शहर की रंगीन शाम और फुटपाथ का सितारा – एक प्रेरणादायक कहानी
शहर की शाम बहुत रंगीन थी। होटल के सामने से चमचमाती गाड़ियां निकल रही थीं, लोग महंगी पोशाकों में हंसते-मुस्कुराते होटल के अंदर-बाहर आ-जा रहे थे। उसी चकाचौंध के बीच, फुटपाथ पर एक भिखारी बैठा था। उसके कपड़े मैले और फटे हुए थे, पैरों में चप्पल तक नहीं थी। उसके सामने रखा कटोरा बिल्कुल खाली था। वह थकी हुई आंखों से राहगीरों को देखता, लेकिन कोई भी उसकी ओर ध्यान नहीं देता था।
तभी एक काली लग्जरी कार होटल के सामने आकर रुकी। दरवाजा खुला और शहर का सबसे बड़ा अरबपति, महंगे सूट में सिक्योरिटी और नौकरों के साथ बाहर निकला। भिखारी ने उम्मीद से उसकी ओर हाथ फैलाया और धीमी आवाज में बोला, “साहब, कुछ खाने को दे दीजिए।” अरबपति ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा, फिर हल्की हंसी के साथ बोला, “भीख चाहिए? ऐसे ही क्यों दूं? बताओ, तुम्हारे पास कोई हुनर है या नहीं?”
उसकी आवाज में घमंड झलक रहा था, जैसे गरीब की मजबूरी उसके लिए मजाक हो। पास खड़े लोग रुक गए, तमाशा देखने लगे। भिखारी का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया, आंखों में आंसू आ गए। अरबपति फिर हंसते हुए बोला, “क्या हुआ? बोलते हो भूख लगी है, अब हुनर नहीं है तो हटो यहां से।” भीड़ हंसने लगी, भिखारी खुद को और भी छोटा महसूस करने लगा।
कुछ पल तक भिखारी चुपचाप बैठा रहा। उसके भीतर डर और संकोच की जंग चल रही थी। भीड़ की हंसी उसके दिल को चीर रही थी। वह सोच रहा था—क्या भूख की वजह से अपनी इज्जत भी बेच दूं? तभी उसके पेट से जोर की आवाज आई। उसने पेट पर हाथ रखा और आंखें झुका लीं। अरबपति ने ताने मारते हुए कहा, “देखो, गाने से डर रहा है। भीख मांग सकता है, मेहनत नहीं कर सकता। यही फर्क है अमीर और गरीब में।”
भीड़ में कुछ लोग सिर हिलाकर हंस पड़े, किसी ने मोबाइल निकालकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया। भिखारी ने चारों ओर देखा, सबकी आंखों में मजाक था, रहम नहीं। कांपती आवाज में बोला, “अगर गाने से पेट भर सकता है, तो गाऊंगा।” उसकी आवाज में दर्द था। अचानक भीड़ खामोश हो गई, सबको लगा अब कुछ अनोखा होने वाला है।
भिखारी ने आंखें बंद कीं, होंठ कांप रहे थे, पर दिल से कोई पुराना जख्म जाग उठा। उसने गहरी सांस ली और गाना शुरू किया। उसकी आवाज में दर्द, भूख और टूटी जिंदगी की सच्चाई थी। हर सुर में उसकी कहानी थी। भीड़, जो अभी हंस रही थी, अब चुप हो गई। बच्चे भी चुपचाप उसकी ओर देखने लगे। किसी की आंखों में आश्चर्य, किसी के चेहरे पर सहानुभूति थी। होटल का गार्ड भी सुनने लगा।
अरबपति के चेहरे से भी मुस्कान धीरे-धीरे गायब होने लगी। वह सोच रहा था—यह आवाज तो किसी बड़े मंच पर होनी चाहिए थी, सड़क पर नहीं। भिखारी का गाना सबके दिल को छू रहा था। शहर की चहल-पहल भी उसके सुरों के आगे थम गई थी।
अरबपति धीरे-धीरे आगे बढ़ा, उसके सामने खड़ा हो गया। उसकी आंखों में अतीत का आईना था। उसे याद आया, बचपन में उसकी मां भी यही गीत गाकर सुलाती थी। पहली बार उसके दिल में दया नहीं, सम्मान की लहर उठी। भीड़ तालियों से गूंज उठी। लोग पैसे निकालकर भिखारी के कटोरे में डालने लगे। जो वीडियो बना रहे थे, वे अब उसे लाइव शेयर कर रहे थे—”देखो, यह कोई साधारण भिखारी नहीं, यह तो गायक है!”
