इंस्पेक्टर ने हमला औरत को धक्का दिया… फिर उसका अंजाम क्या हुआ?
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इंसाफ की लड़ाई
सुबह का वक्त था। शहर की मशरूफ सड़क के किनारे एक बूढ़ी औरत टोकड़ी में ताजा मछलियां रखे बैठी थी। उसके हाथों पर झुर्रियों की जालियां थीं, लेकिन मेहनत और गरीबी ने उन्हें और भी सख्त कर दिया था। उसकी आंखों में थकान थी, लेकिन उम्मीद भी थी कि आज कुछ ग्राहक आएंगे, ताकि दिन भर के लिए चूल्हा जल सकेगा।
उसी दौरान, एक औरत आहिस्ता-आहिस्ता चलती हुई वहां आई। उसके कदम बोझिल थे, सांस फूली हुई थी और एक हाथ से वह अपना पेट थामे हुए थी। वह औरत हामिला थी और उसके चेहरे पर नकाहत साफ झलक रही थी। उसने मुश्किल से अपनी जुबान को जुबिश दी और बूढ़ी औरत से कहा, “मां जी, मुझे मछली दे दो। मुझे घर जल्दी जाना है। तबीयत बहुत खराब है। खड़ा होना मुश्किल हो रहा है।”
बूढ़ी औरत ने हमदर्दी से उसकी तरफ देखा और जल्दी से टोकड़ी में से ताजा मछली निकालकर थैले में डालने लगी। अभी वह औरत पैसे निकाल ही रही थी कि अचानक सड़क पर बाइक के ब्रेक चरचरा कर रुके। एक पुलिस वाला उतरा, वर्दी में, चेहरे पर गरूर और जुबान पर रौनक। वह सीधा मछली वाली के पास आया और बुलंद आवाज में कहा, “हो बुढ़िया, मछली देना मुझे जल्दी कर, टाइम नहीं है मेरे पास।”
बूढ़ी औरत ने अदब से कहा, “बेटा, यह बहन पहले आई है, उसे दे लूं फिर तुम्हें भी दे दूंगी।”
लेकिन इससे पहले कि बूढ़ी औरत कुछ कर पाती, हामिला औरत ने हिम्मत करके कहा, “भाई, प्लीज, मुझे पहले लेने दीजिए। मैं बहुत तकलीफ में हूं, खड़ा होना मुश्किल है, घर भी दूर है। बराहे करम मेरी हालत को समझें।”
यह सुनना था कि पुलिस वाले का गुरूर जैसे आग भड़क उठा। वह गुस्से से आगे बढ़ा और जोर से चीखा, “तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे रोकने की? मैं पुलिस वाला हूं। सबसे पहले मैं ही लूंगा। समझ आई?”
बूढ़ी औरत ने घबरा कर कहा, “बेटा, तुमसे पैसे तो लेने नहीं हैं। तुम तो वैसे भी फ्री में ले जाओगे। मेरा सुबह का वक्त है। पहला ग्राहक है। अगर दिन का पहला सौदा ही यूं टूट गया, तो सारा दिन खराब हो जाएगा। मुझे इस बहन को लेने दे। फिर तुम्हें भी दे दूंगी।”

यह बात पुलिस वाले के गुरूर पर जैसे हथौड़े की तरह लगी। वह चीख पड़ा, “ओ बुढ़िया, मुझे सबक सिखा रही है। तुझ में इतनी जुर्रत कहां से आई?” और अगले ही लम्हे वह दोनों औरतों पर कहर बनकर टूट पड़ा। उसने बूढ़ी औरत की सारी टोकड़ी उलट दी। मछलियां उस सड़क पर बिखर गईं। कुछ गाड़ियों के पहियों तले कुचली जाने लगीं। एकदम शोर मच गया। लोग जमा हो गए। कोई हैरान, कोई खौफजदा और कोई इस जुल्म पर चुपचाप तमाशा देखने लगा।
हामिला औरत ने यह मंजर देखा तो उसका दिल कट गया। आंखों में आंसू भर आए। उसने लरजती आवाज में कहा, “शर्म आनी चाहिए आपको। आप एक पुलिस वाले होकर आवाम की हिफाजत करने के बजाय हमें नुकसान पहुंचा रहे हो। क्या यह आपका फर्ज है?”
