इंटरव्यू में अपमानित हुआ युवक — 7 दिन बाद उसी कंपनी का मालिक बना!
लाल साड़ी वाली – एक छोटे शहर की लड़की ने कॉर्पोरेट दुनिया को हिला दिया
उस दिन सबने उसे देखा, लेकिन उसकी काबिलियत किसी ने नहीं देखी। रिसेप्शन से लेकर इंटरव्यू रूम तक, हर जगह सिर्फ उसकी साड़ी, उसकी भाषा और उसके पहनावे पर ताने, हंसी और तिरस्कार मिला। “तुम जैसी लड़की कॉर्पोरेट में नहीं टिक सकती,” ये कहकर उसे बाहर निकाल दिया गया। मगर किसी ने नहीं जाना कि जिसे उन्होंने ठुकराया, वो सिर्फ एक कैंडिडेट नहीं, एक तूफान थी।
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सात दिन बाद… ठीक सात दिन बाद वही दरवाजा फिर खुला। इस बार कहानी बदल चुकी थी। एक ईमेल, कंपनी में हलचल—आज बोर्ड मीटिंग है, सभी विभाग अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें। ऑडिटोरियम में सन्नाटा था। तभी लाल बनारसी साड़ी में अनन्या अंदर दाखिल हुई। साथ में एक बुजुर्ग—राजनाथ सूर्यवंशी, नए मुख्य निवेशक। सब हैरान, “ये वही लड़की है ना…?”
मंच पर अनन्या ने स्क्रीन पर एक वीडियो चलाया—वही इंटरव्यू, वही तिरस्कार, वही हंसी। सबके चेहरों पर शर्म, आंखें झुकी हुई। अनन्या ने माइक थामा, “मैं बदला लेने नहीं, बदलाव लाने आई हूं। ताकि कोई और लड़की सिर झुकाकर बाहर न जाए।”
राजनाथ जी बोले, “आपने मेरी बेटी नहीं, सिस्टम का अपमान किया। अब भर्ती योग्यता और इंसानियत के आधार पर होगी, न कि कपड़े या भाषा के।”
अनन्या ने ऐलान किया—”आज से कंपनी में नई भर्ती प्रक्रिया होगी, पुराने सिस्टम को बदलना होगा।”
वो रिसेप्शन पर तंज कसने वाली लड़कियां, पांचों इंटरव्यूअर—सभी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। “यह बदले के लिए नहीं, इंसाफ के लिए है,” अनन्या ने कहा।
सच्चा बदलाव अनन्या ने बताया, “मैं सिर्फ किसी की बेटी नहीं, मैंने अपनी मेहनत से इस कंपनी की 51% हिस्सेदारी खरीदी है।” फिर राहुल को मंच पर बुलाया, जिसने इंटरव्यू के दिन इंसानियत दिखाई थी—”आज से राहुल छोटे शहरों के बच्चों के लिए नई पहल का प्रमुख होगा।”
अब तालियां डर की नहीं, सम्मान और बदलाव की थी।
अनन्या ने कहा, “यह सिर्फ मेरी नहीं, हर उस इंसान की कहानी है जिसे कभी कपड़ों, भाषा या सादगी के लिए कमतर समझा गया। मैंने सिर्फ एक कंपनी नहीं, एक सोच बदली है।”
अगले दिन… अखबारों में हेडलाइन थी—”अनन्या सूर्यवंशी ने कॉर्पोरेट को झकझोरा, योग्यता को मिला सम्मान।”
अनन्या की साड़ी, उसकी सादगी और आत्मविश्वास अब मिसाल बन चुके थे।
उसने सिखाया—सपनों पर यकीन रखने वालों को कोई रोक नहीं सकता।
जो दूसरों को छोटा समझते हैं, वक्त उन्हें सबक जरूर सिखाता है।
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जय हिंद।
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