बारिश की रात: एक अनजानी मुलाकात

बारिश की बूंदें सिर्फ मिट्टी को नहीं भिगोती, कभी-कभी यह पूरी जिंदगी बदल देती हैं। एक रात, जब आसमान से मूसलधार बारिश गिर रही थी, मुजफ्फरपुर की सुनसान सड़कों पर एक नर्स, कंचन, अपने काम से लौट रही थी। उसकी नाइट ड्यूटी खत्म हो चुकी थी, और थकान उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। अकेलेपन का एहसास उसे हर रोज़ सताता था, लेकिन उस रात उसका सामना एक अनजाने लड़के से हुआ, जो खून से लथपथ सड़क पर गिरा हुआ था।

कंचन ने जब उसे देखा, तो पहले सोचा कि शायद वह नशे में धुत होगा। लेकिन करीब जाकर देखा, तो उसकी सांसे थम गईं। वह लड़का, कार्तिक, भीगे कपड़े और फटे चेहरे के साथ मदद की गुहार कर रहा था। कंचन के भीतर की नर्स जाग गई। उसने बिना समय गंवाए उसे सहारा दिया और अपनी स्कूटी पर बिठाकर अपने घर ले आई।

घर पहुंचकर, कंचन ने उसे बिस्तर पर लिटाया और फर्स्ट एड बॉक्स से उसकी चोटों पर दवा लगाई। कार्तिक बेहोश था, लेकिन उसकी सांसें धीरे-धीरे सामान्य हो रही थीं। कंचन ने राहत की सांस ली, लेकिन उसके मन में सवाल उठ रहे थे। क्या उसने सही किया? क्या समाज उसे जज करेगा? लेकिन उसके दिल ने कहा कि अगर वह उसे छोड़ देती, तो शायद वह मर जाता।

जब कार्तिक ने होश पाया, तो वह घबरा गया। उसने पूछा, “मैं यहां कैसे आया?” कंचन ने उसे बताया कि वह सड़क पर गिरा हुआ मिला था और उसने उसकी जान बचाई। कार्तिक की आंखों में डर और अविश्वास था, लेकिन कंचन के चेहरे की सच्चाई ने उसे थोड़ी राहत दी।

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कार्तिक ने अपनी कहानी बताई। उसने कहा, “मेरे दोस्तों ने मुझसे पैसे उधार लिए थे, और जब मैंने उन्हें वापस मांगा, तो उन्होंने मुझे बुरी तरह पीटा।” उसकी आंखों में आंसू थे। कंचन ने उसे समझाया कि जिंदगी हमेशा कठिनाइयों से भरी होती है, लेकिन यही जख्म हमें मजबूत बनाते हैं।

दिन बीतते गए, और दोनों के बीच एक अजीब सा बंधन बन गया। कंचन ने कार्तिक को न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनने में मदद की। लेकिन समाज की निगाहें उन पर थीं। मोहल्ले में बातें होने लगीं कि कंचन ने एक अनजान लड़के को अपने घर में रखा है।

एक दिन, पड़ोस की एक औरत ने कंचन को रोका और कहा, “यह अच्छा नहीं लगता। लोग बातें बना रहे हैं।” कंचन का दिल कांप उठा। उसने कार्तिक को बताया, और वह बोला, “मैं चला जाऊंगा।” कंचन ने उसे रोकते हुए कहा, “अगर तुम चले गए, तो वे जीत जाएंगे।”

उसने दृढ़ता से कहा, “मैं जानती हूं कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है। अगर तुम्हारा रहना गलत है, तो मैं इसे सही बनाने का तरीका ढूंढ लूंगी।”

कंचन ने फैसला किया कि अब उसे कार्तिक को सिर्फ मेहमान की तरह नहीं, बल्कि इंसान की तरह जीने का हौसला देना होगा। उसने कहा, “अगर मेरे घर में तुम्हारा रहना गलत है, तो मैं इसे सही बनाने का तरीका ढूंढ लूंगी।”

कार्तिक ने उसकी आंखों में देखा और कहा, “मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई मुझे इस हाल में अपना लेगा।”

कंचन ने कहा, “इंसानियत का मतलब ही है किसी अजनबी में अपना अक्स देखना।”

कुछ दिनों बाद, कंचन ने अपनी छोटी बहन को फोन किया और सब कुछ साफ-साफ बताया। उसकी बहन ने साथ देने का वादा किया।

एक शाम, कंचन और कार्तिक ने शादी करने का फैसला किया। यह शादी सिर्फ एक संवेदनशील कदम नहीं था, बल्कि एक वादा था। जब पंडित ने मंत्र पढ़े और कार्तिक ने कंचन की मांग में सिंदूर भरा, तो कमरे में मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू थे।

शादी के बाद, कंचन और कार्तिक की जिंदगी में एक नया मोड़ आया। मोहल्ले वाले जो पहले ताने मारते थे, अब चुप हो गए। धीरे-धीरे उन्होंने मान लिया कि यह रिश्ता सचमुच इज्जत और भरोसे पर बना है।

एक दिन, बारिश शुरू हो गई। कंचन और कार्तिक छतरी के नीचे खड़े हो गए। कार्तिक ने कहा, “याद है कंचन? उसी बारिश की रात हमारी मुलाकात हुई थी।”

कंचन ने मुस्कुराते हुए कहा, “कभी-कभी सबसे बड़ा तूफान ही इंसान के लिए सबसे बड़ी पनाह बन जाता है।”

उनकी आंखों में अब डर नहीं था, बस विश्वास था। यह कहानी न केवल इंसानियत की थी, बल्कि एक सच्चे रिश्ते की भी, जो समय के साथ और मजबूत हुआ।

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