पुलिस वालों ने IPS मैडम की बहन के साथ बत्तीमीज की सारी हद पार कर दी.. फिर जो हुआ सब हैरान रह गए
लखनऊ की एक तपती दोपहर थी। कॉलेज की छात्रा अनुष्का राव अपनी स्कूटी पर घर लौट रही थी। तेज धूप, थकान और पसीने के बावजूद उसकी निगाहें सड़क पर टिकी थीं। जैसे ही वह बस स्टैंड वाले चौराहे पर पहुँची, दो पुलिसकर्मियों ने उसे अचानक रुकने का इशारा किया।
“स्कूटी साइड में लगाओ!” — इंस्पेक्टर विकास सिंह की आवाज में सख्ती थी। उसके साथ खड़ा था सब-इंस्पेक्टर दीपक वर्मा, जिसकी आँखों में ताकत का नशा और चेहरे पर उपेक्षा थी।
अनुष्का चौंकी, मगर संयम से बोली, “जी सर, क्या बात है?”
दीपक ने उसकी स्कूटी की हेडलाइट की ओर इशारा करते हुए कहा, “हेडलाइट खराब है। 5000 रुपए जुर्माना दो, वरना स्कूटी जब्त कर लेंगे।”
अनुष्का ने शांत लेकिन आत्मविश्वास से कहा, “मेरी लाइट तो बिलकुल ठीक है, सर। आप चाहें तो देख सकते हैं।”
विकास का चेहरा गुस्से से तमतमाने लगा। उसने तीखे लहजे में कहा, “बहुत अक्ल मत झाड़ो लड़की! यहाँ हमारा कानून चलता है। ज्यादा बात की तो अंजाम बुरा होगा।”
अनुष्का ने साहस नहीं छोड़ा। बोली, “अगर कानून के तहत चालान काटना है, तो कीजिए। मैं आपको कैश में पैसे नहीं दूँगी।”
यह सुनकर दोनों पुलिसकर्मी भड़क उठे। विकास ने अनुष्का का बाजू पकड़ लिया और गुस्से में बोला, “यहाँ किताबों का नहीं, वर्दी का कानून चलता है।” दीपक ने स्कूटी को जबरन एक तरफ किया और उस पर लात मार दी जिससे उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।
डरी हुई अनुष्का ने खुद को संभालते हुए तुरंत अपनी बहन स्नेहा राव को फोन किया — जो एक सशक्त और ईमानदार आईपीएस अधिकारी थी। अनुष्का ने कांपती आवाज में कहा, “दीदी, जल्दी आओ, बस स्टैंड वाले चौराहे पर हूँ, ये पुलिसवाले…”
इतने में ही विकास ने फोन पर हाथ मारा, फोन ज़मीन पर गिरा लेकिन कॉल जारी रही। स्नेहा ने हर शब्द सुन लिया था।
विकास ने झुंक कर अनुष्का से कहा, “अब देखेंगे तेरी दीदी कैसे तुझे बचाती है।” फिर वह एक गंदी बाल्टी उठाकर लाया और उसमें भरा नाली का पानी अनुष्का पर उंडेल दिया। पानी उसके बालों, चेहरे और कपड़ों पर टपकने लगा, लेकिन उसकी आंखों में डर नहीं, गुस्सा और विश्वास था — अपनी बहन पर।
करीब बीस मिनट बाद, एक पुलिस जीप चौराहे पर तेज़ रफ्तार से आकर रुकी। स्नेहा राव उतरीं, चेहरे पर गुस्सा और आंखों में सख्ती थी। वह सीधे अपनी बहन के पास पहुँची। अनुष्का ने कंपकंपाती आवाज में कहा, “दीदी, ये सिर्फ पुलिसवाले नहीं हैं। इनके पीछे कोई बड़ा आदमी है जो इन्हें बचाता है।”
स्नेहा ने बिना समय गवाए, अपनी जीप सीधे पुलिस हेडक्वार्टर की ओर मोड़ी। वहां पहुँचते ही वह डीएसपी रोहित शर्मा के सामने खड़ी हुईं।
“इंस्पेक्टर विकास सिंह और सब-इंस्पेक्टर दीपक वर्मा को अभी तलब कीजिए। उन्होंने मेरी बहन पर हमला किया, गंदा पानी डाला, रिश्वत मांगी और स्कूटी जब्त की,” स्नेहा ने कहा।
डीएसपी ने पहले टालने की कोशिश की, “मैडम, शायद कोई गलतफहमी हो गई हो।”
