चेकपोस्ट पर लड़की को घसीटा, थप्पड़ मारा…पर जब पता चला कि वो IPS है—पूरी पुलिस फोर्स हिल गई

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चेकपोस्ट पर लड़की को घसीटा, थप्पड़ मारा…पर जब पता चला कि वो IPS है—पूरी पुलिस फोर्स हिल गई

प्रस्तावना

किसी भी समाज में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस का होना आवश्यक है। लेकिन जब वही पुलिस अपने पद का दुरुपयोग करने लगे, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। यह कहानी एक आईपीएस अधिकारी नीता राठौर की है, जिन्होंने अपनी पहचान छुपाकर एक खतरनाक स्थिति का सामना किया। इस कहानी में हम देखेंगे कि कैसे उन्होंने अपनी हिम्मत और बुद्धिमानी से एक घिनौने सिस्टम को चुनौती दी और न्याय की स्थापना की।

रात का सन्नाटा

रात का 1:00 बजा था। चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। सड़कें बिल्कुल सुनसान थीं और इसी सुनसान सड़क पर एक लड़की तन्हा चल रही थी। उसका नाम था नेहा राय। वह एक सीबीआई ऑफिसर थी। एक जरूरी मीटिंग खत्म होने के बाद वह अपने घर वापस लौट रही थी। रात इतनी देर हो चुकी थी कि सड़कों पर कोई नहीं था। बस हवा की सरसराहट और दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी।

नेहा के कदम तेज थे क्योंकि वह जानती थी कि इस वक्त सड़क पर अकेले चलना कितना खतरनाक हो सकता है। चलते-चलते जब वह एक सुनसान मोड़ पर पहुंची तो उसने देखा कि सड़क के बीचोंबीच तीन लोग खड़े हैं। दो कांस्टेबल और एक पुलिस इंस्पेक्टर। इंस्पेक्टर का नाम था दीपक चौधरी और दोनों कांस्टेबल के नाम थे अमन और विक्रम।

पहली मुलाकात

जैसे ही इन तीनों ने एक खूबसूरत और जवान लड़की को अपनी तरफ आते देखा, उनके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई। वह बेसब्री से उसका इंतजार करने लगे। नेहा जब उनके करीब पहुंची तो अचानक दीपक चौधरी सड़क के बीच में आकर खड़ा हो गया। उसने नेहा का रास्ता रोक दिया और उसे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा। उसकी निगाहों में कुछ गलत था।

नेहा ने सोचा कि शायद कोई चेकिंग हो रही है। वह चुपचाप साइड से निकलकर आगे बढ़ने लगी। लेकिन अब तीनों पुलिस वाले उसके पीछे-पीछे चलने लगे। नेहा का दिल धड़कने लगा। कुछ तो गड़बड़ थी। अब नेहा समझ चुकी थी कि यह लोग कोई नॉर्मल चेकिंग नहीं कर रहे।

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खौफनाक इरादे

इसके बाद दीपक चौधरी ने तेजी से आगे बढ़कर नेहा के बाजू को पकड़ लिया और बोला, “हां जी मैडम, कहां से आ रही हो? और हमसे मिले बगैर जा रही हो?” नेहा घबरा गई। उसने कहा, “एक जरूरी मीटिंग थी।” यह सुनकर तीनों जोर-जोर से हंसने लगे। दीपक चौधरी ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “इस टाइम कैसी मीटिंग थी? चलो हमारे साथ भी कोई मीटिंग कर लो।”

दीपक की आंखों में अब एक खतरनाक चमक थी। नेहा ने हिम्मत जुटाते हुए कहा, “मैं एक सीबीआई ऑफिसर हूं। तुम लोग ऐसा मत करो।” लेकिन दीपक ने उसकी बात सुनी ही नहीं। उसने अचानक नेहा के बालों को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और गुस्से से बोला, “मुझे नहीं बताओगी कि वह क्या जरूरी काम था।”

नेहा की हिम्मत

नेहा की सांसे तेज हो गईं। उसने धीरे-धीरे पीछे हटने लगी, लेकिन दीपक चौधरी उसकी तरफ बढ़ने लगा। उसकी आंखों में वैशीपन था। चलते-चलते जब दीपक ने उसे पकड़ने के लिए छलांग लगाई तो नेहा ने अपनी पूरी ताकत लगाकर भागना शुरू कर दिया।

उस अंधेरी रात में एक बेकसूर लड़की अपनी जान बचाने के लिए भाग रही थी और तीन पुलिस वाले, जो लोगों की रक्षा करने के लिए होते हैं, उसका पीछा कर रहे थे। नेहा की सांसे फूल रही थीं। उसके पैर कांप रहे थे। लेकिन वह रुकी नहीं। अचानक दीपक चौधरी ने पीछे से उसे धक्का दे दिया और वह सड़क पर गिर गई।

अपमान का सामना

दीपक चौधरी के चेहरे पर अब एक खौफनाक मुस्कान थी। वह नीचे गिर गई लड़की को गंदी नजरों से देखने लगा। नेहा के लिए अब बचने का कोई रास्ता नहीं बचा था। दीपक ने फिर से उसे पकड़ लिया। नेहा ने जोर से चिल्लाकर कहा, “देखो, मुझे जाने दो। यह तुम ठीक नहीं कर रहे।”

