लखनऊ की सर्द सुबह: मीरा, अंजलि और दीपक की कहानी

यह कहानी लखनऊ शहर की है। मीरा अपनी पांच साल की बेटी अंजलि के साथ एक छोटे से किराए के घर में रहती थी। मीरा अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी और दोनों अपनी छोटी-सी दुनिया में खुश थीं। लेकिन एक दिन उनकी जिंदगी में फिर से बदलाव आया।

लखनऊ की सर्द सुबह थी। कोहरा शहर को अपनी बाहों में समेटे हुए था। मीरा तैयार हो रही थी, उसकी आंखों में एक अनकही थकान थी, मगर चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती थी—खासकर अंजलि के लिए। आज का दिन खास था। अंजलि का पहला स्कूल एडमिशन था। मीरा ने उसे गुलाबी फ्रॉक पहनाई, दो चोटियां बनाई और उसका छोटा सा बैग तैयार किया। अंजलि की हंसी पूरे घर में गूंज रही थी, वही मीरा की असली दुनिया थी।

“मम्मी, स्कूल में मेरे नए दोस्त बनेंगे ना?”
“हां मेरी गुड़िया, बहुत सारे दोस्त बनेंगे,” मीरा ने मुस्कुराकर कहा। मगर स्कूल का नाम सुनते ही उसके दिल में पुराना दर्द जाग उठा। वही स्कूल, जहां कभी उसकी जिंदगी ने करवट ली थी।

मीरा और अंजलि ऑटो में बैठकर स्कूल की ओर निकले। लखनऊ की सड़कों की हलचल, ठेले वालों की आवाजें, सुबह की भागदौड़—इन सबने मीरा को उसके ख्यालों से बाहर खींच लिया। वो अंजलि का हाथ थामे बैठी थी, लेकिन मन अतीत में भटक रहा था।

छह साल पहले मीरा की शादी दीपक से हुई थी—उसका कॉलेज का प्यार, उसका सबसे बड़ा सपना। लेकिन शादी के दो साल बाद ही सब कुछ बदल गया। दीपक की बदलती प्राथमिकताएं, रोज की बहसें, और आखिरकार तलाक। सब इतनी जल्दी हुआ कि मीरा को संभलने का मौका ही नहीं मिला।