The Dark Secrets Of Dharmendra Deol – The Life Of Dharmendra – Cinemastic
धर्मेंद्र: एक जीवित किंवदंती का सफर
प्रारंभ
24 नवंबर 2025 को जब यह खबर आई कि बॉलीवुड के ही मैन, धर्मेंद्र जी, अब हमारे बीच नहीं रहे, तो मानो सिनेमा की दुनिया में एक युग का अंत हो गया। 89 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा। धर्मेंद्र का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो संघर्ष, सफलता और प्यार से भरी हुई है। आज हम उनके जीवन की कुछ अनकही कहानियों और उनके योगदान पर चर्चा करेंगे।
बचपन और करियर की शुरुआत
धर्मेंद्र का जन्म 1935 में पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका असली नाम धर्मपाल था। बचपन से ही उन्हें सिनेमा का शौक था। वह स्कूल से भागकर थिएटर जाते थे और सुरैया की फिल्में देखकर उनकी अदाकारी का दीवाना हो गए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्होंने सुरैया जी की फिल्म “दिल्ली” को 40 बार देखा था। यह उनकी सिनेमा के प्रति दीवानगी का एक उदाहरण है।
लेकिन जब धर्मेंद्र किशोरावस्था में थे, तब उन पर जिम्मेदारियों का बोझ आ गया। 19 साल की उम्र में उनकी शादी प्रकाश कौर से हुई, जिससे उनके चार बच्चे हुए: सनी, बॉबी, अजीता और विजेता। शादी के बाद, धर्मेंद्र ने रेलवे में नौकरी शुरू की, लेकिन उनका सपना सिनेमा में करियर बनाने का था।
फिल्म इंडस्ट्री में कदम
धर्मेंद्र ने अपनी मां से प्रेरणा लेकर फिल्मफेयर के एक टैलेंट हंट में अप्लाई किया। उन्होंने अपने नाम को “कुंवर धर्मेंद्र सिंह” के रूप में भेजा और चमत्कारिक रूप से उनका चयन हो गया। इसके बाद उन्होंने मुंबई का रुख किया, लेकिन शुरुआत में उन्हें संघर्ष करना पड़ा।
मुंबई में गुजारा करने के लिए उन्होंने एक ड्रिलिंग कंपनी में काम किया और कई रातें गैरेज में बिताईं। लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया, और उन्हें फिल्म “दिल भी तेरा, हम भी तेरे” में काम करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने “शोला और शबनम” जैसी सफल फिल्में कीं, जो उन्हें पहचान दिलाने में मददगार साबित हुईं।

शोले और सुपरस्टार बनने की कहानी
1975 में आई फिल्म “शोले” ने धर्मेंद्र की किस्मत बदल दी। इस फिल्म में उनके द्वारा निभाए गए “वीरू” के किरदार ने उन्हें एक आइकन बना दिया। फिल्म की सफलता ने उन्हें एक सुपरस्टार बना दिया। “शोले” ने भारतीय सिनेमा में एक नई दिशा दी और धर्मेंद्र को एक अद्वितीय पहचान दी।
धर्मेंद्र की अदाकारी, उनके डायलॉग और उनकी शारीरिक काबिलियत ने उन्हें दर्शकों के दिलों में बसा दिया। “बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना” जैसे डायलॉग आज भी लोगों की जुबान पर हैं।
निजी जीवन और विवाद
धर्मेंद्र का निजी जीवन भी उतना ही जटिल रहा जितना उनका फिल्मी करियर। उन्होंने 1980 में हेमा मालिनी से शादी की, जो उस समय की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। लेकिन इस शादी के कारण उन्हें कई विवादों का सामना करना पड़ा। धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर और उनके बच्चे इस शादी को लेकर नाखुश थे।
हेमा मालिनी की खूबसूरती और उनके साथ धर्मेंद्र के रिश्ते ने मीडिया में कई चर्चाएं पैदा कीं। उन्हें “घर तोड़ने वाली” कहा गया, लेकिन हेमा ने हमेशा अपने पति का समर्थन किया। उन्होंने अपने पहले परिवार के प्रति सम्मान दिखाया और कभी भी विवादों में नहीं पड़ीं।
वसीहत और संपत्ति का बंटवारा
धर्मेंद्र के निधन के बाद उनकी वसीहत ने सबको चौंका दिया। उन्होंने अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा प्रकाश कौर और उनके बच्चों को देने का निर्णय लिया था। यह वसीहत केवल पैसे का बंटवारा नहीं थी, बल्कि एक पिता का अंतिम संदेश था कि रिश्ते हमेशा महत्वपूर्ण होते हैं।
उनकी वसीहत में यह भी लिखा था कि आधा संपत्ति हेमा मालिनी और उनकी बेटियों ईशा और अहाना को दी जाएगी। यह निर्णय धर्मेंद्र के जीवन के जटिल रिश्तों को दर्शाता है। उनके जीवन में दो परिवारों के बीच संतुलन बनाए रखना एक चुनौती थी, लेकिन उन्होंने इसे सफलतापूर्वक निभाया।
अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
धर्मेंद्र जी के निधन के बाद, उनका अंतिम संस्कार बहुत साधारण तरीके से किया गया। परिवार ने तय किया कि वे इसे सार्वजनिक नहीं बनाएंगे। केवल करीबी लोग ही शामिल हुए। लेकिन उनके चाहने वालों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
सनी और बॉबी देओल ने अपने पिता के अंतिम विदाई में भाग लिया, लेकिन उनके चेहरे पर गहरा दुख था। हेमा मालिनी और उनकी बेटियां इस शोक सभा में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने अपने तरीके से धर्मेंद्र की याद में प्रार्थना की।
धर्मेंद्र का प्रभाव
धर्मेंद्र का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपने जीवन में जो प्यार और सम्मान दिया, वह सभी के लिए एक मिसाल है। उनके जाने के बाद भी उनके चाहने वालों के दिलों में उनकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।
ईशा देओल ने अपने पिता की दो शादियों के सच को स्वीकार किया और कभी भी अपने परिवार के प्रति कोई नकारात्मक भावना नहीं रखी। यह उनकी परिपक्वता और समझदारी को दर्शाता है।
निष्कर्ष
धर्मेंद्र जी केवल एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि वे सादगी, प्यार और परिवार की ताकत के प्रतीक थे। उनके जीवन के आखिरी क्षणों तक भी उन्होंने अपने बच्चों को साथ चलते देखा, और यही उनके लिए सबसे बड़ा सुकून था।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि रिश्ते कभी खत्म नहीं होते। भले ही वे एक छत के नीचे ना आ सकें, लेकिन प्यार और सम्मान हमेशा जीवित रहते हैं।
दोस्तों, अगर आपको भी धर्म जी के लिए आदर और प्यार है, तो इस वीडियो को लाइक जरूर करें। अपनी राय कमेंट करके बताएं कि आपको उनका कौन सा किरदार सबसे ज्यादा याद आता है।
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