उसकी यह बात पुलिस वाले के दिल को नहीं बल्कि उसके तकबुर को लगी। वह आग बगोला हो गया। “जबान लड़ाती है मुझसे,” और उसने गुस्से में आकर हामिला औरत को जोर का धक्का दे दिया। औरत सीधी जमीन पर गिरी। वह सड़क पर बिखरी हुई मछलियों के दरमियान तड़पने लगी। उसके हाथ पेट पर थे और उसके लबों से सिर्फ एक ही जुमला निकल रहा था, “या अल्लाह रहम कर।”
बूढ़ी औरत भागकर उसके पास आई। उसे सहारा दिया, मगर औरत की हालत बिगड़ती जा रही थी। मजमा तमाशा देख रहा था। कोई आगे नहीं बढ़ा। हां, एक नौजवान लड़का जरूर था जो यह सारा मंजर अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा था। वह सोशल मीडिया पर पहले ही काफी मशहूर था और अक्सर हादसात या हकीकत पर मबनी वीडियो अपलोड करता रहता था। आज उसने जुल्म और नाइंसाफी का यह बदतरीन मंजर अपनी आंखों से देखा तो मोबाइल निकाल कर सब रिकॉर्ड करने लगा।
दूसरी तरफ, पुलिस वाला हंसी उड़ा रहा था। “यह सब ड्रामे हैं। पेट से है तो घर से क्यों निकली थी? पुलिस वाले को आंखें दिखाएगी तो यही हाल होगा।” यह कहकर उसने बूढ़ी औरत की सारी बिखरी हुई मछलियां एक-एक करके अपने थैले में डाली। बाइक पर रखी और इत्मीनान से हंसता हुआ वहां से चला गया।
बूढ़ी औरत अपनी रोजीरोटी यूं बर्बाद होते देखकर भी रुकी नहीं। उसने मछलियां वहीं छोड़ दी और तड़पती हुई औरत को सहारा देकर करीबी अस्पताल की तरफ दौड़ पड़ी।
अस्पताल में
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने हालत देखते ही कहा, “फौरन ऑपरेशन करना होगा। बच्चे की जान खतरे में है।” बूढ़ी औरत की आंखों में आंसू थे। वह दुआ कर रही थी। लेकिन ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने भारी दिल के साथ खबर दी, “बच्चा मर चुका है।”
यह सुनते ही वह हामिला औरत फूट-फूट कर रो दी। मां बनने का ख्वाब आंखों में ही टूट गया था। बूढ़ी औरत ने उसे सीने से लगाया और दिलासा दिया, “बेटी, हिम्मत रख। अल्लाह बड़ा इंसाफ करने वाला है।”
इधर वह नौजवान लड़का अपने कमरे में बैठकर मोबाइल की इस वीडियो को अपलोड कर रहा था। कैप्शन में उसने सिर्फ इतना लिखा, “आखिर इस औरत का क्या कसूर था? क्या हमारे मुल्क में पुलिस वाले ऐसे ही कमजोरों पर जुल्म करते हैं? क्या यह वो लोग हैं जो हमारी हिफाजत के लिए हैं?”
वीडियो सोशल मीडिया पर जैसे ही अपलोड हुई, वैसे ही आग की तरह फैल गई। हर कोई इसे एक दूसरे के साथ शेयर कर रहा था। कमेंट्स की भरमार होने लगी। कोई पुलिस वाले को कोस रहा था, कोई उस हामिला औरत पर रोने लगा था। कुछ लिख रहे थे, “यह जुल्म है। क्या हमारा मुल्क महफूज़ है? इंसाफ कहां है?”
