इस बच्चे की सीटी ने क्या कहा… जिससे पूरी ट्रेन रुक गई? – फिर जो हुआ

“गूंजती सीटी – गोलू और स्टेशन का रहस्य”
पहला भाग – नन्हा खिलौने वाला और रहस्यमयी सुबह
हर सुबह वही प्लेटफार्म, वही रेल की सीटी, वही भागती भीड़ – और उसी भीड़ में गूंजती थी एक मासूम आवाज, “खिलौने ले लो लकड़ी के खिलौने!”
गोलू, सिर्फ 12 साल का, लेकिन वक्त से ज्यादा समझदार। बिखरे बाल, आंखों में चमक, पर भीतर एक डर। रोज सुबह अपने पुराने थैले में लकड़ी के छोटे-छोटे खिलौने लेकर स्टेशन आता – घोड़े, कारें और सबसे खास, एक सीटी, जो उसने खुद बनाई थी। उस सीटी की आवाज आम नहीं थी – भारी, रहस्यमयी, जैसे उसमें कोई कहानी छुपी हो।
एक दिन की सुबह कुछ अलग थी। गोलू जल्दी स्टेशन पहुंचा। प्लेटफार्म पर ठंडी हवा और सूरज की किरणें धुएं में घुली लग रही थीं। तभी एक 50 साल का आदमी, गले में कोट, आंखों में बेचैनी, हाथ में काला ब्रीफ केस, सीधे गोलू के पास आया।
“यह सीटी कितने की है?”
“₹20 साहब।”
आदमी ने 500 का नोट गोलू को दिया, “बाकी अपने पास रख लेना।”
गोलू को पैसे ज्यादा लगे, पर आदमी की निगाहें खाली थीं – जैसे किसी और जगह से आया हो, किसी और को ढूंढ रहा हो।
जाते-जाते ब्रीफ केस से एक धीमी आवाज आई – टक टक टक। गोलू ठिठक गया। वही आवाज कल रात उसकी सीटी से भी आई थी। कल रात जब गोलू ने सीटी फूंकी, आवाज बदल गई थी – भारी, गहरी गूंज। उसे डर लगा, सोचा लकड़ी में दरार आ गई होगी। अब वही गूंज ब्रीफ केस से आ रही थी।
दूसरा भाग – खतरे की घंटी और गोलू की हिम्मत
तभी ट्रेन ने सीटी मारी – “सुमेरगंज एक्सप्रेस प्लेटफार्म तीन से रवाना होगी।”
गोलू का दिल धड़कने लगा। वह भागा पुलिस चौकी की तरफ, “साहब ट्रेन मत चलाओ! उस ट्रेन में कुछ गड़बड़ है, उस ब्रीफ केस में आवाज है!”
कांस्टेबल ने उसे डांटा, “अबे भाग इधर से!”
गोलू ने इंस्पेक्टर विक्रांत शेखावत को सब बताया – सीटी की आवाज, वही गूंज, वही ब्रीफ केस। विक्रांत ने वायरलेस उठाया, “कंट्रोल, प्लेटफार्म तीन, ट्रेन रोको, कोच बी तीन की जांच करो!”
कुछ ही सेकंड में पुलिस डिब्बे में घुसी। तीसरी सीट के नीचे वही काला ब्रीफ केस पड़ा था। विक्रांत ने केस उठाया, खोला – अंदर तारें, टाइमर, चमकती लाल लाइट – 2:41 सेकंड।
बम स्क्वाड बुलाया गया। लोग भागने लगे, बच्चे रोने लगे।
बम स्क्वाड ने 7 सेकंड पहले टाइमर रोक दिया। पूरा स्टेशन थम गया।
विक्रांत ने गोलू से पूछा, “तू कैसे जान गया?”
