DM की माँ बैंक में पैसा निकालने गईं… सबने भिखारी समझकर धक्का दे दिया, लेकिन आगे जो हुआ ! 😱

जिले की सबसे बड़ी अधिकारी डीएम नंदिनी की मां साधारण कपड़ों में एक गरीब महिला की तरह एक बड़े सरकारी बैंक में पैसे निकालने गई, तब बैंक के सभी अधिकारी ने उन्हें भिखारी समझकर अपमान किया। किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह साधारण महिला जिले की डीएम मैडम की मां है। उन्हें तिरस्कार की नजरों से देखते हुए सभी सोच रहे थे कि यह महिला इतने बड़े बैंक में क्या करने आई है।

उसी समय महिला धीरे-धीरे काउंटर की ओर बढ़ी। काउंटर पर कविता नाम की एक सुरक्षा गार्ड बैठी थी। वृद्ध महिला ने कविता से कहा, “बेटी, मुझे बैंक से पैसे निकालने हैं। यह लो चेक।” कविता ने चेक देखे बिना ही महिला से कहना शुरू कर दिया, “तुम्हें इतनी हिम्मत कैसे हुई बैंक में आने की? यह बैंक तुम जैसे लोगों के लिए नहीं है। भिखारी यहां क्यों आई हो? यह बैंक बड़े लोगों के लिए है। यहां बड़े-बड़े लोगों के खाते हैं। तुम्हारी तरह की महिला को तो ऐसे बैंक में खाता खोलने की औकात भी नहीं। चली जाओ यहां से नहीं तो मार कर भगा दूंगी।”

महिला ने कहा “बेटी तुम पहले चेक तो देख लो। मुझे ₹5 लाख नकद निकालने हैं।” यह सुनकर कविता गुस्से में आ गई। “यह कोई मजाक करने की जगह नहीं है। तुम क्या सोचती हो? जो तुम कहोगी वही मान लूंगा। तुम्हारी तरह की महिला के पास इतनी ताकत भी नहीं है। और क्या कहा? 5 लाख। जिंदगी में कभी इतने पैसे देखे हैं? जल्दी से यहां से चली जाओ। नहीं तो धक्का देकर बाहर निकाल दूंगा।”

ठीक उसी समय बैंक मैनेजर ने अपनी केबिन से बाहर झांक कर पूछा, “कौन इतना हंगामा कर रहा है?” कविता ने तुरंत कहा, “कोई भिखारी महिला सर जाने को तैयार नहीं है।” बैंक मैनेजर गुस्से में बाहर आया और बिना कुछ पूछे उस वृद्ध महिला को जोर से थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ इतना तेज था कि महिला लड़खड़ा कर जमीन पर गिर गई। फिर मैनेजर ने सुरक्षा गार्ड को बुलाकर कहा, “क्या कर रहे हो? इसे खींच कर बाहर निकाल दो।”

कविता ने जोर-जोर से महिला को बैंक से धक्का देकर बाहर निकाल दिया। वहां मौजूद सभी ग्राहक और कर्मचारी चुपचाप सब देख रहे थे। किसी को नहीं पता था कि यह महिला जिले की डीएम नंदिनी की मां है और यह पूरा घटनाक्रम बैंक के सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो रहा था।

घर लौटकर महिला रोते-रोते अपनी बेटी डीएम नंदिनी को फोन करके सारी घटना बता दी। कैसे बैंक में उनका अपमान हुआ? कैसे उन्हें अपमानित करके बाहर निकाला गया। यह सुनकर नंदिनी के अंदर से झटका सा लगा। उनके लिए यह आग से कम नहीं था। उन्होंने कांपते हुए मां से कहा, “मां, कल मैं खुद आऊंगी और तुम्हारे साथ जाकर उस बैंक से पैसे निकालूंगी।”

अगले दिन सुबह नंदिनी ने साधारण सूती साड़ी पहनकर अपनी मां के साथ बैंक जाने की तैयारी की। मां-बेटी ने एक दूसरे को गले से लगाया। उनकी आंखों में आंसू थे। गर्व और दर्द दोनों। नंदिनी की मां अपनी बेटी पर गर्व महसूस कर रही थी। उन्होंने कितनी मेहनत से उसे पाला, पढ़ाया और आज इतने ऊंचे पद तक पहुंचाया।

सुबह ठीक 11:00 बजे मां बेटी बैंक के बाहर पहुंची। बैंक अभी तक नहीं खुला था। हालांकि खुलने का समय 10:00 बजे था। नंदिनी ने शांति से दरवाजे के पास बैठकर इंतजार किया। कुछ देर बाद बैंक खुलने पर वे अंदर प्रवेश की। दोनों की पोशाक इतनी साधारण थी कि वहां मौजूद ग्राहक और कर्मचारी उन्हें साधारण ग्रामीण महिलाएं समझकर गलत अनुमान लगा बैठे। किसी ने सोचा भी नहीं कि यह नंदिनी जिले की डीएम है।

धीरे-धीरे वे काउंटर की ओर बढ़ी। वहां वही कविता बैठी थी। नंदिनी ने विनम्रता से कहा, “मैडम, हमें पैसे निकालने हैं। मां की दवा खरीदनी है और कुछ जरूरी काम भी हैं। यह लो चेक देख लो।”
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