इस छोटे से बच्चे ने बाप से मांगी वो चीज़… जो पैसे से नहीं मिलती – फिर जो हुआ

“मां की कीमत – ईशान, अमित और नेहा की कहानी”
पहला भाग: टूटी गुल्लक और एक मासूम सवाल
एक रात, चार साल का ईशान वर्मा अपने कमरे के कोने में बैठा था। सामने टूटी गुल्लक, हाथों में सिक्कों की खनक।
पिता अमित वर्मा ने दरवाजा खोला तो बेटे ने मासूम आंखों से पूछा, “पापा, आप मम्मी लेकर आए?”
अमित का दिल वहीं रुक गया। उसने झुककर कहा, “बेटा, मम्मी अब नहीं आती।”
ईशान ने जिद की, “झूठ मत बोलो। आप पैसे से सब खरीद सकते हो ना? मम्मी भी खरीद लो।”
अमित सन्न रह गया। उसकी आंखों से आंसू निकल पड़े। दीवार पर टंगी काव्या की तस्वीर उसे घूर रही थी – वही मुस्कुराती तस्वीर, जिसने अब घर को यादों का कब्रिस्तान बना दिया था।
दो साल पहले सड़क हादसे में काव्या चली गई थी। उस रात अस्पताल में काव्या ने कहा था – “झूठ मत बोलना अमित, कभी अपने बच्चे से।”
और आज अमित हर दिन झूठ जी रहा था – “मम्मी बाहर गई है बेटा, जल्दी आएंगी।”
आज वह झूठ टूट गया।
दूसरा भाग: एक रात का सौदा
अमित ने गुल्लक उठाई, सिक्कों की खनक सुनी और बाहर निकल गया।
पड़ोसी अर्जुन के घर पहुंचा। अर्जुन ने मजाक में कहा था – “पैसे दो तो सब मिल जाता है।”
अब वही बात ईशान के दिमाग में बैठ गई थी। अर्जुन ने गलती मानी, फिर सुझाव दिया – “एक महिला है, नेहा दीवान। मजबूर है, गलत काम नहीं करती। अगर बस बच्चे को मां की तरह थोड़ी देर सीने से लगा ले तो शायद उसे सुकून मिल जाए।”
अमित ने सख्ती से कहा, “मैं कोई सौदा नहीं करूंगा।”
अर्जुन बोला, “यह सौदा नहीं, एक बच्चे की नींद का इलाज है।”
अमित ने नंबर लिया, नेहा से बात की।
नेहा ने शर्त रखी – “मेरे साथ कोई गलत व्यवहार नहीं होगा।”
अमित ने कसम दी – “सिर्फ मेरे बच्चे के लिए।”
रात 10:30 बजे, नेहा आई। सादा सलवार-कुर्ता, चेहरा आधा ढका, आंखों में थकान और गहराई का सुकून।
घर पहुंचते ही ईशान दौड़ता हुआ आया, “पापा, यही है मम्मी?”
अमित ने सिर झुका लिया, “हां बेटा, यही है तेरी मम्मी।”
ईशान खुश होकर बोला, “मम्मी, आप वापस आ गई?”
नेहा का दिल कांप गया। उसने बच्चे को सीने से लगा लिया, “हां बेटा, अब मैं यहीं हूं।”
ईशान ने गुल्लक दिखाई, “देखो मम्मी, मैंने पैसे बचाए थे ताकि आप लौट आओ।”
नेहा की आंखों से आंसू बह निकले। उसने लोरी गुनगुनाई, ईशान उसकी गोद में मुस्कुराते हुए सो गया।
अमित दरवाजे से यह सब देख रहा था। उसे लगा जैसे काव्या वापस लौट आई हो।
तीसरा भाग: रिश्तों की नई शुरुआत
नेहा ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया। अमित ने पैसे देने चाहे, नेहा ने मना कर दिया – “आज पहली बार किसी ने मुझे मां जैसा महसूस करवाया है। अगर कभी उसे फिर मां की जरूरत हो तो बुला लेना।”
नेहा रोज आने लगी – ईशान को नहलाती, माथा चूमती, कहानियां सुनाती। जब भी ईशान रोता, नेहा अपनी बाहों में उसे ऐसे सुलाती जैसे उसकी अपनी संतान हो।
अमित को उसकी सादगी, गरीबी और सम्मान में एक अजीब राहत मिलने लगी।
ईशान की हंसी लौट आई थी। घर में नई सुगंध थी, अमित के लिए नींद भी लौटने लगी थी।
मोहल्ले में बातें होने लगीं, “साहब की किस्मत खुल गई!”