उसी हंगामे में वह वीडियो एक मोबाइल पर पहुंची। यह मोबाइल काजल का था। काजल जब वीडियो देख रही थी तो जैसे जमीन उसके पैरों तले से निकल गई हो। वह टकटकी बांधकर अपनी भाभी को देखती रही, जिसे पुलिस वाले ने धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया था, जो मछलियों के बीच तड़प रही थी और सब लोग तमाशा देख रहे थे। उसकी आंखों से बेखबू आंसू बहने लगे। दिल ही दिल में वह रो रही थी और बार-बार सोच रही थी, “काश, आज मेरा भाई जिंदा होता तो भाभी के साथ यह जुल्म कभी ना होता।”
उसके ज़हन में अपने भाई की मुस्कुराती हुई सूरत उभरी। वह फौज में था, अपने वतन का मुहाफिज, एक बहादुर सिपाही। एक साल पहले दुश्मनों के हमले में वह शहीद हो गया था। काजल के लिए उसका भाई सब कुछ था। भाई ही उसकी हिम्मत, उसकी रहनुमाई और उसकी दुनिया था। उसने ही काजल को पढ़ाया। उसे हौसला दिया कि वह भी फौज या पुलिस में जाकर मुल्क की खिदमत करे। मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था। भाई की शहादत के बाद भाभी ही उसकी अकेली जिम्मेदारी रह गई थी।
अब जब उसने भाभी को इस हाल में देखा, तो दिल का करब लफ्ज़ों में ना समाता था। वह तड़प-तड़प कर रोने लगी। काजल ने फौरन छुट्टी ली, सादा सा लिबास पहना और सीधा अस्पताल की तरफ रवाना हो गई। रास्ते भर उसके ज़हन में वह मंजर घूम रहा था। बिखरी हुई मछलियां, जमीन पर गिरी हुई भाभी और पुलिस वाले का वह कहकहा। अस्पताल पहुंचते ही काजल के दिल पर पहाड़ टूट पड़ा। जैसे ही उसने खबर सुनी कि उसके भाई की आखिरी निशानी, वह बच्चा जो पैदा होने वाला था, अब दुनिया में नहीं आ सकेगा। उसके कदम लड़खड़ा गए।
काजल तेजी से कमरे की तरफ भागी जहां भाभी लेटी थी। भाभी की आंखों में आंसू थे। चेहरा गम से सूजा हुआ और होठ कपकपा रहे थे। जैसे ही उन्होंने काजल को देखा तो फूट पड़ी। “काजल, मैंने तो सोचा था कि अपने शौहर की मौत के बाद यह बच्चा मेरा सहारा होगा। मैंने यह सोचकर जिंदगी जीनी थी कि मेरा शौहर तो नहीं, मगर उसकी निशानी मेरे साथ है। लेकिन अब, अब तो सब खत्म हो गया। मैं अकेली रह गई हूं।”
काजल जमीन पर घुटने टेक कर अपनी भाभी के पास बैठ गई। उसने उनका हाथ थामा और रोते हुए कहा, “भाभी, आप अकेली नहीं हैं। मैं हूं ना। मैं आपको कभी तन्हा नहीं छोड़ूंगी। भाई की कसम, मैं आपका सहारा बनूंगी।”
करीब ही बूढ़ी मछली बेचने वाली औरत बैठी थी, उसकी आंखों से भी आंसू बह रहे थे। वह लरजती आवाज में बोली, “बेटी, जो जुल्म मैंने अपनी आंखों से देखा है, वह नाकाबिल बयान है। तेरी भाभी का क्या कसूर था, मेरा क्या कसूर था? बस एक पुलिस वाले का गुरूर, उसने सब कुछ बर्बाद कर दिया।”
इतने में डॉक्टर कमरे में दाखिल हुई। उसने नरम लहजे में कहा, “आपकी भाभी अब खतरे से बाहर हैं। उन्हें घर ले जाइए। मगर याद रखिएगा कि वह इस वक्त शदीद ज़हनी सदमे में हैं। उनका खास ख्याल रखिएगा। कोई भी ऐसी बात मत कहिएगा जो उन्हें मजीद तकलीफें दे।”
काजल ने असबात में सर हिलाया। आंखों में आंसू थे, मगर दिल में अज्म भी था। उसने भाभी को आहिस्ता-आहिस्ता उठाया। उन्हें सहारा दिया और प्यार से कहा, “चले भाभी, घर चलते हैं। अब मैं आपका हर हाल में ख्याल रखूंगी।”
