गरीब गार्ड ने चोरों से मार खाकर बचाए ATM के लाखों रुपए, जब बैंक का चेयरमैन अस्पताल पहुंचा तो दिया ऐस
.
.
बहादुरी, वफादारी और इंसानियत की मिसाल: बहादुर सिंह और चेयरमैन मेहरा की कहानी
जयपुर शहर के एक छोटे से मोहल्ले भट्टा बस्ती में, जहां ईंट के भट्टों की राख और धुएं से सपने भी राख हो जाते हैं, वहीं दो कमरों के किराए के मकान में बहादुर सिंह अपनी पत्नी पार्वती और बेटी गौरी के साथ रहते थे। 55 साल के बहादुर सिंह भारतीय सेना के रिटायर्ड हवलदार थे। उनकी चाल में फौजी अकड़ थी, लेकिन जिम्मेदारियों ने उस अकड़ को झुका दिया था। सियाचिन की बर्फीली चोटियों पर 20 साल देश की सेवा करने के बाद अब वे रॉयल बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम पर सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे थे।
उनकी तनख्वाह मात्र 8000 रुपए थी, जिसमें से 3000 घर का किराया, 2000 पत्नी की दवाइयों के लिए, 1000 बेटी की स्कूल फीस और किताबों के लिए खर्च हो जाता था। बचे हुए पैसे में महीने भर दो वक्त की रोटी जुटाना किसी जंग से कम नहीं था। कई बार तो बहादुर सिंह खुद रात में सिर्फ पानी पीकर सो जाते, लेकिन अपनी बेटी की पढ़ाई या पत्नी की दवा में कोई कमी नहीं आने देते थे।
पार्वती गठिया की मरीज थी, और ज्यादातर समय दवा की शीशियों को देखते हुए गुजारती थी। गौरी 11वीं कक्षा की छात्रा थी, पढ़ने में होशियार और टीचर बनने का सपना देखती थी। बहादुर सिंह ने कभी अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। वे अक्सर अपनी पुरानी फौजी वर्दी देखकर कहते, “वर्दी का रंग बदल गया है, पर अंदर का फौजी अभी जिंदा है।”
दूसरी तरफ, जयपुर के सबसे पौश इलाके में रॉयल बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन सिद्धार्थ मेहरा का आलीशान बंगला था। वे एक सेल्फ मेड अरबपति थे, जिन्होंने कबाड़ी के काम से शुरुआत कर बैंकिंग साम्राज्य खड़ा किया था। उनके लिए हर चीज़ का मतलब सिर्फ प्रॉफिट या लॉस था, भावनाएं, रिश्ते, इंसानियत जैसे शब्द उनकी डिक्शनरी में नहीं थे। उनके लिए कर्मचारी सिर्फ एक नंबर थे। उनका बेटा राहुल लंदन में पढ़ता था और अपने पिता के बिजनेस से नफरत करता था।
एक सर्द और धुंध भरी रात, बहादुर सिंह वैशाली नगर के एटीएम बूथ पर ड्यूटी कर रहे थे। रात के करीब 2 बजे, एक बिना नंबर प्लेट की वैन एटीएम के सामने आकर रुकी। उसमें से चार नकाबपोश उतरे, जिनके हाथों में लोहे की रोड, सबल और गैस कटर था। बहादुर सिंह की फौजी ट्रेनिंग ने उन्हें सतर्क कर दिया। उन्होंने अपनी पुरानी बंदूक और लाठी कसकर पकड़ ली और एटीएम के दरवाजे पर खड़े हो गए।
चोरों ने धमकी दी, “बुड्ढे, हट जा सामने से वरना यही गाड़ देंगे।” बहादुर सिंह ने फौजी कड़क आवाज़ में जवाब दिया, “जब तक मैं यहां खड़ा हूं, तुम लोग एक कदम भी अंदर नहीं रख सकते। यह बैंक की अमानत है और मैं इसका रक्षक हूं।” चोरों ने सोचा था कि बूढ़ा गार्ड कांप जाएगा, लेकिन बहादुर सिंह ने अकेले ही चारों से मुकाबला किया। लाठी के वार से एक चोर की रोड छूट गई, दूसरे को पेट में चोट लगी। लेकिन चारों ने मिलकर बहादुर सिंह पर हमला किया। उनके घुटनों, कंधे और सिर पर वार किए गए। सिर से खून बहने लगा, लेकिन बहादुर सिंह ने बूथ के अंदर छिपे इमरजेंसी अलार्म का बटन दबा दिया और बेहोश हो गए।