लेकिन तीनों टहाके मारकर हंसने लगे। कांस्टेबल अमन ने मजाक उड़ाते हुए कहा, “ओहो, हम तो डर गए।” दीपक ने नेहा के हाथ में एक बोतल पकड़ाते हुए कहा, “पी ले वरना तेरे साथ वो करेंगे कि तू किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेगी।”

नेहा का साहस

नेहा जानती थी कि अगर उसने इंकार किया तो यह लोग उसके साथ कुछ भी कर सकते हैं। उसने हिम्मत करके वह बोतल ले ली और पीने लगी। देखते ही देखते नेहा का सिर चकराने लगा। उसने अपने हाथ सिर पर रख लिए। नशा उस पर हावी होने लगा था। तीनों इंतजार में थे कि वह पूरी तरह बेहोश हो जाए।

थोड़ी देर बाद नेहा मदहोशी के आलम में सड़क पर लेट गई। वह अब बेहोशी में थी और उसके कानों में तीनों की गंदी हंसी गूंज रही थी। दीपक चौधरी उसके करीब आया। उसने झुककर नेहा के चेहरे को गौर से देखा। उसने उसके बालों को अपनी उंगलियों में लपेटते हुए मुस्कुराते हुए कहा, “हां, अब मजा आएगा।”

अचानक बदलाव

लेकिन दोस्तों, जो अगले पल हुआ वो इन तीनों ने कभी सोचा भी नहीं था। जैसे ही दीपक ने नेहा के गाल को छूने की कोशिश की, अचानक एक धमाका हुआ। नेहा ने जमीन पर पड़ी वह बोतल उठाई और पूरी ताकत से दीपक के सिर पर दे मारी। दीपक की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उसका माथा जख्मी हो गया और वह वहीं जमीन पर गिर पड़ा।

दोनों कांस्टेबल सन्न रह गए। नेहा लड़खड़ाते हुए उठी। उसकी सांसे तेज थीं। नशे की वजह से उसे चक्कर आ रहे थे लेकिन उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और भागने लगी। जमीन पर पड़े दीपक ने चिल्लाते हुए कहा, “क्या देख रहे हो? पकड़ो इसे। इसकी सजा अब जरूर मिलेगी।”

नेहा का प्रतिशोध

कांस्टेबल विक्रम ने तेजी से नेहा को बाजू से पकड़ लिया। दीपक गुस्से में भागता हुआ करीब आया। अब उसकी आंखों में खून उतर आया था। उसने नेहा को खींचकर अपने करीब किया और उसके कान के पास गरजते हुए बोला, “तूने मेरे साथ खेलने की कोशिश की? अब तेरी सजा और भी बढ़ गई है।”

नेहा बेबस दिखाई दे रही थी। फिर दीपक ने कांस्टेबल से कहा, “रस्सी ले आओ। इसके हाथ-पांव बांध दो।” कांस्टेबल रस्सी लेकर आया और नेहा के हाथ-पांव बांधने लगा। लेकिन तभी नेहा के दिमाग में एक प्लान आया।

नेहा की योजना

उसने दीपक से कहा, “अच्छा ठीक है। जो तुम चाहते हो मैं उसके लिए तैयार हूं।” यह सुनकर तीनों जोर-जोर से हंसने लगे। दीपक ने नेहा के करीब आकर कहा, “शाबाश। अगर पहले ही मान जाती तो हमें इतना कुछ नहीं करना पड़ता।”

नेहा ने दीपक के करीब जाकर कहा, “यहां ठीक है। दीपक ने हैरान होकर बोला, “यहां कोई देख लेगा।” नेहा ने दीपक को प्यार भरी आवाज में कहा, “अरे, तुम तो बहुत बहादुर निकले। आओ, मैं अब तुम्हारी बहादुरी देखना चाहती हूं।”

सच्चाई का सामना

दीपक ने एक पल के लिए सोचा और फिर नेहा की बात मानने के लिए तैयार हो गया। लेकिन जैसे ही वह अपने इरादे पर आगे बढ़ा, नेहा ने अपनी पूरी ताकत से दीपक की आंखों में मारा। दीपक चौंका और पीछे हट गया।

नेहा ने कहा, “तुम्हें नहीं पता कि मैं कौन हूं। मैं सीबीआई ऑफिसर हूं।” यह सुनकर दीपक के चेहरे पर हड़बड़ाहट आ गई। उसने अपनी आंखों में डर देखा।

न्याय की जीत

नेहा ने दीपक के खिलाफ सबूत पेश किए और अपनी टीम को बुलाया। पुलिस ने दीपक और उसके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। नेहा ने साबित कर दिया कि सच्चाई और न्याय हमेशा जीतते हैं।

निष्कर्ष

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी परिस्थिति में हमें अपने सिद्धांतों पर खड़ा रहना चाहिए। नेहा ने साबित कर दिया कि मेहनत और ईमानदारी से हासिल किया गया ज्ञान कभी भी व्यर्थ नहीं जाता।

जब हम एक-दूसरे का समर्थन करते हैं, तो हम समाज में एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अंततः सच्चाई के सामने झुकता है।

इसलिए, हमें हमेशा सच्चाई के साथ खड़ा रहना चाहिए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। यह कहानी हमें यह भी याद दिलाती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी ताकतवर क्यों न हो, अंततः सच्चाई के सामने झुकता है।

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