“गलतफहमी नहीं, गुंडागर्दी हुई है,” स्नेहा ने मेज पर हाथ मारते हुए कहा। “जब तक वे दोनों सामने नहीं आते, मैं यहीं रहूँगी।”
आखिरकार डीएसपी ने बताया कि विकास और दीपक शहर के पश्चिमी बाईपास के पीछे एक पुराने गोदाम में हैं।
स्नेहा ने फौरन अपनी पुलिस यूनिट को बुलाया और लोकेशन भेजते हुए निकल पड़ी। जब वह गोदाम के पास पहुँची, वहां कुछ हथियारबंद लोग खड़े थे। स्नेहा ने ऊँची आवाज में कहा, “विकास और दीपक को बाहर भेजो, वरना हम अंदर घुसेंगे।”
भीतर से विकास की मक्कार हँसी गूँजी — “वाह मैडम, आपका ही इंतज़ार था।”
गोदाम का दरवाज़ा खुला और विकास वर्दी में लेकिन गुंडों की तरह सामने आया। उसके पीछे दीपक वर्मा भी मुस्कराता हुआ खड़ा था।
“बहन की मोहब्बत तुम्हें यहाँ ले आई?” विकास ने व्यंग्य से कहा।
“तुमने मेरी बहन को मारा, अपमानित किया और रिश्वत माँगी। अब वर्दी तुम्हें नहीं बचाएगी,” स्नेहा ने डटकर कहा।
स्नेहा ने अपनी यूनिट को इशारा किया — “दरवाजा तोड़ो!” और पुलिस ने धावा बोल दिया। अंदर से न सिर्फ दीपक और विकास को हिरासत में लिया गया, बल्कि अवैध हथियार, नशीले पदार्थ, और चोरी का माल भी बरामद हुआ।
उसी समय, सोशल मीडिया पर अनुष्का पर हुए हमले का वीडियो वायरल हो चुका था। एक राहगीर ने चुपचाप पूरी घटना रिकॉर्ड की थी। कुछ ही घंटों में #JusticeForAnushka देशभर में ट्रेंड करने लगा। टीवी चैनलों ने इसे प्रमुखता से दिखाया। यह सिर्फ एक बहन का मामला नहीं रह गया था, यह देशव्यापी आंदोलन बन चुका था।
स्नेहा ने अपनी बहन के साथ मिलकर विकास और दीपक पर कई धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया — शारीरिक हमला, आपराधिक दुराचार, रिश्वतखोरी, पद का दुरुपयोग, और अवैध गतिविधियों में संलिप्तता।
मुकदमा शुरू हुआ। अदालत में अनुष्का ने अपनी आपबीती सुनाई। उसके घायल हाथ, गंदे पानी से भीगे कपड़े और वीडियो फुटेज सबूत बने। वहीं, स्नेहा ने गोदाम से मिली चीजें और विकास-दीपक की पुरानी आपराधिक गतिविधियों के रिकॉर्ड भी अदालत में पेश किए।
विकास और दीपक के वकीलों ने इसे “गलतफहमी” कहा, लेकिन साहसी गवाह, पब्लिक प्रेसर, और मजबूत साक्ष्यों ने केस को एक नया मोड़ दिया।
कई हफ्तों की सुनवाई के बाद अदालत ने सख्त फैसला सुनाया —
विकास सिंह और दीपक वर्मा को दोषी पाया गया। उन्हें कठोर कारावास की सजा दी गई। यह फैसला पूरे देश के लिए एक चेतावनी था — कि अब वर्दी के पीछे छुपे अपराधियों की जगह जेल में है।
न्याय का उजाला
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद स्नेहा राव को उनकी बहादुरी और ईमानदारी के लिए सम्मानित किया गया। वे सत्य और न्याय की प्रतीक बन गईं।
अनुष्का ने इस अनुभव को अपनी ताकत बना लिया। उसने एक NGO शुरू किया जो पुलिस उत्पीड़न के शिकार लोगों की मदद करता है।
सूरज ढल रहा था, लेकिन उसकी आखिरी किरणें गोदाम की टूटी दीवारों पर चमक रही थीं — जैसे कह रही हों कि अंधेरा चाहे जितना भी घना हो, इंसाफ की रौशनी उसे भेद सकती है।
स्नेहा ने गहरी सांस ली। उसे पता था कि यह अंत नहीं, बस एक नई शुरुआत है।
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