DM साहब मजदूर बनकर हॉस्पिटल में छापा मारने पहुँचे वहीं तलाकशुदा पत्नी को भर्ती देखकर

एक मजदूर से डीएम तक – संघर्ष, प्यार और इंसाफ की पूरी कहानी

बिहार के एक छोटे गांव में गिरधारी जी अपने 10 साल के बेटे हिमांशु के साथ रहते थे। गिरधारी जी एक साधारण किसान थे, दिन-रात खेतों में मेहनत करते थे। हिमांशु कक्षा पांच में पढ़ता था। एक दिन हिमांशु टीवी पर एक फिल्म देख रहा था, जिसमें एक आईएएस अधिकारी की जिंदगी दिखाई जा रही थी। उस फिल्म ने हिमांशु को गहरे तक प्रभावित किया। उसने ठान लिया कि वह बड़ा होकर आईएएस अधिकारी बनेगा। उसने अपने पापा से अपना सपना साझा किया, तो गिरधारी जी बहुत खुश हुए और बोले, “बेटा, मेहनत करो, एक दिन जरूर आईएएस अधिकारी बनोगे।”

समय बीतता गया, हिमांशु बड़ा हुआ और इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने लगा। परीक्षा पास करने के बाद उसके पापा ने कहा कि अब पढ़ाई छोड़कर खेतों में हाथ बटाओ, क्योंकि आमदनी कम हो गई है और पढ़ाई का खर्च उठा पाना मुश्किल है। हिमांशु मायूस हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। उसने पापा से कहा, “मैं बच्चों को ट्यूशन पढ़ाऊंगा, खेतों में भी काम करूंगा और अपनी पढ़ाई भी जारी रखूंगा। बस आप मेरा हौसला बनाए रखें।” गिरधारी जी मान गए।

हिमांशु ने गांव के बच्चों को गणित पढ़ाना शुरू किया। उसकी पढ़ाई और समझाने का तरीका इतना अच्छा था कि आसपास के गांवों से भी बच्चे आने लगे। जब बच्चों की संख्या बढ़ी, तो उसने दो-तीन होनहार टीचर रख लिए और ट्यूशन को कोचिंग सेंटर में बदल दिया – “हिमांशु कोचिंग सेंटर”। कोचिंग अच्छी चलने लगी, हिमांशु खुद इंटरव्यू लेकर अच्छे टीचर चुनता था। साथ ही वह अपने पापा के साथ खेती भी करता और अपनी पढ़ाई जारी रखता।

कुछ साल बाद, हिमांशु ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में था। उसके पापा ने कहा, “अब शादी कर लो, लोग बातें बना रहे हैं।” हिमांशु ने पहले इंकार किया, लेकिन पापा ने समझाया कि शादी के बाद घर का काम बहू संभाल लेगी, जिससे तुम पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान दे पाओगे। हिमांशु राजी हो गया। पड़ोस के गांव में हिमानी नाम की पढ़ी-लिखी लड़की पसंद आ गई। दोनों की शादी तय हुई, और दो महीने बाद धूमधाम से शादी हो गई। हिमानी ससुराल आई, सबका ख्याल रखने लगी, घर को संभालने लगी।

शादी से पहले हिमानी ने संविदा पर कुछ जगह इंटरव्यू दिए थे। एक दिन उसे प्राइवेट स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गई। हिमांशु ने समझाया कि प्राइवेट स्कूल में नौकरी का भरोसा नहीं, सैलरी भी कम है। बेहतर है कि वह कोचिंग सेंटर में पढ़ाए। लेकिन हिमानी ने जिद पकड़ ली कि वह स्कूल में ही पढ़ाएगी। हिमांशु और उसके पापा ने उसकी बात मान ली।

शुरुआत में सब ठीक चला, लेकिन धीरे-धीरे हिमानी की आदतें बदलने लगीं। वह घर के कामों को लेकर शिकायतें करने लगी, पति पर ताने कसने लगी। एक दिन बिना खाना बनाए स्कूल चली गई। कई दिनों तक यही नाटक चलता रहा। हिमांशु ने समझाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। एक दिन उसने साफ कह दिया, “घर का काम भी देखना पड़ेगा, वरना नौकरी नहीं।” दोनों में झगड़ा हुआ, हिमानी मायके चली गई और कुछ दिन बाद तलाक के पेपर भेज दिए। हिमांशु ने साइन नहीं किए, बल्कि खुद उसके घर जाकर बात करने की कोशिश की, लेकिन हिमानी और उसके पिता ने उसकी बात नहीं मानी।

