मां किचन में खाना बना रही थी.. तभी एक कॉल ने उसकी रातों की नींद उड़ा दी – फिर जो हुआ
एक रात की कॉल ने बदल दी एक मां-बेटी की ज़िंदगी – मनीषा की रहस्यमयी कहानी
मुंबई की एक साधारण रात थी।
मनीता देवी अपनी बेटी मनीषा का इंतजार कर रही थी,
जो कॉलेज से देर से लौट रही थी।
तभी अचानक फोन की घंटी बजी –
स्क्रीन पर “मनीषा कॉलिंग” लिखा था।
मनीता ने राहत की सांस ली, लेकिन
फोन उठाते ही मनीषा की आवाज़ में घबराहट थी:
“मम्मी, मैं घर नहीं आ सकती। मुझे आपसे कुछ कहना है, लेकिन कल सुबह बताऊंगी। जो भी हो, आप मुझसे प्यार करती रहना।”
और कॉल कट गई।
.
.
.
मनीता की चिंता बढ़ गई।
फोन बार-बार किया, लेकिन स्विच्ड ऑफ।
परेशान होकर वह पड़ोसी रमेश अंकल के पास गई –
जो रिटायर्ड पुलिस अफसर थे।
रमेश अंकल ने समझाया –
“अगर सुबह तक मनीषा नहीं आई, तो पुलिस को बताएंगे।”
सुबह तक मनीषा घर नहीं आई।
पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हुई।
फोन की लोकेशन शहर के बाहर एक फार्म हाउस पर मिली।
पुलिस टीम वहां पहुंची,
मनीषा एक बुजुर्ग कपल के साथ मिली।
लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा
जब कपल ने कहा –
“मनीषा हमारी बेटी है, 22 साल से हमारे साथ ही रहती है।”
मनीषा भी यही कह रही थी –
उसे अपनी असली मां की कोई याद नहीं थी।
डीएनए टेस्ट हुआ।
रिपोर्ट आई –
मनीषा, मनीता की ही बेटी थी।
लेकिन उसकी यादें गायब थीं।
मनीता फार्म हाउस गई,
बुजुर्ग कपल सुरेश जी और कमला देवी मिले।
22 साल पहले उनकी बेटी की मौत हो गई थी,
उसी दिन उन्हें एक बच्ची मिली,
जिसे उन्होंने अपनी बेटी मानकर पाला।
धीरे-धीरे मनीषा की यादें लौटने लगीं।
उसने बताया –
“मुझे याद है, एक दिन मैं गुम हो गई थी। सुरेश अंकल और कमला आंटी ने मुझे अपनाया।”
अब मनीषा के पास दो परिवार थे,
दो मां, दो पिता।
समझौता हुआ –
मनीषा कुछ दिन अपनी असली मां के साथ,
कुछ दिन फार्म हाउस में रहती।
एक दिन, मनीषा ने सबको चौंका दिया –
“जब मैं छोटी थी, मुझे एक लेडी मिली थी।
उसने वादा किया था कि मैं कभी अकेली नहीं रहूंगी।
वह हमेशा मेरी रक्षा करेगी।”
सबको लगा, यह बच्चों की कल्पना है।
लेकिन घर में बार-बार जैसमीन की खुशबू आती,
कभी किचन में फूल मिलते,
कभी कमरे में हल्की रोशनी दिखती।
मनीषा की नौकरी लग गई।
पहले दिन ऑफिस में सब अच्छा हुआ।
रात को उसे फिर वह डिवाइन प्रेजेंस महसूस हुई –
एक सुंदर महिला की झलक,
जो मुस्कुरा रही थी,
आशीर्वाद दे रही थी।
“मैं सिर्फ प्यार हूं बेटा।
मैं तुम्हारे चारों माता-पिता का प्यार हूं,
जो तुम्हारी रक्षा करता है।”
मनीषा समझ गई –
यह कोई गार्डियन एंजल थी,
जो उसके परिवार के प्यार का रूप थी।
समय बीता।
मनीषा ने राहुल से शादी की।
शादी के दिन हर फोटो में दिव्य प्रकाश था,
हर जगह जैसमीन की खुशबू।
सबको महसूस हुआ –
कोई डिवाइन शक्ति साथ है।
कुछ साल बाद मनीषा मां बनी।
बेटे का नाम “आशीष” रखा –
क्योंकि वह सबके लिए आशीर्वाद था।
जब भी घर में कोई खास पल आता,
जैसे आशीष का पहला कदम,
पहला शब्द,
घर में फिर जैसमीन की खुशबू फैल जाती।
मनीषा जानती थी –
उसकी गार्डियन एंजल हमेशा उसके साथ है।
वह अपने बेटे को भी यही कहानी सुनाती –
“हमारे घर में एक स्पेशल एंजल है,
जो हमें प्यार और सुरक्षा देती है।”
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है –
प्यार कभी खत्म नहीं होता।
चाहे वह मां का प्यार हो,
परिवार का प्यार हो,
या डिवाइन फोर्स का प्यार।
अगर दिल से किसी को चाहो,
तो भगवान भी मदद करते हैं।
कभी-कभी परिवार सिर्फ खून का रिश्ता नहीं,
बल्कि दिल का रिश्ता होता है।
और सच्चा प्यार –
हमेशा हमारी रक्षा करता है।
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मिलते हैं अगली कहानी में।
जय हिंद। वंदे मातरम।
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