गोलू बोला, “साहब कल रात कोई मेरे खिलौनों के पास आया था। उसने कहा, ‘कल सुबह तेरी सीटी बोलेगी।’ मैंने सोचा मजाक है। पर आज आवाज बदली थी, वही गूंज ब्रीफ केस से आई।”
रिपोर्ट आई – ब्रीफ केस पर उंगलियों के निशान थे। नाम – देवदत्त राणा।
देवदत्त राणा, वही रिटायर्ड अफसर जो 5 साल पहले इसी स्टेशन से लापता हुआ था। उस वक्त उसने रेलवे विस्फोटों का बड़ा केस पकड़ा था। केस अधूरा रह गया, लोग कहते थे मर गया, कोई कहता पागल हो गया।
अब उसका नाम फिर सामने था।
तीसरा भाग – रहस्य और गोलू की सीटी का राज
विक्रांत ने कहा, “ब्रीफ केस वहीं से आया जहां से कहानी खत्म नहीं हुई थी।”
गोलू ने पूछा, “साहब, यह देवदत्त राणा कौन है?”
“वह वो इंसान था जिसने एक बार इस शहर को बचाया था। अब शायद लौट आया है कुछ खत्म करने।”
रात गोलू के घर के पास एक परछाई गुजरी। कोई था जो अंधेरे में खड़ा उसे देख रहा था। गोलू को लगा, किसी ने बहुत धीरे से वही सीटी की धुन बजाई।
अगले दिन गोलू ने देखा, उसकी सीटी पर किसी ने लिखा था – “राणा जिंदा है।”
विक्रांत ने सीटी हाथ में ली, बोला, “अब यह सिर्फ एक बच्चा नहीं, गवाह है एक सच्चाई का जो 5 साल से दबी है।”
गोलू अब मासूम नहीं था। सवाल था – देवदत्त राणा कौन था? उसने एक बच्चे को क्यों चुना? उस सीटी में क्या था जो सब सुनवा देता था?
चौथा भाग – सीटी की आवाज और सच की खोज
गोलू रातभर सो नहीं पाया। उसकी आंखों में वही चेहरा घूम रहा था – “कल तेरी सीटी बोलेगी।”
कमरे में टपकती छत, गोलू सीटी को कान के पास लाता है – हल्की फुसफुसाहट, कोई नाम – “राणा।”
गोलू डर के मारे सीटी गिरा देता है। तभी दरवाजे पर दस्तक – बाहर इंस्पेक्टर विक्रांत, “गोलू को स्टेशन चलना होगा।”
स्टेशन पर पुलिस, डॉग स्क्वाड, कोच बी तीन सील।
विक्रांत ने कहा, “देवदत्त राणा का नाम तो मिला है, पर ब्रीफ केस पर उंगलियों के निशान 5 साल पुराने रिकॉर्ड से मैच किए गए हैं। यानी किसी और ने रखा, जानबूझकर पुराने रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया।”
कंट्रोल रूम के पास एक नोटबुक मिली – “राणा केस लॉग 2019″।
बीच के पन्ने पर लिखा था – “अगर यह पढ़ रहे हो तो किसी बच्चे की आवाज सुनो। वह मेरी गूंज बनेगा।”
स्टेशन के पुराने माइक से आवाज आई – “वक्त लौट आता है। सीटी फिर बजेगी।”
माइक ऑफ था, आवाज सिस्टम के अंदर से आई थी।
गोलू घर गया, सीटी को देखा – लकड़ी पर लिखा था, “सच पटरियों के नीचे है।”
पांचवां भाग – पटरी के नीचे का सच
गोलू प्लेटफार्म नंबर तीन के नीचे गया। मिट्टी हटाई – एक छोटा टिन बॉक्स निकला।
अंदर – पुरानी पुलिस की आईडी, “देवदत्त राणा, इंस्पेक्टर रेलवे क्राइम डिवीजन”, साथ में एक फोटो – राणा और वही आदमी जो कल ब्रीफ केस लेकर आया था, अर्नव तनेजा।
पीछे से आवाज – “सच जानने की इतनी जल्दी क्यों गोलू?”
