अनाथ बच्चे को दूध पिलाया तो नौकरी गयी , अगले दिन उसी बच्चे का पिता सामने आया तो मालिक के होश उड़ गए!

करुणा – एक लड़की की दया, जिसने उसकी किस्मत बदल दी

क्या कभी सोचा है, एक पल की दयालुता आपकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान ला सकती है?
या वही तूफान आपको ऐसी मंजिल पर पहुंचा सकता है, जिसके बारे में आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा?

यह कहानी है करुणा की—एक साधारण सी लड़की, जिसने एक भूखे अनाथ बच्चे के आंसू पोंछे और बदले में अपनी नौकरी गंवा दी।
लेकिन अगले ही दिन जो सच सामने आया, उसने उसके मालिक के होश उड़ा दिए और करुणा की दुनिया हमेशा के लिए बदल गई।

संगम टी स्टॉल – मजबूरियों का संगम

शहर के एक कोने में, गाड़ियों के शोर और भीड़ के बीच एक छोटा सा चाय का ढाबा था—संगम टी स्टॉल
यहां काम करती थी 27 साल की करुणा।
बचपन में मां-बाप गुजर गए, छोटी बहन की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी।
दिनभर ग्राहकों को चाय परोसना, बर्तन धोना, मालिक की डांट सुनना—यही उसकी रोजमर्रा की जिंदगी थी।

ढाबे का मालिक सेठ धर्मपाल—नाम धर्मपाल, लेकिन धर्म से कोई वास्ता नहीं।
बेहद लालची और कठोर। हर चीज का हिसाब सिर्फ पैसों में करता था।
करुणा को महीने के आखिर में जो तनख्वाह मिलती थी, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान थी, लेकिन मजबूरी उसे टिकाए हुए थी।

एक भूखा बच्चा – दया का पल

एक दिन, दोपहर में करुणा की नजर सड़क किनारे बैठे एक 5-6 साल के बच्चे पर पड़ी।
मैले कपड़े, बिखरे बाल, आंखों में वीरानी।
करुणा का दिल पसीज गया।
वह चुपके से दूध और रोटी लेकर बच्चे के पास पहुंची।
बच्चा सहमा, लेकिन करुणा के प्यार से उसने दूध और रोटी खाई जैसे अमृत मिल गया हो।

तभी सेठ धर्मपाल ने देख लिया।
गुस्से में करुणा को नौकरी से निकाल दिया—“यहां कोई चीज बचने के लिए नहीं होती। तुम क्या अपने बाप का माल लुटा रही हो? कल से काम पर आने की जरूरत नहीं!”

करुणा की आंखों में आंसू थे। उसने माफी मांगी, लेकिन धर्मपाल पत्थर दिल था।
भारी मन से करुणा ढाबा छोड़ आई।
रातभर उसे नींद नहीं आई—छोटी बहन की चिंता, घर का किराया, स्कूल की फीस… अब क्या होगा?

अगली सुबह – किस्मत का मोड़

अगली सुबह, संगम टी स्टॉल पर एक बड़ी चमचमाती कार आकर रुकी।
उसमें से उतरे आनंद प्रकाश—महंगे कपड़ों में, बॉडीगार्ड्स के साथ।
उन्होंने ढाबे के लोगों को एक बच्चे की तस्वीर दिखाई—वही बच्चा जिसे करुणा ने दूध पिलाया था।
धर्मपाल ने झूठ बोल दिया—“एक लड़की इसे दूध पिला रही थी, शायद वही इसे ले गई हो।”

आनंद प्रकाश ने धर्मपाल से करुणा का पता लिया और उसके घर पहुंचे।
करुणा घबरा गई। आनंद प्रकाश बोले—“जिस बच्चे को तुमने दूध पिलाया था, वह मेरा बेटा मुन्ना है।
कल कुछ गुंडों ने उसका अपहरण किया था, वह किसी तरह भाग निकला और रास्ता भटक गया।
तुमने उसकी मदद की थी।”

आनंद प्रकाश ने करुणा को चेक दिया, लेकिन करुणा ने लेने से इंकार कर दिया—“मैंने इंसानियत के नाते किया, मुझे कोई इनाम नहीं चाहिए।”

आनंद प्रकाश उसकी ईमानदारी से प्रभावित हुए।
उन्होंने करुणा को अपने घर पर बेटे की देखभाल के लिए नौकरी ऑफर की—“तनख्वाह तुम्हारी मर्जी की, और मेरे बेटे को तुम्हारी जरूरत है।”

करुणा को विश्वास नहीं हुआ—एक पल में उसकी दुनिया बदल गई थी।

सच का सामना – इंसानियत की जीत

आनंद प्रकाश ने करुणा को लेकर संगम टी स्टॉल पहुंचे।
धर्मपाल इनाम की उम्मीद में खुश था, लेकिन जब आनंद प्रकाश ने सबके सामने कहा—
“तूने एक ऐसी लड़की को नौकरी से निकाल दिया, जिसने मेरे बेटे की जान बचाई।
अगर यह मेरा बेटा नहीं होता, कोई आम बच्चा होता, तो क्या उसे भूखा मरने देता?”

आनंद प्रकाश ने धर्मपाल को दुकान से निकाल दिया—“आज से यह दुकान करुणा की है।
कभी किसी भूखे को खाली हाथ मत लौटाना।”

करुणा की आंखों में आंसू थे—लेकिन इस बार खुशी के।

नई शुरुआत – नेकी का इनाम

कुछ ही दिनों में करुणा ने मेहनत और लगन से संगम टी स्टॉल को नई पहचान दी।
अब वहां गरीबों के लिए मुफ्त खाने का भी इंतजाम होता था।
आनंद प्रकाश और मुन्ना अक्सर वहां आते, करुणा के हाथ की चाय पीते।
मुन्ना भी करुणा से बहुत घुल मिल गया।

कहानी की सीख:
एक छोटी सी नेकी ना सिर्फ किसी की जान बचा सकती है, बल्कि आपकी अपनी जिंदगी को भी नई दिशा दे सकती है।
कभी किसी जरूरतमंद की मदद करने से पीछे मत हटिएगा।
क्या पता आपकी छोटी सी मदद किसी के लिए कितनी बड़ी साबित हो जाए।

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