पर अमित जानता था, उसने अपने भीतर किस तरह का सौदा किया है।
नेहा भी बदलने लगी। ईशान के सामने खिल उठती, मिट्टी में गुड्डे बनाती, छोटे-छोटे पकवान बनाती।
पैसे लेने से इनकार करती – “बेटा, तुम्हारी हंसी के आगे मेरा काम छोटा है।”
चौथा भाग: अतीत का साया
एक शाम, गली में अजनबी चेहरे आए। “नेहा दीवान कहां है?”
नेहा ने दरवाजा बंद कर लिया। अमित ने पूछा, “यह कौन हैं?”
नेहा बोली, “यह मेरा अतीत है।”
अगले दिन वही लोग फिर आए – नेहा को वापस ले जाने का इरादा था।
अमित ने महसूस किया कि मोहल्ले में डर फैल गया है। अर्जुन गायब था।
नेहा की आंखों में डर और थकान बढ़ गई थी। वह ईशान को कसकर गले लगाती, “अगर मुझे पकड़ लें तो तुम अपना चेहरा मत दिखाना।”
एक रात, उन लोगों ने धमकी दी – “नेहा को वापस करो, वरना उसका कर्ज बढ़ जाएगा।”
अमित ने नेहा की हथेली पकड़ी, “तुम्हें आज किसी को नहीं देना। मैं तुम्हें बचाऊंगा।”
पांचवां भाग: संघर्ष और कानून की लड़ाई
नेहा ने कहा, “अगर तुम मेरे साथ हो अमित, तो हम लड़ेंगे।”
अमित ने सामाजिक कार्यकर्ता सोहम रैना से संपर्क किया।
सोहम ने समझाया – “यह मामला सिर्फ नेहा का नहीं, एक गिरोह का है। हमें सबूत, गवाह और नेहा की हिम्मत चाहिए।”
मोहल्ले के कुछ लोगों को साथ बुलाया, योजना बनाई – नेहा कैमरे वाले रास्ते से घर लौटेगी, पुलिस को सूचित किया जाएगा।
योजना के मुताबिक, पुलिस ने गिरोह को दबोच लिया।
मुखिया राकेश गुहा पकड़ा गया – उसने कई महिलाओं को कर्ज के जाल में फंसाया था, नेहा भी उसी में थी।
गिरफ्तारी के बाद नेहा का चेहरा खिल उठा।
अमित नेहा और ईशान – अब एक परिवार बनने लगे।
छठा भाग: अदालत की जंग और सच्चाई का उजागर होना
राकेश ने अपनी जुर्माना माफी के लिए चालें चलीं, धमकी दी।
नेहा पर दबाव बढ़ता गया, मोहल्ले में अजनबी दिखने लगे।
नेहा ने कोर्ट में गवाही दी, सच बोला।
लेकिन राकेश ने कुछ पुराने दस्तावेज पेश किए – नेहा के नाम से जुड़ी चीजें, पुराना पता, एक तस्वीर, लिखा था कि नेहा ने एक चोरी में गवाह का रोल निभाया था।
मीडिया ने नेहा की छवि पर सवाल उठाए।
नेहा टूटने लगी, लेकिन ईशान की हंसी ने उसे संभाल लिया।
अमित ने अपनी जेब से पुरानी डायरी निकाली – नेहा की मां की डायरी, जिसमें नेहा के असली हस्ताक्षर थे।
फॉरेंसिक रिपोर्ट ने साबित किया – राकेश के दस्तावेज फर्जी हैं।
जज ने नेहा को निर्दोष माना, राकेश को उम्रकैद की सजा सुनाई।
सातवां भाग: जीत, परिवार और नई पहचान
अदालत की गैलरी में तालियां गूंज उठीं।
नेहा की आंखों से आंसू बह निकले।
अमित ने उसकी हथेली पकड़ ली – “अब डर खत्म। आज तू जीती है।”
मीडिया ने पूछा – “अब क्या करेंगी? क्या अमित से शादी करेंगी?”