अलार्म की आवाज सुनकर चोर भाग गए। कुछ ही मिनटों में पुलिस और एंबुलेंस पहुंची। बहादुर सिंह को अस्पताल ले जाया गया। बैंक मैनेजर ने औपचारिक रिपोर्ट लिखवाई, लेकिन उनके लिए यह सिर्फ एक रूटीन घटना थी। पार्वती और गौरी अस्पताल में लाचार थीं, इलाज के पैसे नहीं थे। डॉक्टर ने कहा था कि अगले 24 घंटे बहुत महत्वपूर्ण हैं।
अगले दिन यह खबर लोकल अखबार में छोटी सी खबर बनकर छपी। बैंक के हेड ऑफिस में चेयरमैन सिद्धार्थ मेहरा को रिपोर्ट मिली। उन्होंने बस एक नजर डाली, उनके लिए यह अच्छी खबर थी – पैसा बच गया। गार्ड का इलाज इंश्योरेंस से हो जाएगा। मामला खत्म। लेकिन उसी शाम उनके बेटे राहुल का फोन आया। राहुल ने तंज कसते हुए कहा, “डैड, आपके एक और गरीब कर्मचारी ने आपकी तिजोरी बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी। उम्मीद है आप उसे कम से कम थैंक्यू लेटर तो भेजेंगे।”
राहुल की बातों ने सिद्धार्थ मेहरा को झकझोर दिया। पहली बार उन्हें अपने बेटे की बातों में गुस्से के साथ गहरी सच्चाई महसूस हुई। उनके अंदर का इंसान जाग उठा। उन्होंने तुरंत फैसला लिया – “कल सुबह मैं जयपुर जा रहा हूं, उस गार्ड से मिलना है।”
अगली सुबह सिद्धार्थ मेहरा अस्पताल पहुंचे। उनके महंगे सूट और जूतों पर सबकी नजरें थीं। अस्पताल की भीड़, गंदगी, चीखपुकार और दवाओं की गंध उन्हें परेशान कर रही थी। जनरल वार्ड में बहादुर सिंह बेहोश पड़े थे, सिर पर पट्टी बंधी थी। पास में पार्वती और गौरी बैठी थीं। गौरी अपनी मां को पानी पिलाने की कोशिश कर रही थी और पार्वती दवाइयों के लिए नर्स से मिन्नतें कर रही थी। सिद्धार्थ मेहरा चुपचाप सुन रहे थे – कैसे पार्वती अपनी टूटी पायल बेचकर पैसे लाई है, कैसे गौरी पढ़ाई छोड़कर काम करने की सोच रही है।
उस पल में बहादुर सिंह सिर्फ एक पेरोल नंबर नहीं रहे, वे एक जीता जागता इंसान बन गए। सिद्धार्थ मेहरा को पहली बार एहसास हुआ कि बैंक के जो लाखों रुपए बचे, उनकी असली कीमत क्या थी – इस परिवार के आंसू, बेबसी, लड़की के टूटे सपने और आदमी की टूटी सांसें।
तभी बहादुर सिंह ने आंखें खोलीं। उन्होंने अपने बॉस को पहचान लिया, बिस्तर से उठकर सल्यूट करना चाहा। सिद्धार्थ मेहरा भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “नहीं बहादुर सिंह, तुम्हारी ड्यूटी खत्म हो गई। अब मेरी ड्यूटी शुरू होती है।” उन्होंने मैनेजर को आदेश दिया – “अभी इसी वक्त बहादुर सिंह को शहर के सबसे अच्छे अस्पताल में शिफ्ट करो, सारा खर्च बैंक भरेगा।”
फिर उन्होंने गौरी से पूछा, “बेटी, तुम क्या बनना चाहती हो?” गौरी ने कहा, “टीचर।” सिद्धार्थ मेहरा बोले, “आज से तुम्हारी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी बैंक की है। तुम देश के किसी भी कॉलेज में पढ़ना चाहोगी, बैंक एडमिशन करवाएगा, सारे खर्चे देगा।”
फिर बहादुर सिंह की ओर मुड़े, “तुम्हारी बहादुरी और वफादारी के लिए बैंक तुम्हें 25 लाख का इनाम देता है। और जैसे ही तुम ठीक हो जाओगे, तुम चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर बनोगे। तुम्हें जयपुर के अच्छे इलाके में 3 बीएचके फ्लैट मिलेगा।”