अंधेरे में वही परछाई।
“मैं राणा हूं।”
गोलू पीछे हट गया।
राणा बोला, “मैं जिंदा हूं, मगर उस दिन मरा जब मैंने सच्चाई छुपाई। 5 साल पहले स्टेशन पर सीरियल ब्लास्ट्स के केस में मैंने गुनहगार समझकर व्यापारी अर्नव तनेजा को फंसा दिया। सिस्टम ने मुझे झूठे सबूत दिखाए, मैंने उसके खिलाफ चार्ज लगा दिए। उसकी पत्नी और बच्चा ट्रेन में थे, उसी ट्रेन में जो उड़ा दी गई। तब से मैं गुमनाम रहा।”
“मैं चाहता था सच कभी सामने आए। इसलिए सीटी उसी लकड़ी से बनवाई जिसमें बम के तार रखे गए थे, ताकि जब वक्त आए, वो आवाज लौटे – मेरे सच की गूंज के साथ।”
गोलू की आंखों से आंसू बहने लगे।
“पुलिस को क्यों नहीं बताया?”
“क्योंकि पुलिस अब उसी सिस्टम का हिस्सा है जिसने अर्नव को मारा। विक्रांत भी मुझे ढूंढा, पर रुक गया जब उसे प्रमोशन मिला।”
राणा ने गोलू की सीटी ली, “इसमें रिकॉर्डर है। कल रात जब अर्नव स्टेशन आया, उसमें वो आवाज कैद हो गई जो सिस्टम ने छुपाई थी। जब सब सुनेंगे, सच्चाई खुलेगी।”
बाहर सायरन गूंजा, विक्रांत की गाड़ी आ रही थी।
राणा बोला, “अगर मैं पकड़ा गया तो सच्चाई फिर दफन हो जाएगी। अब तू मेरी आवाज है गोलू। सीटी संभाल कर रखना।”
छठा भाग – विक्रांत का सच और गोलू की हिम्मत
विक्रांत पहुंचा, “गोलू तू यहां क्या कर रहा है?”
गोलू बोला, “साहब, राणा जिंदा है।”
गोलू ने सीटी दी, “इसमें सब रिकॉर्ड है।”
विक्रांत ने सीटी जेब में रखी, “अब मामला मैं संभालूंगा।”
गोलू के जाने के बाद विक्रांत ने गाड़ी की खिड़की बंद की, “राणा तू फिर लौट आया।”
टीम को आदेश – “केस मेरे कंट्रोल में है। बच्चा नजरों से ओझल ना हो।”
अगले दिन गोलू स्टेशन पहुंचा – ठेले के पास सब बिखरा, सीटी गायब, दीवार पर लिखा – “सच की कीमत होती है गोलू।”
गोलू मुस्कुराया – “अब मेरी बारी है बोलने की।”
सातवां भाग – सच की गूंज और इंसाफ
गोलू ने पटरी के पास चमकती घड़ी देखी – पीछे लिखा था, “समय लौटेगा पर सच नहीं।”
इंस्पेक्टर विक्रांत आया, “फिर आ गया तू? मैंने कहा था दूर रह इस जगह से।”
गोलू बोला, “साहब, वो आवाज फिर आई है। नीचे से।”
विक्रांत ने कहा, “कुछ भी नहीं है नीचे। जो था वो अब मेरे पास है। मामला बंद।”
गोलू ने कहा, “पर सीटी तो मेरे पास नहीं।”
विक्रांत बोला, “हां ली थी, क्योंकि कुछ चीजें बच्चों के पास रहने लायक नहीं होती। भूल जा सब, राणा मर चुका है।”
मालगाड़ी गुजरी, नीचे से वही गूंज आई।
गोलू पटरी के नीचे घुस गया – लकड़ी की पेटी, “केस राणा 2019”, अंदर कागज, पेनड्राइव।
विक्रांत ने पेनड्राइव छीनी, “तू नहीं जानता इसमें क्या है? इसमें वो सबूत हैं जो मेरी जिंदगी और करियर मिटा सकते हैं। राणा ने यह सब रचा मुझे गिराने के लिए।”
गोलू बोला, “पर आपने तो कहा था वह मर चुका है।”
“मरना आसान है, पर कुछ लोग मरकर भी वक्त में जिंदा रहते हैं। राणा खुद ब्लास्ट केस में शामिल था।”
तभी स्टेशन के पुराने स्पीकर से आवाज आई, “विक्रांत तूने झूठ को सच कहा? अब सच खुद बोलेगा।”