नेहा मुस्कुराई – “अब मेरे पास परिवार है। यह बच्चा मेरी पहचान है।”
घर लौटा, दीवारें भारी नहीं थीं, हवा में उम्मीद थी।
दिवाली पर ईशान ने कार्ड बनाया – “मेरी असली मम्मी नेहा।”
नेहा बोली, “बेटा, यह सबसे कीमती तोहफा है।”
अमित ने कहा, “अब यह घर पूरा है।”
नेहा बोली, “मेरी कहानी साफ नहीं है।”
अमित ने कहा, “सच्चा दिल वही है जो किसी टूटे को जोड़ दे। तू मेरे बेटे की मां और मेरी अपनी है।”
ईशान बोला, “पापा, अब कभी मम्मी को मत जाने देना।”
अमित ने उसे गोद में उठाया, “अब वह कहीं नहीं जाएगी। अब यह घर हमारा है।”
आठवां भाग: नई शुरुआत और प्रेरणा
नेहा अब एक एनजीओ में काम करती थी, उन औरतों के लिए जो मजबूरी में गलत रास्तों पर धकेली जाती थीं।
अमित दुकान चलाता था।
घर में अमीरी हंसी से मापी जाती थी।
ईशान ने स्कूल में निबंध लिखा – “मेरी प्रेरणा मेरी मम्मी नेहा है। उन्होंने सिखाया कि मां पैसों से नहीं, दिल से मिलती है।”
नेहा ने कॉपी पढ़ी, रो पड़ी – “यह आंसू नहीं, शांति है।”
अमित ने कहा, “जिंदगी वहीं देती है जो हमसे छीना गया हो, जब हम सच में बदलना चाहें।”
कुछ महीने बाद नेहा और अमित ने मंदिर में सात फेरे लिए – कोई मेहमान नहीं, सिर्फ ईशान और दो गवाह।
नेहा ने सिंदूर लगाया – “आज मैंने हर दर्द पीछे छोड़ दिया।”
अंतिम भाग: घर की हंसी और समाज की इज्जत
अब नेहा हर सुबह ईशान को स्कूल छोड़ती, हर शाम अमित के साथ चाय पीती।
रात को कहती, “याद है वह दिन जब तू मम्मी खरीदने निकला था?”
अमित मुस्कुराता – “भगवान ने तेरी कीमत इतनी रखी कि पूरी जिंदगी चुकानी भी चाहूं तो कम पड़े।”
मोहल्ले में लोग अब इज्जत से देखते थे।
अर्जुन आया – “भाई, माफ करना। तूने आग से दीपक बना लिया।”
अमित ने कहा, “बस देर से सही, तू समझ गया यही काफी है।”
नेहा हर हफ्ते उन औरतों को बुलाती – “दर्द खत्म नहीं होता, लेकिन दर्द से आगे बढ़ना ही जीत है।”
ईशान पीछे खड़ा होता, आंखों में चमक।
अमित मुस्कुराता – “जिसने टूटी गुल्लक में मां खोजी थी, वही बच्चा अब सिखा रहा है कि मां का मतलब पैसा नहीं, प्यार है।”
एक रात अमित ने खिड़की से बाहर देखा – आसमान में हल्की रोशनी।
धीमे से कहा, “धन्यवाद भगवान। तूने मुझे मां दी जो मेरे बेटे की थी, पत्नी दी जो मेरी आत्मा बन गई।”
ईशान नींद में बड़बड़ा रहा था, “मम्मी अब कभी मत जाना।”
नेहा ने उसे सीने से लगा लिया।
उस छोटे से कमरे में हर दर्द की जगह अब एक वादा था – यह घर कभी अधूरा नहीं रहेगा।
सीख:
मां पैसों से नहीं मिलती, दिल से मिलती है।
परिवार खून या नाम से नहीं, प्यार और सच्चाई से बनता है।
अगर कहानी अच्छी लगी हो तो शेयर करें, कमेंट करें और चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें।
जय हिंद। वंदे मातरम।
News
इस बच्चे की सीटी ने क्या कहा… जिससे पूरी ट्रेन रुक गई? – फिर जो हुआ
इस बच्चे की सीटी ने क्या कहा… जिससे पूरी ट्रेन रुक गई? – फिर जो हुआ “गूंजती सीटी – गोलू…
सबसे शरारती लड़के ने ऐसा क्या बोल दिया… कि प्रिंसिपल सबके सामने झुक गए? | Heart Touching Story
सबसे शरारती लड़के ने ऐसा क्या बोल दिया… कि प्रिंसिपल सबके सामने झुक गए? “हिम्मत का बच्चा – ध्रुवेश की…
पति के सारे रुपए खर्च करने के बाद तलाक दे दिया, पति ने होशियारी दिखाई.. फिर जो हुआ। Heart Touching
पति के सारे रुपए खर्च करने के बाद तलाक दे दिया, पति ने होशियारी दिखाई.. फिर जो हुआ ख्वाहिशों का…
गरीब समझकर अपमान किया… अगले दिन खुला राज वहीं निकला शोरूम का असली मालिक…..
गरीब समझकर अपमान किया… अगले दिन खुला राज वहीं निकला शोरूम का असली मालिक….. असल पहचान – आरव की कहानी”…
साहब मेरे बच्चे को रोटी के बदले खरीद लें ,ये बहुत भूखा है , महिला की बात सुनकर करोड़पति के होश
साहब मेरे बच्चे को रोटी के बदले खरीद लें ,ये बहुत भूखा है , महिला की बात सुनकर करोड़पति के…
“क्या आप अपना बचा हुआ खाना मुझे देंगे?” बेघर भूखे लड़के के इस सवाल ने करोड़पति महिला को रुला दिया
“क्या आप अपना बचा हुआ खाना मुझे देंगे?” बेघर भूखे लड़के के इस सवाल ने करोड़पति महिला को रुला दिया…
End of content
No more pages to load