घर पहुंचकर काजल ने मुलाजिमा को सख्ती से कहा, “मेरी भाभी की खिदमत में कोई कमी ना हो। उनके खाने-पीने, दवा-दारू सबका खास ख्याल रखना।” फिर वह दोबारा बाहर निकली। मगर इस बार अकेली नहीं, बल्कि बूढ़ी मछली बेचने वाली भी उसके साथ थी।
इंसाफ की तैयारी
रास्ते में काजल ने उसे तफसील से सवालात किए। “मां जी, बताइए मुझे कि वहां पुलिस वाला आखिर किस तरह आया? क्या कहा उसने? किस तरह भाभी को धक्का दिया?” बूढ़ी औरत ने लरजती आवाज में पूरा मंजर एक-एक लफ्ज़ के साथ बयान कर दिया। काजल की मुट्ठियां बंद हो गईं। आंखों में आग भर गई। उसने दिल ही दिल में कहा, “भाई, आज तेरी बहन इंसाफ लेकर रहेगी।”
बूढ़ी औरत को उसके घर तक छोड़ने के बाद काजल सीधा पुलिस स्टेशन की तरफ रवाना हुई। उसने सादा सा लिबास पहना था ताकि कोई पहचान न सके कि वह फौजी खानदान से ताल्लुक रखती है। यह वही थाना था जहां इंस्पेक्टर राकेश वर्मा दायनात था। वही शख्स जिसने भाभी को धक्का दिया, मासूम बच्चे की जान ली और एक गरीब औरत की रोजी बर्बाद कर दी।
थाने में दाखिल होते ही उसने देखा कि राकेश वर्मा मौजूद नहीं है। कमरे में दो हवलदार बैठे थे और साथ ही एसएचओ संदीप सिंह। काजल सीधी संदीप सिंह के पास गई। उसके कदम मजबूत थे, मगर दिल में तूफान बरपा था। उसने पुरजम लहजे में कहा, “मुझे इंस्पेक्टर राकेश वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करानी है।”
कमरे में एक लम्हे को खामोशी छा गई। हवालदार एक-दूसरे को देखने लगे। संदीप ने चौंक कर उसकी तरफ देखा और आंखें तंग करके बोला, “क्या राकेश वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट? और तुम कौन होती हो रिपोर्ट लिखवाने वाली?”
काजल की आवाज लज नहीं रही थी। वह जानती थी कि वह सच्चाई के साथ खड़ी है। “इंस्पेक्टर राकेश वर्मा ने मेरी भाभी के साथ सड़क पर बदतमीजी की। वह पेट से थी। उन्हें धक्का दिया गया। वह गिर पड़ी और उसी धक्के की वजह से उनके पेट में पल रहा बच्चा मर गया। वहां मौजूद लोग सब देख रहे थे। मगर किसी ने मदद नहीं की। मैं चाहती हूं कि उस जालिम के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”
यह सुनकर संदीप हंस पड़ा जैसे उसने कोई लतीफा सुन लिया हो। “ओ तो यह बात है। लड़की, तुम्हें लगता है कि मैं अपने इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट लिखूंगा? कभी नहीं। और अगर उसने धक्का दे भी दिया तो क्या हुआ? औरतें ड्रामे करने में माहिर हैं। वह सड़क पर खड़ी थी। गलती उसी की थी।”
काजल की आंखों में गुस्सा भर गया। उसने मुट्ठियां बंद की और सख्त आवाज में कहा, “देखो संदीप सिंह, हमें कानून मत सिखाओ। मैं कानून पढ़ चुकी हूं और जानती हूं कि यह कत्ल के जुमरे में आता है। मेरी भाभी का बच्चा उस जालिम धक्के की वजह से मर गया। मैं वादा करती हूं कि उसी कानून के तहत मैं उसे सजा दिलवाऊंगी और अगर तुमने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो तुम्हारे खिलाफ भी कार्रवाई होगी।”
संदीप को जैसे यकीन नहीं आया कि एक लड़की उससे उस लहजे में बात कर रही है। वह अहंकार भरते हुए बोला, “तुम्हें लगता है तुम हमें डरा सकती हो? हम चाहे तो अभी तुम्हें अंदर कर दें। तुम्हारी इतनी औकात है कि हमें सस्पेंड करवा दोगी। पहले बताओ तुम हो कौन?”
