Inspector क्यों झुक गया एक गांव की लड़की के सामने….
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सुबह का वक्त था। बाजार की हलचल अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुई थी, लेकिन कमला देवी अपने टोकरा के साथ सड़क किनारे मछलियां बेचने में लगी हुई थीं। उनकी उम्र अब काफी हो चुकी थी, लेकिन अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए वह दिन-रात मेहनत करती थीं। उनके दोनों बेटियां, राधिका और निहारिका, देश की सेवा में लगी थीं। दोनों बहनें भारतीय सेना में ऑफिसर थीं और बॉर्डर पर तैनात थीं। वे अपनी मां के हालात से अनजान थीं, उन्हें यह पता नहीं था कि उनकी मां किस संघर्ष और अपमान से गुजर रही हैं।
कमला देवी रोजाना सुबह जल्दी उठकर मछलियां लेकर बाजार आती थीं। वह जानती थीं कि यह काम उनके लिए कितना कठिन है, लेकिन मजबूरी के आगे सब कुछ छोटा पड़ जाता था। उस दिन भी वह मछलियां बेच रही थीं कि अचानक एक मोटरसाइकिल तेज़ी से सड़क के किनारे रुकी। बाइक से उतरते ही इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी ने गुस्से में कहा, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहां मछली बेचने की? तुम्हारे चलते सड़क पर जाम लग सकता है। यहां से तुरंत हटो।” इतना कहकर उसने जोर से टोकरा लात मार दिया। मछलियां जमीन पर गिर गईं और चारों तरफ उनकी बदबू फैल गई।
भीड़ में खड़े लोग इस दृश्य को देखते रहे, लेकिन कोई भी हस्तक्षेप नहीं किया। इंस्पेक्टर महेंद्र लगातार कमला देवी को अपमानित करता रहा। वह चिल्लाया, “यह तुम्हारे बाप की सड़क है क्या? जहां मन किया बैठ गई मछली बेचने। अपनी जगह पर जाकर बेचो।” कमला देवी चुपचाप मछलियां उठाने लगीं, आंखों में आंसू थे, लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं। भीड़ में एक युवक था, जो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध था। उसने मोबाइल निकाला और पूरे वाकये को रिकॉर्ड करने लगा।

कमला देवी मन ही मन सोच रही थीं, “काश मेरी बेटियों को पता न चले कि मैं इस तरह अपमानित हो रही हूं। अगर उन्हें पता चला तो तूफान आ जाएगा।” धीरे-धीरे मछलियां टोकरा में डालकर वह घर की ओर चल पड़ीं। युवक ने वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया, जिसमें उसने लिखा, “इस बूढ़ी औरत की कोई गलती नहीं थी, फिर भी इंस्पेक्टर ने उसकी मछलियां गिरा दीं और अपमानित किया। क्या यह सही है?” वीडियो तेजी से वायरल हो गया।
कुछ ही देर में यह वीडियो निहारिका के मोबाइल पर पहुंचा। उसने वीडियो देखा और उसका खून खौल उठा। वह सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी मां के साथ ऐसा व्यवहार हुआ है। उसने तुरंत वीडियो अपनी बड़ी बहन राधिका को भेजा। राधिका ने वीडियो देखा और गुस्से से लाल हो गई। उसकी आंखों में आंसू भर आए। मन ही मन उसने सोचा, “काश पापा होते तो हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता। हमने इतनी मेहनत की, फिर भी मां को सुख नहीं दे पाए। लेकिन मैं उस इंस्पेक्टर को छोड़ूंगी नहीं। बदला लेकर रहूंगी।”
राधिका ने तुरंत निहारिका को कॉल किया और कहा, “तुम यहीं रहो, मैं घर जा रही हूं और उस इंस्पेक्टर से अपना बदला लेकर रहूंगी।” निहारिका ने भी कहा, “मैं भी आपके साथ चलूंगी। मां के साथ जो हुआ, मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती। उसे उसकी औकात दिखानी होगी।” राधिका ने समझाया, “तुम्हें यहीं रहना चाहिए, मैं मां को लेकर वापस आऊंगी और कहीं आसपास उन्हें रख लूंगी।” थोड़ी बहस के बाद निहारिका मान गई।
राधिका ने अपनी वर्दी उतारी और पीले रंग का सलवार सूट पहन लिया। अब वह एक साधारण गांव की लड़की लग रही थी। बस में बैठकर वह कुछ ही घंटों में घर पहुंच गई। दरवाजा खटखटाते ही कमला देवी ने पूछा, “कौन है?” राधिका ने कहा, “मैं हूं मां, लौट आई हूं।” कमला देवी की आंखों में नमी आ गई। वह डर रही थीं कि कहीं राधिका को इस घटना का पता न चल जाए। लेकिन जब उसने बेटी को देखा तो गले लग गई।