बहादुर सिंह की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने कांपते हाथों से कहा, “साहब, आपने तो मेरी पूरी दुनिया बदल दी।” सिद्धार्थ मेहरा ने उनका हाथ पकड़कर कहा, “नहीं बहादुर सिंह, दुनिया तुमने मेरी बदली है। आज तुमने मुझे सिखाया है कि असली दौलत बैलेंस शीट में नहीं बल्कि इंसानियत में होती है।”
उस दिन के बाद बहादुर सिंह की जिंदगी बदल गई। अच्छे अस्पताल में इलाज हुआ, वे स्वस्थ हो गए। नए घर में शिफ्ट हो गए, पार्वती का इलाज शुरू हुआ, गौरी दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने चली गई। बहादुर सिंह चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर बन गए और कई गार्ड्स की जिंदगी में सुधार लाए। सिद्धार्थ मेहरा भी बदले हुए इंसान बन गए। उन्होंने बैंक में कर्मचारियों के हित में नई नीतियां शुरू कीं और बहादुर सिंह वेलफेयर फंड बनाया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का फल देर से मिलता है, लेकिन मिलता जरूर है। जब ताकतवर इंसान मुनाफे का पर्दा हटाकर इंसानियत के चश्मे से दुनिया को देखता है, तो वह हजारों जिंदगियों में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। बहादुर सिंह की बहादुरी और मेहरा के हृदय परिवर्तन ने साबित कर दिया कि असली दौलत इंसान के जमीर और उसकी इंसानियत में होती है।
.
play video:
News
Archana Tiwari caught with a constable, police exposed the truth! Katni Missing Girl! Archana Missing Case
Archana Tiwari caught with a constable, police exposed the truth! Katni Missing Girl! Archana Missing Case The disappearance of Archana…
The constable made Archana disappear, constable Ram Tomar was caught! Katni Missing Girl! Archana…
The constable made Archana disappear, constable Ram Tomar was caught! Katni Missing Girl! Archana… Archana Tiwari, a resident of Katni…
Police suspects Archana’s friends, Police finds evidence in the hostel! Katni Missing Girl! Archana Missing
Police suspects Archana’s friends, Police finds evidence in the hostel! Katni Missing Girl! Archana Missing The enigmatic disappearance of Archana…
Manisha’s accused arrested, police made shocking revelation! Bhiwani Lady Teacher Manisha Case
Manisha’s accused arrested, police made shocking revelation! Bhiwani Lady Teacher Manisha Case In recent weeks, the quiet town of Bhiwani…
Sad news for Urfi Javed as Urfi Javed admit to Hospital after Attacked and in Critical Condition!
Sad news for Urfi Javed as Urfi Javed admit to Hospital after Attacked and in Critical Condition! Urfi Javed, the…
What happened to Archana Tiwari in the train, tea seller made a big revelation | Archana Missing …
What happened to Archana Tiwari in the train, tea seller made a big revelation | Archana Missing … In a…
End of content
No more pages to load