ट्विटर से निकाले गए भारतीय लड़के ने ऐसे लिया बदला…

न्यूयॉर्क की उस ठंडी शाम ने पराग अग्रवाल की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी।
ट्विटर के मुख्यालय में माहौल भारी था। बड़े कॉन्फ्रेंस रूम में, जहाँ कभी पराग ने अपने सपनों को परखा था, अब सन्नाटा पसरा हुआ था। दरवाज़ा खुला और तेज़ क़दमों से एलॉन मस्क अंदर आए। उनकी चाल में आत्मविश्वास था और चेहरे पर वही बर्फ़ीली मुस्कान।

उन्होंने टेबल पर एक लिफ़ाफ़ा फेंका और ठंडी आवाज़ में कहा—
“पराग, अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है।”

कुछ सेकंड में पराग और उनके साथ कई भारतीय इंजीनियर बाहर का रास्ता दिखा दिए गए। किसी ने विरोध नहीं किया, लेकिन सबकी आँखों में एक ही सवाल था—क्या यह सचमुच अंत है?

पराग चुपचाप इमारत से बाहर निकले। न्यूयॉर्क की ठंडी हवा ने उनके चेहरे को छुआ। आसमान में चाँद निकला था, लेकिन उनके दिल में एक तूफ़ान उठ रहा था।

घर पहुँचने पर पत्नी अर्चना ने धीरे से कहा—
“हाँ, तुम्हें निकाला गया है। लेकिन याद रखना, तुम्हारी कीमत ट्विटर से कहीं ज़्यादा है।”

यह शब्द उनके मन में गूंजते रहे। पराग को लगने लगा कि यह हार नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का संकेत है।

एआई की सबसे बड़ी समस्या

पराग ने अगले कुछ दिनों तक अपने विचारों को काग़ज़ पर उतारा। वह लगातार सोच रहे थे—
“आज का एआई तेज़ है, लेकिन झूठ बोलता है। हैलूसिनेशन, नकली डेटा, अधूरी जानकारी—यही सबसे बड़ी समस्या है। अगर कोई ऐसा वेब बने जो मशीनों के लिए हो, जहाँ डेटा तुरंत सत्यापित और व्यवस्थित हो, तो एआई सचमुच दुनिया बदल सकता है।”

उनके दिमाग में एक नया विचार जन्मा—“पैरेलल वेब”
यह वेब इंसानों के लिए नहीं, बल्कि मशीनों के लिए होगा।

गुप्त मुलाक़ात

कुछ दिनों बाद एक कॉफी शॉप में पराग की मुलाक़ात पाँच भारतीय इंजीनियरों से हुई—आरव, वेदांत, शिवानी, राघव और मीरा। ये सब भी ट्विटर से निकाले गए थे।

पराग ने टेबल पर एक नैपकिन रखा और उस पर चित्र बनाते हुए कहा—
“सोचो, इंटरनेट इंसानों के लिए बना था। लेकिन अब एआई इंसान से ज़्यादा इंटरनेट पढ़ रहा है। हमें एक पैरेलल वेब चाहिए, सिर्फ मशीनों के लिए। जहाँ कोई झूठ, कोई भ्रम न हो।”

सभी की आँखें चमक उठीं।
वेदांत बोला—“सर, यह सिर्फ बदला नहीं होगा, यह भविष्य होगा।”

यहीं से पैरेलल वेब सिस्टम्स इंक. का जन्म हुआ।

निवेश और भरोसा

सिलिकॉन वैली में पराग ने अपने विचार निवेशकों के सामने रखे।
विनोद खोसला के ऑफिस में जब उन्होंने प्रेजेंटेशन शुरू की, तो सब चुपचाप सुनते रहे।

“हम एक ऐसा वेब बना रहे हैं, जहाँ एआई एजेंट्स बिना झूठ, बिना अधूरे डेटा के, असली इंटरनेट को समझेंगे। और यह सब रियल टाइम में होगा।”

कमरे में कुछ पल सन्नाटा रहा। फिर विनोद खोसला मुस्कुराए और बोले—
“पराग, मैंने तुम्हें ट्विटर में एलॉन से हारते देखा था। लेकिन अब मैं चाहता हूँ कि तुम एआई में एलॉन को हराओ। आई एम इन। 30 मिलियन डॉलर।”

पराग की आँखों में चमक लौट आई। यह निवेश सिर्फ पैसे का नहीं था, यह भविष्य पर भरोसे का प्रतीक था।

एलॉन की बेचैनी

सैन फ्रांसिस्को में एलॉन मस्क को खबर मिली—
“पराग ने नया स्टार्टअप बनाया है, पैरेलल वेब सिस्टम्स। और उसे 30 मिलियन का निवेश मिल चुका है।”

एलॉन ने ठहाका लगाया—
“AI का वेब? जस्ट अ लूज़र प्रोजेक्ट।”

लेकिन उसी रात जब उन्होंने ट्विटर खोला, तो टाइमलाइन पर #ParallelWeb ट्रेंड कर रहा था। एलॉन ने बुदबुदाया—
“यह लड़का वाकई गेम बदल सकता है।”

पहला टेस्ट

कैलिफ़ोर्निया के एक गुप्त वेयरहाउस में टीम रात-दिन काम कर रही थी। सैकड़ों सर्वर गूंज रहे थे जैसे कोई विशाल मशीन सांस ले रही हो।

पराग ने स्क्रीन पर पहला टेस्ट रन शुरू किया।
सवाल किया गया—
“Who was the first Indian CEO of Twitter?”

पारंपरिक वेब से एआई ने कई झूठे जवाब दिए।
लेकिन पैरेलल वेब से उत्तर आया—
“पराग अग्रवाल – Verified by SEC filings, November 2021.”

टीम की आँखों में चमक आ गई।
पराग ने कहा—
“आज हमारी मशीन ने पहली बार इंटरनेट को सच में समझा है।”

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