राधिका ने पूछा, “मां, आपके साथ जो हुआ, आपने मुझे क्यों नहीं बताया? यह बहुत गलत है। मैं उस इंस्पेक्टर को सस्पेंड करवा कर ही मानूंगी। उसने कानून के खिलाफ किया है और मैं उसे दिखाऊंगी कि कानून की ताकत क्या होती है।” कमला देवी ने डरते-डरते कहा, “बेटा, छोड़ो पुलिस वाले हैं। क्या हो गया अगर उसने ऐसी बातें कर दी? जाने दो।” राधिका ने सख्ती से कहा, “मां, आप चुप रहिए। मुझे पता है मुझे क्या करना है। उसने जो किया उसकी सजा उसे जरूर मिलेगी।”
इतना कहकर राधिका ने लाल रंग की साड़ी पहनी और सीधे थाने की ओर चल पड़ी। वहां पहुंचकर उसने देखा कि इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी मौजूद नहीं था। केवल दो हवलदार और एसएओ राहुल यादव बैठे थे। राधिका सीधे एसएओ के पास गई और बोली, “मुझे इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी है। उन्होंने मेरी मां के साथ सड़क पर दुर्व्यवहार किया, मछलियां गिरा दीं, थप्पड़ मारा और अपमानित किया। मैं चाहती हूं कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”
राहुल यादव ने चौंक कर कहा, “क्या तुम उस बूढ़ी औरत की बेटी हो? तुम्हें लगता है मैं अपने इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर लूंगा? उसने कोई गलत नहीं किया। और अगर थप्पड़ मारा भी तो क्या हुआ? वह सड़क पर मछली बेच रही थी।” राधिका की आंखों में गुस्सा भड़क उठा। उसने कहा, “हमें कानून मत सिखाइए। मैंने कानून पढ़ा है और जानती हूं कि इसमें क्या लिखा है। मैं उसी कानून की मदद से उसे सजा दिलवाऊंगी। अगर आपने रिपोर्ट नहीं लिखी तो मैं आपके खिलाफ भी कार्रवाई करूंगी।”
राहुल यादव हैरान रह गया। उसने पूछा, “तुम कौन हो? तुम्हारी इतनी औकात कहां से आई?” राधिका ने बिना कुछ कहे अपना सरकारी आईडी कार्ड मेज पर रख दिया। आईडी देखते ही राहुल यादव की आंखें फटी रह गईं। घबराते हुए बोला, “आप आर्मी ऑफिसर हैं? सॉरी मैडम, बताइए क्या करना होगा?” राधिका ने सख्त लहजे में कहा, “यह थाने की हालत खराब है। सॉरी से कुछ नहीं होगा। अब मैं सीधे आपके खिलाफ और आपके इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई करवाऊंगी।”
इतना कहते ही थाने का दरवाजा खुला और इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी अंदर आया। वह हल्की मुस्कान के साथ बोला, “क्या बात है? क्या करने आई हो?” वह सीधे राधिका के सामने खड़ा हो गया। राधिका के मन में गुस्से का तूफान था, लेकिन उसने संयम रखा और कहा, “याद रखना, मैं तुम्हें सस्पेंड करवा कर रहूंगी। तुम्हें कानून में रहने का कोई हक नहीं। मेरे शब्द तुम्हारे लिए भारी पड़ेंगे।” इतना कहकर वह थाने से निकल गई।
थाने में खड़े सिपाही राहुल यादव और महेंद्र खुद सोच में पड़ गए। क्या यह लड़की सच में कार्रवाई करेगी? राधिका घर लौटी और कुछ देर सोचती रही। फिर एक योजना उसके दिमाग में आई। अगली सुबह वह सीधे एसपी ऑफिस पहुंची। वहां एसपी प्रिया गुप्ता बैठी थीं। राधिका ने बिना वक्त गवाए अपना मोबाइल निकाला और वायरल वीडियो दिखा दिया। उसने कहा, “मैडम, मैं इंस्पेक्टर महेंद्र के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहती हूं।”
प्रिया गुप्ता ने गंभीर लहजे में कहा, “मुझे पता है आप आर्मी ऑफिसर हैं, लेकिन हमें सबूत और गवाह चाहिए। जब तक आप ठोस सबूत और गवाह लेकर नहीं आतीं, तब तक कार्रवाई संभव नहीं है।” राधिका ने हामी भरी और निकल पड़ी। घर आकर उसने उस सोशल मीडिया अकाउंट की जांच शुरू की, जिससे वीडियो पोस्ट हुआ था। कुछ ही घंटों में वह युवक मिल गया जिसने वीडियो बनाया था। वह उसके घर गई और बोली, “तुमने यह वीडियो अपनी आंखों के सामने रिकॉर्ड किया है। मुझे इसका ओरिजिनल वर्जन चाहिए और तुम्हें गवाह बनना होगा।”