काजल ने पर्स खोला और बगैर कुछ कहे मेज पर अपना आर्मी का सरकारी आईडी कार्ड रख दिया। जैसे ही संदीप ने कार्ड पर नजर डाली, उसका रंग भाक हो गया। पसीना माथे पर आ गया और घबराहट से बोलने लगा, “आप… आप आर्मी ऑफिसर हैं। सॉरी मैडम। मुझे अंदाजा नहीं था। प्लीज बताइए आप चाहती क्या हैं?”
काजल ने आग उगलती निगाहों के साथ कहा, “यह थाना इंसाफ का मरकज होना चाहिए। मगर यहां जुल्म छुपाया जा रहा है। एक मासूम हामिला औरत को सरआम धक्का देकर कत्ल कर दिया गया। तुम सब तमाशाई बने रहे। अब तुम्हारा सॉरी किसी काम नहीं आएगा। मैं सीधा तुम्हारे खिलाफ और तुम्हारे इंस्पेक्टर के खिलाफ एक्शन लूंगी।”
यह कह ही रही थी कि अचानक थाने का दरवाजा जोर से खुला। अंदर वही शख्स आया जिसे देखते ही काजल के दिल में आग भड़क उठी। इंस्पेक्टर राकेश वर्मा, वर्दी पहने, गौर से भरपूर हल्की मुस्कुराहट के साथ उसने काजल को सर से पांव तक देखा और तंजिया अंदाज में कहा, “अरे, यह वही लड़की है ना जो मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने आई है? क्या बात है? बड़ी जुर्रत है तुम में।”
काजल के वजूद में गुस्से का तूफान उठा। अगर वो कानून की मुहाफिज ना होती तो उसी लम्हे उसका गिरेबान पकड़ लेती। मगर उसने खुद पर काबू रखा और सिर्फ अल्फाज़ के वार किए। “राकेश वर्मा, याद रखो तुमने एक मासूम हामिला औरत को धक्का दिया था। उसके पेट में पलता बच्चा मर गया। यह जुर्म है और तुम्हारे जैसे लोगों को वर्दी में रहने का कोई हक नहीं। मैं तुम्हें सस्पेंड करवा कर रहूंगी। तुम्हारे दिन गिने जा चुके हैं।”
कमरे में सन्नाटा छा गया। हवालदारों की नजरें झुक गईं। संदीप सिंह होंठ काटते हुए कुर्सी पर अकड़ा बैठा रहा। लेकिन दिल में खौफ उतर आया था। काजल ने एक लम्हे के लिए सबको देखा। फिर सख्त लहजे में बोली, “मेरी जुबान मेरे भाई की कसम है जो इस वतन पर कुर्बान हुआ। मैं वादा करती हूं कि इस जुल्म को कभी छुपने नहीं दूंगी। तुम सब देख लेना, इंसाफ होकर रहेगा।”
यह कहकर वह थाने से बाहर निकल गई। उसके कदमों में एक मजबूती थी जैसे जमीन भी हिल रही हो। अंदर मौजूद राकेश वर्मा कुछ लम्हे के लिए खामोश रहा। फिर हंसने की कोशिश की। मगर उसके दिल में भी एक अनजानी घबराहट सरसराने लगी।
सच्चाई की तलाश
काजल घर लौटी तो देर तक सोचती रही। आंखों में गुस्सा और आंसू दोनों थे। फिर उसने फैसला किया। अगली सुबह वह सीधा एसपी ऑफिस पहुंची। एसपी मैडम के सामने उसने मोबाइल निकाला और वो वीडियो चलाया जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी। “मैडम, यह सबूत है। यह वीडियो सब कुछ दिखा रही है। मैं चाहती हूं कि इंस्पेक्टर राकेश वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”
एसपी ने वीडियो ध्यान से देखी। फिर गहरी सांस लेकर बोली, “काजल, मुझे पता है आप आर्मी ऑफिसर हैं और मैं आपके दुख को समझती हूं। लेकिन कानून के तहत हमें असल सबूत और गवाह दोनों चाहिए। जब तक आप हमारे पास गवाह नहीं लाती, कार्रवाई मुमकिन नहीं।”
