कोर्ट में भिखारी की एंट्री, जज ने उठकर दिखाया असली सम्मान!

कोर्ट में एक भिखारी आया, तो जज भी खड़ा हो गया — एक अनकही कहानी

वाराणसी की कचहरी में एक सन्नाटा छाया था। कोर्ट रूम नंबर पांच में जज अयान शंकर अपनी कुर्सी पर बैठने वाले थे। तभी दरवाजा खुला और अंदर दाखिल हुआ एक फटे-पुराने कपड़ों में बुजुर्ग भिखारी। लोगों की निगाहें तिरस्कार से भर गईं, लेकिन जज साहब ने अपनी कुर्सी छोड़कर उस भिखारी के लिए खड़े होकर सम्मान दिखाया। कोर्ट रूम में सब स्तब्ध रह गए।

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यह भिखारी कोई और नहीं, बल्कि लक्ष्मण नारायण त्रिपाठी थे — वाराणसी के एक पूर्व वकील, जो सिस्टम की गलती की वजह से बेघर हो चुके थे। कभी गरीबों के लिए मुफ्त केस लड़ने वाले ये बुजुर्ग, अपने बेटे की गलती की वजह से जेल और बेइज्जती का शिकार हो गए थे। उनका बेटा राघव एक बड़े रियल एस्टेट घोटाले में फंसा था, जिसकी सारी संपत्ति पिता के नाम थी। जब जेल से बाहर आए, तो उनका घर बिक चुका था और बेटा शहर छोड़ चुका था।

कोर्ट में जज साहब ने जब बाबा से पूछा कि क्या वे कुछ कहना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा, “साहब, कहना तो बहुत कुछ है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था। इसलिए चुप रहा।” बाबा ने अपने पुराने झोले से एक फटा हुआ लिफाफा निकाला, जिसमें अधिवक्ता पहचान पत्र और अधूरी याचिका थी। जज ने पढ़ते हुए उनकी आंखों में आंसू देखे।

कोर्ट में मौजूद वकील सुधांशु मिश्रा, जो पहले बाबा का मजाक उड़ाते थे, अब खड़े होकर कहा, “यह केस सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि सिस्टम की चूक की मिसाल है। मैं याचिका दायर करता हूं कि इस मामले की दोबारा सुनवाई हो।”

नई सुनवाई में जज अयान शंकर ने राघव को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया। जब राघव पेश हुआ, उसने कबूल किया कि उसने अपने पिता के दस्तखत नकली किए थे। कोर्ट में सन्नाटा छा गया। जज ने फैसला सुनाया कि लक्ष्मण नारायण त्रिपाठी निर्दोष हैं, उन्हें उनका वकालत का लाइसेंस वापस मिलेगा और सरकार से माफी भी मिलेगी।

अगले दिन बाबा फिर से कोर्ट के बाहर बैठे थे, लेकिन अब लोग उन्हें सम्मान की नजरों से देखते थे। जज अयान शंकर चुपके से उनके पास आए और बोले, “आज मैंने न्याय नहीं किया, आज मैंने सिर्फ एक कर्ज चुकाया है।”

यह कहानी है विश्वास, न्याय और हौसले की, जो सिस्टम की गलती के बावजूद टूटता नहीं। लक्ष्मण नारायण त्रिपाठी सिर्फ एक भिखारी नहीं, बल्कि सच के लिए लड़ने वाला एक योद्धा थे।

दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि इंसानियत और न्याय की कीमत कभी कम नहीं होती। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे जरूर शेयर करें और अपने विचार कमेंट में बताएं। जय हिंद!