका पूरा शरीर कांप रहा था। आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। प्लेटफॉर्म पर सन्नाटा छा गया। लोग सुमन को देखते हुए फुसफुसा रहे थे, “यह लड़की पटरियों पर कूदने वाली थी। इस लड़के ने इसे बचा लिया।”

अर्जुन ने सुमन का चेहरा उठाया और नरम आवाज में पूछा, “तुम ठीक हो? ऐसा क्यों करने जा रही थी?”

सुमन ने उसकी आंखों में देखा। उन आंखों में कोई सवाल नहीं था, बस चिंता और अपनापन था। वह कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन शब्द गले में अटक गए। अर्जुन ने उसे पानी पिलाया और कहा, “चलो, पहले थोड़ा बैठते हैं। फिर मुझे बताओ कि क्या हुआ है।”

जिंदगी की कहानी

सुमन ने कांपते हाथों से पानी पिया। उसकी सांसें थोड़ी शांत हुईं, लेकिन आंसू अब भी बह रहे थे। अर्जुन उसके पास बैठ गया और बोला, “देखो, जिंदगी इतनी सस्ती नहीं कि उसे पटरियों पर छोड़ दिया जाए।”

सुमन ने धीमी आवाज में कहा, “आप नहीं समझ सकते। मैंने बहुत कोशिश की। पढ़ाई की, नौकरी के लिए मेहनत की, लेकिन हर जगह सिर्फ ताने मिले। लोग मेरी सादगी का मजाक उड़ाते हैं। कहते हैं, ‘तुमसे कुछ नहीं होगा।’ जब हर जगह हार मिलती है, तो जीने का क्या फायदा?”

अर्जुन ने उसकी बात ध्यान से सुनी। फिर मुस्कुराते हुए बोला, “सुमन, तुम्हें पता है तुम कैसी लग रही हो? जैसे कोई पेड़ जो तूफान में झुका जरूर है, पर टूटा नहीं। मुझे यकीन है कि तुममें ताकत है। बस खुद पर भरोसा करना सीखो।”

सुमन की आंखों में पहली बार हल्की सी चमक दिखी। अर्जुन ने उसे भरोसा दिलाया, “मैं तुम्हारे साथ हूं। अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा। लेकिन एक वादा करो, आज के बाद ऐसा कदम कभी मत उठाना।”

सुमन ने हिचकते हुए सिर हिलाया। अर्जुन ने अपनी जेब से एक विजिटिंग कार्ड निकाला और उसे दिया। “यह मेरी कंपनी का पता है। कल सुबह आना। हमें मेहनती और ईमानदार लोग चाहिए। तुम्हारी नई शुरुआत यहीं से होगी।”

सुमन ने कार्ड लिया। उसकी आंखों में संकोच था, लेकिन अर्जुन के शब्दों ने उसमें उम्मीद की एक किरण जगा दी।

नई शुरुआत

अगले दिन सुमन अर्जुन की कंपनी पहुंची। वह घबराई हुई थी। लेकिन अर्जुन ने उसे भरोसा दिलाया और एक असिस्टेंट के तौर पर काम पर रख लिया। शुरुआत में सुमन को बहुत मुश्किलें आईं। ऑफिस के लोग उसकी सादगी और देहाती अंदाज का मजाक उड़ाते थे। लेकिन अर्जुन ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया।

धीरे-धीरे सुमन ने खुद को साबित करना शुरू किया। उसकी मेहनत और लगन ने ऑफिस के लोगों का दिल जीत लिया। एक दिन अर्जुन ने उसे कहा, “सुमन, तुम्हारी मेहनत ने साबित कर दिया कि इंसान की काबिलियत उसके कपड़ों या बोलचाल से नहीं, बल्कि उसके काम से होती है।”

सुमन की जिंदगी अब बदल चुकी थी। उसने न केवल खुद को संभाला, बल्कि अपने परिवार का सहारा भी बनी।

एक नई रोशनी

कुछ महीनों बाद सुमन ने अर्जुन से कहा, “मैं चाहती हूं कि मेरे जैसे गरीब बच्चों को सही मौके मिलें।” अर्जुन ने उसकी बात मानी और उसके गांव में एक शिक्षा केंद्र खोला। वहां बच्चों को मुफ्त में पढ़ाई और कंप्यूटर की शिक्षा दी जाने लगी।

सुमन अब सिर्फ अपनी जिंदगी नहीं, बल्कि दूसरों की जिंदगी भी बदल रही थी। वह सोचती थी, “अगर अर्जुन ने उस दिन मेरा हाथ न थामा होता, तो मैं आज यहां न होती।”

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी एक छोटी सी मदद किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है। हमें बस इतना करना है कि किसी का हाथ थामना है, जब उसे हमारी सबसे ज्यादा जरूरत हो।

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