📰 धर्मेंद्र की मौत के बाद टूटा परिवार: क्यों सनी देओल ने हेमा मालिनी को सम्मान नहीं दिया?

घर की मुखिया बनने के बाद भी सनी देओल ने नहीं पूरी की पिता की आखिरी ख्वाहिश; हेमा मालिनी पर सबको तरस आया सिवाय अपनों के!

मुंबई: सुपरस्टार धर्मेंद्र के निधन से उनके प्रशंसकों को जितना दुःख हुआ, उससे कहीं अधिक दुःख उन्हें परिवार के भीतर के आपसी मतभेद और टूटन को देखकर हो रहा है। धर्मेंद्र का परिवार आज पूरी तरह से बिखर चुका है, जहाँ सगे और सौतेले के बीच की खाई अब शायद ही कभी भर पाएगी। यह खाई उस महान अभिनेता की आखिरी ख्वाहिश के विपरीत है, जो जीते जी चाहते थे कि उनका पूरा परिवार एक छत के नीचे आकर एकजुट हो जाए।

सनी देओल ने तोड़ दी पिता की ख्वाहिश

धर्मेंद्र के दोनों बेटे, सनी देओल और बॉबी देओल, हमेशा अपने पिता की हर ख्वाहिश पूरी करने के लिए आगे रहते थे। लेकिन दुख की बात यह है कि पिता की मौत के बाद उन्होंने वह नहीं किया जो धर्मेंद्र हमेशा से चाहते थे—परिवार को एकजुट करना और सौतेली मां हेमा मालिनी को सम्मान देना।

यह बात उनके प्रेयर मीट (प्रार्थना सभा) में साबित हो गई।

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धर्मेंद्र की याद में दो अलग-अलग कार्यक्रम हुए। एक तरफ, सनी देओल और बॉबी देओल ने अपनी मां प्रकाश कौर (धर्मेंद्र की पहली पत्नी) के साथ मिलकर एक बड़ी सभा आयोजित की, जिसमें बॉलीवुड के बड़े सितारे, नेता और यहां तक कि पंजाब के गांव से प्रशंसक भी पहुंचे। यह एक भव्य जलसा था, जिसमें पूरा बॉलीवुड सनी के साथ खड़ा दिखाई दिया।

लेकिन इस सभा में धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी को वह सम्मान नहीं मिला, जिसकी जिम्मेदारी घर के मुखिया के तौर पर सनी देओल की बनती थी।

अकेली पड़ गईं हेमा मालिनी: सौतेले बेटों को नहीं आया तरस

सनी देओल, जो अब परिवार के मुखिया और पगड़ी संभालने वाले हैं, ने एक ऐसी तस्वीर पेश की जहाँ हेमा मालिनी पूरी तरह से अकेली और टूटी हुई दिखाई दीं।

वीडियो में यह बात स्पष्ट रूप से सामने आई कि हेमा मालिनी के घर में भी एक अलग प्रार्थना सभा हुई, जो किसी बड़े सितारे के घर कम, बल्कि किसी “टीवी आर्टिस्ट” के घर जैसी लग रही थी। वहाँ मुट्ठी भर लोग ही पहुंचे थे। हेमा न किसी का स्वागत कर पा रही थीं और न ही किसी से बात करने के मूड में थीं—वह बिल्कुल गुमनाम और अकेली पड़ चुकी थीं।

सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि सनी देओल की सौतेली मां को देखकर सबको तरस आया, सिवाय उनके अपने परिवार के। अगर इस परिवार में थोड़ी भी सहानुभूति होती, तो हेमा को पूरे परिवार में जगह मिली होती और उन्हें वही सम्मान दिया जाता जो धर्मेंद्र की पहली पत्नी को मिला।

दुर्भाग्य से, लगता है कि सौतेली मां को देखकर न कोई तरस खा रहा है, और न ही कोई उनके बुरे वक्त में उनके साथ खड़ा हो रहा है। हेमा के साथ खड़े होने वालों में सिर्फ मुट्ठी भर दोस्त थे—जैसे शत्रुघ्न सिन्हा, सुनीता ओझा, गोविंदा, और कुछ राजनीतिक हस्तियाँ।

सम्मान का हकदार कौन?

इस पूरे घटनाक्रम ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भले ही हेमा सनी की सौतेली मां हों, लेकिन अतीत में दोनों के बीच दूरियां नहीं थीं; वे हमेशा मिलते और बात करते थे। आज उनकी जो तस्वीरें आ रही हैं, वे दिल तोड़ने वाली हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे उनके जाने के बाद घर में उनका कोई बचा ही नहीं।

धर्मेंद्र ने जीते जी हेमा मालिनी को जो इज्जत और सम्मान दिया, वही सम्मान और इज्जत धर्मेंद्र के बेटों से हेमा को मिलनी चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए। सनी देओल को अब घर के मुखिया के तौर पर वह कदम उठाना चाहिए, जिसकी उम्मीद उनके प्रशंसक कर रहे हैं। उन्हें अपनी सौतेली मां के प्रति तरस खाते हुए, उन्हें परिवार में जगह और सम्मान देना चाहिए, और अपने पिता की अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहिए।

राजनीति और फिल्म जगत दोनों में बड़ा नाम होने के बावजूद, हेमा मालिनी की यह अकेली तस्वीर देओल परिवार के आपसी मतभेद की कड़वी सच्चाई को बयाँ करती है।