काजल ने इस बात में सर हिलाया। “मैं गवाह भी लाऊंगी और असल वीडियो भी। यह वादा है मेरा।”
एसपी ने कहा, “अगर आप गवाह और असली रिकॉर्डिंग ले आई तो यकीन रखिए, मैं खुद कार्रवाई करूंगी।”
काजल के दिल में अज्म मजीद पुख्ता हो गया। घर वापस आते ही उसने सोशल मीडिया पर खोज शुरू की। कई घंटों की मेहनत के बाद आखिरकार उसे वही लड़का मिल गया जिसने अपनी आंखों से यह मंजर देखा और मोबाइल पर रिकॉर्ड किया था।
काजल सीधी उसके घर गई। उसने दरवाजा खोलते ही कहा, “तुमने वो वीडियो अपनी आंखों से रिकॉर्ड किया है। मुझे उसका असली वर्जन चाहिए और तुम्हें गवाही भी देनी होगी।”
लड़का पहले तो घबरा गया, लेकिन काजल की मजबूत आवाज और अज्म देखकर मान गया। उसने फौरन मोबाइल से बना एडिट का वीडियो काजल को दे दिया। काजल ने वो वीडियो देखा। फिर संभालकर पर्स में रखा और सीधा डीएम अखिलेश को फोन लगाया। “सर, मेरे पास असली वीडियो है और गवाह भी तैयार है।”
डीएम ने वीडियो देखा तो गुस्से से कुर्सी से उठ खड़े हुए। “यह तो सरेआम कानून का मजाक है। एक इंस्पेक्टर ने हामिला औरत को धक्का दिया। बच्चा मर गया और बाकी पुलिस तमाशाई बनी रही। उसे सख्त सजा मिलेगी।”
अगले ही दिन डीएम ने जिला के सबसे बड़े ऑफिस में प्रेस मीटिंग बुला ली। सुबह के ठीक 11:00 बजे जिला मुख्यालय के बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल में माहौल गहरा हो चुका था। बाहर मीडिया की गाड़ियां कतार में खड़ी थी। हर बड़े अखबार और न्यूज़ चैनल के रिपोर्टर कैमरे और माइक संभाले अंदर जाने के इंतजार में थे।
हाल के अंदर मंच पर चार कुर्सियां लगी थीं। बीच में डीएम अखिलेश, दाई तरफ एसपी रजी हसन और बाई तरफ दो कुर्सियां अभी खाली थीं। सामने पत्रकारों की लंबी कतार थी। कैमरे ऑन होते ही डीएम अखिलेश ने संजीदा लहजे में बोलना शुरू किया, “कल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि एक पुलिस इंस्पेक्टर ने एक हामिला औरत को सड़क पर धक्का दिया। उस औरत के पेट में पलता बच्चा उसी धक्के की वजह से मर गया। यह सिर्फ गैर इखलाकी हरकत नहीं है, बल्कि सीधा-सीधा कत्ल और कानून की खिलाफ वर्जी है।”
हाल में सन्नाटा छा गया। डीएम ने आगे कहा, “हमारे पास इस वाक्य के ठोस सबूत हैं। असली बना एडिट वीडियो हमारे पास मौजूद है जो वहां मौजूद एक नौजवान ने रिकॉर्ड किया था। गवाह भी यहां मौजूद है और बयान देने के लिए तैयार है।”
इतना कहकर हाल की एक तरफ से काजल आगे बढ़ती हुई मंच पर आ गई। मीडिया की तरफ रुख करके उसने कहा, “मैं काजल सिंह हूं। इंडियन आर्मी में कैप्टन।” और यह मुतासिरा औरत मेरी भाभी है। मेरी आंखों के सामने उसके पेट में पलता बच्चा मर गया। सिर्फ एक पुलिस अफसर के जालिमाना धक्के की वजह से।”
पूरा हाल सुन रह गया। रिपोर्टर एक-दूसरे को देखने लगे। मामला और संगीन हो चुका था। काजल ने रुके बिना कहा, “मैंने कानून पढ़ा है और जानती हूं कि किसी भी इंसान को इस तरह सरेआम जलील करना और जान लेना जुर्म है। चाहे वह कोई आम आदमी करे या एक पुलिस अफसर। कानून सबके लिए बराबर है।”
