10 साल बाद बचपन के दोस्त से मिलने पहुँची करोड़पति लड़की ; 2 बच्चों को देखकर हो गयी हैरान …..

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महक का वादा — एक दोस्ती और उम्मीद की दास्ताँ

लखनऊ के बाहर एक छोटा सा गांव था, जहाँ मिट्टी की खुशबू में बचपन के कई सपने पलते थे। महक चौधरी भी उसी गांव की बेटी थी, जो अब एक सफल बिजनेस वुमन बन चुकी थी। उसकी चमचमाती गाड़ी गांव के कच्चे रास्ते पर जैसे ही दाखिल हुई, तो गांव के लोग चौंक गए। वे सोच रहे थे, “यह वही महक है, जो बचपन में हमारे साथ खेला करती थी?”

महक के मन में भी कई भावनाएँ उमड़ रही थीं। वह अपने बचपन के दोस्त रोहित से मिलने आई थी। रोहित वो लड़का था जिसने महक के पिता के निधन के बाद उसके परिवार की मदद की थी। उस मुश्किल वक्त में रोहित ने अपने पिता की गाड़ी बेचकर महक के परिवार को आर्थिक सहारा दिया था। महक ने बचपन में ठान लिया था कि जब भी वह सफल होगी, उस मदद का कर्ज चुकाएगी।

लेकिन जब वह रोहित के घर पहुंची, तो वहां उसका कोई पता नहीं था। सिर्फ दो छोटे बच्चे खेल रहे थे। महक ने दरवाजा खटखटाया और बाहर आई एक सात आठ साल की बच्ची से पूछा, “तुम्हारे पापा कहां हैं?”

बच्ची ने धीरे से कहा, “पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं।”

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महक के कदम लड़खड़ा गए। वह झोपड़ी के अंदर गई, जहां गरीबी का आलम था। टूटी-फूटी चारपाई, पुराने बर्तन और दीवार पर रोहित की धुंधली तस्वीर। महक की आंखों में आंसू आ गए। वह सोचने लगी, “मेरे दोस्त ने इतना कुछ किया, और अब उसका परिवार इस हाल में है।”

गांव के लोग झोपड़ी के बाहर जमा हो गए। वे महक को अजीब निगाहों से देख रहे थे। कुछ फुसफुसा रहे थे, “यह करोड़पति लड़की यहां क्यों आई है?”

महक ने गहरी सांस ली और अपने मन में ठाना कि वह रोहित के बच्चों को गरीबी की इस तंगहाली में नहीं रहने देगी। वह उनके लिए कुछ करेगी, ताकि वे हंसते-खेलते बड़े हों।

महक ने बच्चों से पूछा, “क्या तुमने खाना खाया?”

बड़ी बच्ची ने सिर झुका लिया, “मां ने कहा है कि जब वह लौटेगी तब खाना बनाएगी।”

महक का दिल बैठ गया। उसने जेब से पैसे निकालकर बच्चे को देने की कोशिश की, पर बच्ची ने मना कर दिया, “मां कहती है हमें किसी से भीख नहीं लेनी चाहिए।”

महक ने समझा कि यह आत्मसम्मान रोहित की बेटी में जिंदा था।

तभी गांव की कुछ औरतें वहां आईं। उनमें से एक ने पूछा, “तुम कौन हो? इन बच्चों से तुम्हारा क्या रिश्ता है?”

महक ने धीरे से कहा, “मैं रोहित की बचपन की दोस्त हूं।”

महक की बात सुनकर उनकी आंखों में संदेह था, पर धीरे-धीरे वे उसकी सच्चाई महसूस करने लगे।

तभी एक दुबली पतली औरत झोपड़ी की ओर बढ़ी। वह रोहित की पत्नी सविता थी। महक ने उससे बात की, “मुझे पहचानती हो?”

सविता ने झिझकते हुए कहा, “हाँ, तुम महक हो।”

महक ने कहा, “मैं यहां तुम्हारी और बच्चों की मदद करने आई हूं।”

सविता ने मना किया, “हमें किसी की भीख नहीं चाहिए।”

महक ने कहा, “मैं दया नहीं कर रही, मैं उस दोस्ती का फर्ज निभा रही हूं जो मैंने रोहित से किया था।”

महक ने सविता को समझाया कि वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएगी और सविता को आत्मनिर्भर बनाएगी।

सविता की आंखों में आंसू आ गए। उसने पूछा, “क्या तुम सच में हमारी मदद करोगी?”

महक ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, अगर तुम इजाजत दोगी।”

महक ने सविता के लिए एक सिलाई सेंटर खोलने का प्रस्ताव रखा, जहाँ वह अपनी मेहनत से कमाएगी और आत्मनिर्भर बनेगी।

सविता ने आखिरकार सहमति दे दी।

महक ने गांव के प्रधान रमेश यादव से मदद मांगी। प्रधान ने शुरुआत में संदेह जताया, लेकिन महक के जज्बे को देखकर उसने समर्थन किया।

महक ने गांव की पुरानी पंचायत भवन को प्रशिक्षण केंद्र में बदल दिया।

पहली कक्षा में महिलाओं को सिलाई मशीन से परिचय करवाया गया। सविता और अन्य महिलाएं सीखने लगीं। धीरे-धीरे गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बनने लगीं।

महक ने सिलाई के साथ-साथ साबुन बनाने, मोमबत्ती बनाने और छोटे व्यवसायों की ट्रेनिंग दी।

महक ने महिलाओं के बनाए उत्पादों के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार कराया, जिससे उनकी बिक्री बढ़ी।

गांव के लोग अब महक की तारीफ करने लगे। सविता ने खुद का छोटा सिलाई व्यवसाय शुरू किया।

महक के प्रयासों से गांव की सोच बदलने लगी। महिलाओं में आत्मविश्वास आया।

महक ने गांव में और भी प्रशिक्षण योजनाएं शुरू कीं।

सविता के बच्चे आर्यन और नेहा स्कूल में अच्छे प्रदर्शन करने लगे।

एक दिन आर्यन ने महक से कहा, “दीदी, मुझे स्कूल में सबसे अच्छा छात्र का पुरस्कार मिला है।”

महक ने गर्व से कहा, “तुम्हारे लिए यह तो बस शुरुआत है।”

गांव की महिलाएं अब महक के प्रशिक्षण केंद्र में न केवल सिलाई बल्कि अन्य कौशल भी सीख रही थीं।

महक ने ठाना कि वह पूरे गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी।

गांव के प्रधान ने घोषणा की कि महक के प्रयासों को और बड़े स्तर पर ले जाया जाएगा।

महक ने आसमान की ओर देखा और सोचा, “मैंने अपना कर्ज चुकाया है, और एक पूरी पीढ़ी के लिए नई राह खोल दी है।”