हिमांशु ने ठान लिया कि वह तलाक नहीं देगा। “शादी सात जन्मों का रिश्ता है, मैं इसे निभाऊंगा। जब हिमानी की समझ में आएगी, वह लौट आएगी।” समय बीतता गया, हिमानी नहीं लौटी। हिमांशु ने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। कोचिंग सेंटर से अच्छी कमाई हो रही थी, उसने घर के कामों के लिए नौकर रख लिया, पूरा समय पढ़ाई को देने लगा। उसकी जिंदगी में अब सिर्फ तीन काम थे – खाना, पढ़ाई, आराम।

हिमांशु ने यूपीएससी का फॉर्म भरा, दिन-रात मेहनत की। प्री परीक्षा पास की, मेंस भी निकाल लिया, इंटरव्यू भी पास हो गया। आखिरकार वह आईएएस अधिकारी बन गया। उसे डीएम की पोस्ट मिली और एक जिले का चार्ज मिल गया। वह ईमानदारी से काम करने लगा।

कुछ दिनों बाद उसके पास सरकारी हॉस्पिटल की शिकायतें आने लगीं – मरीजों से जबरन पैसे वसूलना, एक्सपायर दवाइयां देना, मरीजों की अनदेखी करना। डीएम साहब ने खुद जांच करने का फैसला किया। मजदूर का भेष बदलकर फटे कपड़े पहनकर हॉस्पिटल गए। गेट पर सिक्योरिटी गार्ड ने रोक लिया, लेकिन 50 रुपये की रिश्वत दी तो अंदर जाने दिया।

अंदर जाकर देखा – बेड से ज्यादा मरीज, कई मरीज फर्श पर, इलाज की व्यवस्था खराब। एक महिला मरीज फर्श पर लेटी थी, जिसे देखकर डीएम साहब चौंक गए – वह उनकी पत्नी हिमानी थी। हिमानी तेज बुखार में तड़प रही थी। दवाइयां चेक की तो सब एक्सपायर थीं। डीएम साहब गुस्से में चिल्लाए – “यहां के सारे डॉक्टर सस्पेंड होंगे!” एक डॉक्टर ने बदतमीजी की, थप्पड़ मारने की कोशिश की, तो डीएम साहब ने उल्टा जोरदार थप्पड़ मार दिया। स्टाफ इकट्ठा हुआ, डीएम साहब ने सबको चेतावनी दी – “मैं इस जिले का कलेक्टर हूं।”

पूरा हॉस्पिटल सन्न रह गया। डीएम साहब ने पुलिस बुला ली, सभी डॉक्टर हिरासत में ले लिए गए, फॉरेंसिक टीम ने दवाइयां चेक की – ज्यादातर एक्सपायर निकलीं। डॉक्टरों के लाइसेंस निलंबित हुए, केस दर्ज हुआ। फिर हिमानी के पास गए, हिमानी ने आंखें खोलीं, शर्मिंदा होकर माफी मांगी। हिमांशु ने उसे चुप कराया, गोद में उठाया और अच्छे हॉस्पिटल में भर्ती कराया। हिमानी जल्दी ठीक हो गई।

हिमांशु ने पूछा – “तुम्हारी हालत कैसी हुई?” हिमानी ने बताया – “तलाक के बाद पापा बीमार हुए, उसी हॉस्पिटल में इलाज हुआ, एक्सपायर दवाइयों से उनकी जान चली गई। मेरी नौकरी भी छूट गई, तनाव के चलते मेरी तबीयत बिगड़ गई। पड़ोसियों ने हॉस्पिटल में भर्ती कराया, वहां भी वही हाल था। अगर आप ना आते, मैं भी बच नहीं पाती।”

हिमानी फूट-फूटकर रोने लगी, हिमांशु ने उसे गले लगा लिया। हिमानी ने माफी मांगी, हिमांशु ने कहा – “गलती का एहसास सबसे बड़ी बात है। सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। मैंने तलाक के पेपर पर कभी साइन नहीं किया। पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का है, मैं निभाऊंगा।”

दोनों फिर से एक हो गए, खुशी-खुशी रहने लगे। डीएम साहब ने कोर्ट में दरख्वास्त दी, हॉस्पिटल में नए डॉक्टर नियुक्त हुए, व्यवस्था सुधरी, हॉस्पिटल शहर का टॉप हॉस्पिटल बन गया।

सीख: संघर्ष, प्यार और ईमानदारी से हर मुश्किल पार की जा सकती है। रिश्तों में गलतफहमियां आती हैं, लेकिन समझदारी और माफ करने का जज्बा हो तो सब ठीक हो सकता है।

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जय हिंद!