रिपोर्टरों ने सवाल दागने शुरू कर दिए। “आप चाहती हैं कि सिर्फ इंस्पेक्टर पर कार्रवाई हो या और भी लोग इसमें शामिल हैं?” काजल ने मजबूत लहजे में जवाब दिया, “इस वाक्य में सिर्फ इंस्पेक्टर नहीं बल्कि थाने का एसएओ संदीप सिंह भी बराबर का दोषी है। उसने मेरी शिकायत दर्ज करने से इंकार किया। मेरी भाभी का मजाक उड़ाया और कानून का भी मजाक बनाया।”
यह सुनते ही एसएपी रजी हसन ने माइक संभालते हुए कहा, “हमने इंटरनल जांच शुरू कर दी है। लेकिन क्योंकि मामला बहुत संगीन है और हमारे पास पुख्ता सबूत हैं, इसलिए मैं सिफारिश करती हूं कि इंस्पेक्टर राकेश वर्मा और एसएओ संदीप सिंह दोनों को फौरन मुअल किया जाए ताकि जांच साफ और शफाफ तरीके से हो सके। इसका रिकॉर्ड पुलिस हेड क्वार्टर और होम मिनिस्ट्री को भी भेजा जाएगा।”
रिपोर्टरों के बीच छह मेघोइयां शुरू हो गई। इतनी जल्दी एक्शन यह तो मिसाल बनने वाला केस है। चंद घंटों में ही जिला मजिस्ट्रेट के हुक्म पर नोटिस और चार्ज शीट तैयार हो गई। महकमाती सतह पर कार्रवाई शुरू हुई। मुअली सस्पेंशन का हुक्मनामा फौरन थाने पहुंचा।
जैसे ही सिपाहियों ने यह खबर सुनी, थाने में खलबली मच गई। एक सिपाही ने दूसरे से सरगोशी में कहा, “भाई, यह लड़की तो सच में कर गई। हमने सोचा भी नहीं था कि मामला सीधा डीएम तक पहुंच जाएगा।”
जब हुकुमनामा पढ़कर सुनाया गया तो उसमें साफ लिखा था, “इंस्पेक्टर राकेश वर्मा और एसएओ संदीप सिंह को फी अलफ मुअत्तल किया जाता है और उन पर महकमाती कार्रवाई के साथ-साथ फौजदारी मुकदमा भी चलाया जाएगा।”
कागज जमीन पर फेंककर राकेश वर्मा ने गुरूर से कहा, “यह लड़की हमारी जिंदगी बर्बाद कर देगी। पहले ही कहता था इससे पंगा मत लो।”
शाम तक यह खबर जंगल की आग की तरह पूरे गांव और झिले में फैल गई। हजारों में लोग एक-दूसरे को बताने लगे। “सुना तुमने? करीना देवी के साथ जो जुल्म हुआ था, अब उसका इंसाफ होने वाला है। उसकी ननंद काजल ने फौजी अंदाज में लड़कर सब कुछ बदल दिया।”
करीना देवी के घर के बाहर भीड़ जमा हो गई। कोई हिम्मत बढ़ाने आया, कोई सिर्फ देखने। करीना देवी बार-बार कह रही थी, “मुझे बदला नहीं चाहिए। मुझे तो सिर्फ इज्जत चाहिए थी। लेकिन मेरी ननद तो आग है। उसने मुझे इंसाफ दिलाया।”
टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ चलने लगी। “इंस्पेक्टर और एसएओ मुअत्तल। आर्मी अफसर की बहन ने दिलाया इंसाफ।” काजल के फोन पर एक के बाद एक कॉल आने लगे, कुछ मुबारकबाद देने के लिए, कुछ मीडिया इंटरव्यू के लिए। लेकिन काजल ने सिर्फ इतना कहा, “यह सिर्फ मेरी भाभी का मामला नहीं है। यह उन सबके लिए है जिनके साथ चुपचाप जुल्म होता है।”
महकमाती जांच और अदालती फैसला एक हफ्ते बाद महकमाती कमेटी की रिपोर्ट सामने आई। इसमें लिखा था, “इंस्पेक्टर राकेश वर्मा ने इख्तियारात का नाजायज इस्तेमाल किया। औरत को धक्का दिया जिसके नतीजे में पेट का बच्चा मर गया। यह सीधा कत्ल है। सेक्शन 302 आईपीसी। एएसएओ संदीप सिंह ने शिकायत दर्ज करने से इंकार किया। अपनी ड्यूटी की खिलाफ वर्जी की और मुतासिरा औरत को इंसाफ दिलाने की बजाय जुल्म को छुपाने की कोशिश की।”