इंटरकॉम पर वीडियो चालू हुआ – राणा की फुटेज, “अगर यह फुटेज दिख रही है तो शायद मैं जिंदा नहीं। विक्रांत, तूने सिस्टम के नाम पर अपने दोस्त को मार दिया था। अब तेरा सच सबके सामने आएगा।”
सीटी में रिकॉर्डिंग – “एक्सक्यूट प्लान बी, ब्लास्ट कंफर्म।”
विक्रांत चिल्लाया, “नहीं, एडिटेड है। राणा ने एडिट किया है।”
पुलिस के सायरन, सीनियर ऑफिसर – “सर, पेनड्राइव में विक्रांत का नाम है। सबूत क्लियर हैं।”
विक्रांत ने बंदूक फेंकी, “राणा जीत गया।”
हवा में सीटी की गूंज, प्लेटफार्म के लाउडस्पीकर से राणा की आखिरी रिकॉर्डिंग – “जिस दिन सच और झूठ दोनों एक साथ बोले, वही दिन इंसाफ का होगा।”
मीडिया ने दिखाया – 5 साल पुराना केस सुलझा, असली दोषी पकड़ा गया।
पर किसी ने नहीं बताया वह सीटी कहां गई।
अंतिम भाग – गूंज कभी खत्म नहीं होती
गोलू ने अगले दिन स्टेशन पर अपने ठेले को देखा – टूटा लकड़ी का ढांचा, मिट्टी में दबी वही सीटी।
उसने सीटी फूंकी – आवाज साफ थी, ना कोई रहस्य, बस सुकून।
सीटी जेब में रखी, आसमान की तरफ देखा – “अब आवाज साफ है।”
जाते-जाते प्लेटफार्म की दीवार पर एक परछाई पड़ी – वही नीला कोट, वही चाल, पर चेहरा नहीं दिखा।
हवा चली, पटरी से फिर वही पुरानी आवाज आई – टक टक टक।
गोलू मुस्कुराया – “शायद गूंज कभी खत्म नहीं होती।”
सीख:
सच की गूंज हमेशा रहती है, चाहे कितने भी झूठ उस पर परदा डाल दें।
हर मासूम आवाज के पीछे एक कहानी है, हर सीटी की गूंज में कोई राज है।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक, शेयर करें और चैनल स्टोरी वाइब एक्सप्लेन को सब्सक्राइब करना ना भूलें।
मिलते हैं एक नई कहानी में। जय हिंद। वंदे मातरम।
News
इस छोटे से बच्चे ने बाप से मांगी वो चीज़… जो पैसे से नहीं मिलती – फिर जो हुआ
इस छोटे से बच्चे ने बाप से मांगी वो चीज़… जो पैसे से नहीं मिलती – फिर जो हुआ “मां…
सबसे शरारती लड़के ने ऐसा क्या बोल दिया… कि प्रिंसिपल सबके सामने झुक गए? | Heart Touching Story
सबसे शरारती लड़के ने ऐसा क्या बोल दिया… कि प्रिंसिपल सबके सामने झुक गए? “हिम्मत का बच्चा – ध्रुवेश की…
पति के सारे रुपए खर्च करने के बाद तलाक दे दिया, पति ने होशियारी दिखाई.. फिर जो हुआ। Heart Touching
पति के सारे रुपए खर्च करने के बाद तलाक दे दिया, पति ने होशियारी दिखाई.. फिर जो हुआ ख्वाहिशों का…
गरीब समझकर अपमान किया… अगले दिन खुला राज वहीं निकला शोरूम का असली मालिक…..
गरीब समझकर अपमान किया… अगले दिन खुला राज वहीं निकला शोरूम का असली मालिक….. असल पहचान – आरव की कहानी”…
साहब मेरे बच्चे को रोटी के बदले खरीद लें ,ये बहुत भूखा है , महिला की बात सुनकर करोड़पति के होश
साहब मेरे बच्चे को रोटी के बदले खरीद लें ,ये बहुत भूखा है , महिला की बात सुनकर करोड़पति के…
“क्या आप अपना बचा हुआ खाना मुझे देंगे?” बेघर भूखे लड़के के इस सवाल ने करोड़पति महिला को रुला दिया
“क्या आप अपना बचा हुआ खाना मुझे देंगे?” बेघर भूखे लड़के के इस सवाल ने करोड़पति महिला को रुला दिया…
End of content
No more pages to load