अरबपति वहीं खड़ा रहा, आंखें भीग गईं। उसने अपने नौकर से कहा, “इसकी आवाज मेरी रूह तक को छू गई है।” भीड़ का शोर और ताली उस भिखारी के लिए जीवन की सबसे बड़ी पहचान बन गई थी। गाना खत्म होते ही भीड़ जोरदार तालियां बजाने लगी। जिन लोगों ने उसका मजाक उड़ाया था, वही अब तारीफ कर रहे थे। कोई बोला, “भाई, ऐसी आवाज तो बड़े-बड़े गायकों में नहीं सुनी!”
भिखारी की आंखों में आंसू थे, इतना सम्मान उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। अरबपति चुपचाप देख रहा था। उसके मन में सवाल था—इतना अनमोल हुनर, फिर भी यह आदमी सड़क पर क्यों है? भीड़ अब उसे सिर्फ भिखारी नहीं, एक कलाकार की नजर से देख रही थी।
अरबपति आगे आया, भिखारी के सामने खड़ा हो गया। सबकी नजरें अब उसी पर थीं। उसने गहरी सांस ली और कहा, “तुम्हें इन सड़कों पर गाने की जरूरत नहीं है। तुम्हारा हुनर दुनिया तक पहुंचना चाहिए। कल से तुम मेरे म्यूजिक स्टूडियो आओगे। तुम्हारी आवाज को दुनिया सुनेगी। मैं वादा करता हूं, अब तुम्हारा हर सुर इज्जत से गूंजेगा, मजबूरी से नहीं।”
भीड़ तालियां बजाने लगी, कैमरों की फ्लैश चमक उठी। लोग कह रहे थे—”आज एक भिखारी नहीं, एक सितारा पैदा हुआ है!” भिखारी के गाल आंसुओं से भीग गए। कांपती आवाज में बोला, “साहब, मैंने तो सिर्फ पेट की आग बुझाने के लिए गाया था। कभी सोचा नहीं था कि मेरी आवाज मेरी जिंदगी बदल देगी।” अरबपति ने उसका कंधा थामा और नरम लहजे में कहा, “कभी अपनी कीमत कम मत आंकना। तुम्हारे भीतर सोना है, बस पहचानने वाला चाहिए था।”
भीड़ फिर तालियों से गूंज उठी। कुछ लोग भिखारी के पैर छूने लगे। सोशल मीडिया पर उसका वीडियो वायरल हो गया। भिखारी ने कटोरे की ओर देखा—जहां पहले खालीपन था, अब नोट और सिक्कों से भरा था। मगर उसके लिए सबसे बड़ा इनाम पैसे नहीं, बल्कि अपनी पहचान थी।
वह आसमान की ओर देखकर मुस्कुराया और बोला, “आज भूख ने नहीं, मेरी आवाज ने मुझे जिंदा रखा है।” पहली बार अरबपति की आंखों में गर्व नहीं, इंसानियत की सच्ची चमक थी।
News
दो नादान लड़के, एक बस और एक पुलिसवाले की कहानी
दो नादान लड़के, एक बस और एक पुलिसवाले की कहानी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की एक पुरानी बस, लखनऊ की…
लड़का बस में पुलिस की बुराई करता रहा ,अगली सीट पर बैठे आदमी ने बताया की मै पुलिस में हूँ ,फिर जो हुआ
दो नादान लड़के, एक बस और एक पुलिसवाले की कहानी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की एक पुरानी बस, लखनऊ की…
एक दिन शहर के सबसे बड़े पाँच सितारा होटल में एक बुजुर्ग आदमी साधारण कपड़े पहने हुए पहुँचे। उनके हाथ में एक पुराना झोला था। गार्ड ने उन्हें रोकते हुए कहा, “बाबा, यहाँ क्या काम है आपका?”
असली अमीरी सोच में होती है एक दिन शहर के सबसे बड़े पाँच सितारा होटल में एक बुजुर्ग आदमी साधारण…
खोया हुआ बेटा स्टेशन पर जूते पोलिश करते हहुए मिला फिर बच्चे ने अपने पिता से कहा जो इंसानियत रो पड़े
शहीद के बेटे की कहानी: जूते की धूल से सेना की वर्दी तक बस अड्डे की भीड़ में रोज सैकड़ों…
एक सच्ची कहानी: रोटी की तलाश में अनाया
एक सच्ची कहानी: रोटी की तलाश में अनाया सड़क के किनारे, धूल और कूड़े के ढेर में एक नन्ही बच्ची…
अरबपति की लापता बेटी कचरे में रोटी ढूंढती मिली… उसकी एक बात ने पिता को रुला दिया… फिर जो हुआ
एक सच्ची कहानी: रोटी की तलाश में अनाया सड़क के किनारे, धूल और कूड़े के ढेर में एक नन्ही बच्ची…
End of content
No more pages to load