रिपोर्ट के मुताबिक, राकेश वर्मा पर कत्ल का मुकदमा चलाया गया और अदालत में जब गवाहियां और सबूत पेश किए गए तो फैसला आया, “इंस्पेक्टर राकेश वर्मा को कत्ल 300 आईपीसी के तहत मुजरिम पाया जाता है। उसे सजा-ए-मौत दी जाती है।” संदीप सिंह को भी सख्त सजा सुनाई गई। “10 साल की कैद और महकमे से बरतरफी।”
यह सुनकर काजल की आंखों में आंसू आ गए। लेकिन यह आंसू दुख के नहीं, सुकून के थे। उसने अपनी भाभी को गले लगा लिया। करीना देवी ने रोते हुए कहा, “मुझे बदला नहीं चाहिए था, काजल। मुझे सिर्फ इज्जत चाहिए थी। लेकिन तुम तो आग हो। तुमने ना सिर्फ मेरी इज्जत बचाई, बल्कि मेरा सर भी ऊंचा कर दिया।”
फैसले के अगले दिन, काजल सीधी उस गली में गई जहां वो बूढ़ी औरत मछली बेचा करती थी। औरत ने उसे देखते ही कहा, “बेटी, तुमने तो कमाल कर दिया। अब गांव के लोग डर के मारे भी हमें तंग नहीं करेंगे।”
काजल ने मुस्कुराकर उसका हाथ थाम लिया और कहा, “मां जी, अब के बाद कोई पुलिस वाला या कोई ताकतवर शख्स आपसे मछली मुफ्त नहीं लेगा। जो लेगा, पैसे देकर लेगा, वरना उसका अंजाम भी वही होगा जो कातिल का हुआ।”
बूढ़ी औरत की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। उसने कहा, “बेटी, आज मुझे लगता है कि इंसाफ सच में जिंदा है।”
काजल ने आसमान की तरफ देखा और धीरे से कहा, “यह इंसाफ सिर्फ हमारी भाभी के लिए नहीं, हर उस इंसान के लिए है जो जुल्म के खिलाफ खड़ा होता है। और यह पैगाम है हर जालिम के लिए कि औरत कमजोर नहीं, वही सबसे बड़ी ताकत है।”
कहानी का सबक
इस कहानी का सबसे बड़ा सबक पुलिस वालों के लिए है। पुलिस सिर्फ वर्दी पहनने का नाम नहीं, बल्कि यह अदल, इंसाफ और खिदमत की जिम्मेदारी है। अगर पुलिस वाला अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करे, तो वह जालिम बन जाता है। लेकिन अगर वह अपनी ताकत सही इस्तेमाल करे, तो वह मजलूम का सबसे बड़ा सहारा बनता है।
काजल ने अपनी भाभी के लिए इंसाफ लेकर सबको यह दिखा दिया कि जुल्म चाहे वर्दी के पीछे क्यों न छुपा हो, आखिरकार कानून और सच्चाई उसे बेनकाब कर देते हैं। पुलिस वालों को यह याद रखना चाहिए कि उनकी वर्दी इज्जत देने के लिए है। इज्जत छीनने के लिए नहीं। अगर वह आवाम के मुहाफिज बने रहेंगे, तो लोग उनको सलाम करेंगे और अगर वह जालिम बन गए, तो वही आवाम उन्हें सजा दिलवाने के लिए खड़ी हो जाएगी।
समापन
इस कहानी ने यह साबित किया कि सच्चाई और इंसाफ की हमेशा जीत होती है। काजल की हिम्मत, उसकी भाभी की मजबूरी और बूढ़ी औरत की सहानुभूति ने मिलकर एक ऐसा मंजर तैयार किया, जो न सिर्फ एक परिवार को राहत पहुंचाने वाला था, बल्कि समाज में एक नई सोच और बदलाव का आगाज़ भी था। यह कहानी प्रेरणा देती है कि जब हम एकजुट होते हैं, तो हम किसी भी जुल्म का सामना कर सकते हैं और इंसाफ हासिल कर सकते हैं।
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