युवक पहले तो घबराया, फिर मान गया और बिना एडिट का वीडियो दे दिया। राधिका उसे लेकर दोबारा एसपी ऑफिस पहुंची। प्रिया गुप्ता ने सबूत देखे और सीधे डीएम विक्रम को फोन लगाया। डीएम ने वीडियो देखा और भड़क उठे। “यह इंस्पेक्टर ने बहुत गलत किया है और कानून के खिलाफ है। इसे सजा मिलेगी।”
अगले दिन डीएम ने जिले के सबसे बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रेस मीटिंग बुलाई। मीडिया की गाड़ियां बाहर कतार में खड़ी थीं। डीएम ने कहा, “कल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक पुलिस इंस्पेक्टर ने एक बुजुर्ग महिला के साथ दुर्व्यवहार किया। यह नैतिकता के खिलाफ है और पुलिस आचार संहिता का उल्लंघन है। हमारे पास ठोस सबूत और प्रत्यक्षदर्शी गवाह मौजूद हैं।”
राधिका मंच पर आई और बोली, “मैं राधिका, भारतीय सेना की कैप्टन हूं और यह महिला मेरी मां कमला देवी हैं। मैंने कानून पढ़ा है और जानती हूं कि किसी भी इंसान को सड़क पर अपमानित करना अपराध है। चाहे वह कोई आम आदमी हो या पुलिस अफसर, कानून सबके लिए बराबर है।” पत्रकारों ने सवाल किए, “क्या आप केवल इंस्पेक्टर पर कार्रवाई चाहती हैं या अन्य लोग भी शामिल हैं?” राधिका ने जवाब दिया, “केवल इंस्पेक्टर नहीं, थाने के एसएओ राहुल यादव भी दोषी हैं।”
एसपी प्रिया गुप्ता ने कहा, “हमने आंतरिक जांच शुरू कर दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए मैं सिफारिश करती हूं कि दोनों अफसरों को तत्काल निलंबित किया जाए।” डीएम ने आदेश पढ़ा, “तत्काल प्रभाव से इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी और एसएओ राहुल यादव को निलंबित किया जाता है।” यह आदेश पुलिस मुख्यालय और गृह मंत्रालय को भी भेजा जाएगा।
यह खबर गांव में आग की तरह फैल गई। कमला देवी के घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। कमला देवी बार-बार कह रही थीं, “मुझे बदला नहीं चाहिए था, बस इज्जत चाहिए थी। मेरी बेटियां आग हैं, जो अन्याय बर्दाश्त नहीं करतीं।” थाने में सिपाहियों में खलबली मच गई। महेंद्र चौधरी ने गुस्से में आदेश फेंक दिए, लेकिन राहुल यादव के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था।

टीवी चैनलों पर हेडलाइन आई, “इंस्पेक्टर और एसएओ सस्पेंड, आर्मी ऑफिसर ने दिलाया मां को इंसाफ। वायरल वीडियो बना हथियार।” राधिका के मोबाइल पर बधाई के कॉल आने लगे। लेकिन उसने कहा, “यह सिर्फ मेरी मां का मामला नहीं है, यह उन सभी के लिए है जो अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं।”
एक हफ्ते बाद विभागीय जांच में दोनों अफसर दोषी पाए गए। रिपोर्ट में लिखा था कि इंस्पेक्टर महेंद्र चौधरी ने पद का दुरुपयोग किया, अनुशासन भंग किया और जनता के साथ अमर्यादित व्यवहार किया। एसएओ राहुल यादव ने शिकायत दर्ज करने से इंकार किया और ड्यूटी की अवहेलना की। राज्य पुलिस मुख्यालय ने आदेश दिया कि दोनों अफसरों को बर्खास्त किया जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
जब यह खबर कमला देवी के घर पहुंची, तो राधिका ने कहा, “मां, यह जीत सिर्फ हमारी नहीं, हर उस इंसान की है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है।” कमला देवी ने आंसुओं के साथ मुस्कुराते हुए बेटी को गले लगा लिया, “तुमने सिर्फ मेरा ही नहीं, इस गांव का सिर ऊंचा कर दिया।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम हिम्मत और न्याय के लिए खड़े हों, तो अन्याय को हराया जा सकता है। कानून का शासन तभी मजबूत होता है जब हर नागरिक, चाहे वह आम हो या अधिकारी, कानून के सामने बराबर हो। राधिका और निहारिका जैसी बहनों की वजह से ही समाज में बदलाव आता है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठती है।
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