शादी में सादे कपड़ों में पहुंचे बुजुर्ग को देख कर सब हंस रहे थे, जब दूल्हे ने बताई उनकी हकीकत तो सब
“सादगी की चमक – गुरु का असली सम्मान”
क्या किसी इंसान की कीमत उसके कपड़ों की चमक से तय होती है? क्या किसी की महानता का अंदाजा उसकी महंगी गाड़ी या उसके बड़े बंगले से लगाया जा सकता है? और क्या होता है जब दिखावे और गुरूर से भरी एक महफिल में सादगी और सच्चाई का एक सूरज अपनी पूरी रोशनी के साथ उतर आता है?
यह कहानी एक ऐसी ही भव्य सितारों सी सजी शादी की है, जहां हर तरफ दौलत और शोहरत का दिखावा था। यह कहानी एक ऐसे दूल्हे की है जिसकी कामयाबी आज आसमान छू रही थी, और यह कहानी एक ऐसे गुमनाम बुजुर्ग मेहमान की है, जिसके मैले सादे कपड़ों को देखकर हर कोई उसका मजाक उड़ा रहा था। किसी ने नहीं सोचा था कि वो बुजुर्ग, जिसे सब एक आवांछित गरीब मेहमान समझ रहे थे, उसकी हकीकत उस पूरी महफिल की शानो शौकत से कहीं ज्यादा बड़ी और चमकदार थी।
जब दूल्हे ने उस बुजुर्ग के पैरों में अपना सिर झुकाया और माइक पर उनकी असली पहचान का ऐलान किया, तो हर एक मेहमान जो कुछ पल पहले तक हंस रहा था, शर्म और हैरानी से पत्थर का हो गया।
दिल्ली के सबसे आलीशान पांच सितारा होटलों में से एक ‘द ग्रैंड इंपीरियल’ का विशाल बॉल रूम किसी राजा के दरबार की तरह सजा हुआ था। इटली से मंगाए गए विशाल क्रिस्टल के झूमर छत से ऐसे लटक रहे थे, मानो आसमान से तारे जमीन पर उतर आए हों। हवा में ऑर्किड, गुलाब और रजनीगंधा के फूलों की मिली-जुली महंगी खुशबू तैर रही थी। एक कोने में देश के मशहूर शहनाई वादक अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे और उनकी शहनाई की मधुर धुन उस भव्य माहौल में एक पारंपरिक आत्मा फूंक रही थी।
मौका था शहर के सबसे युवा और सफल सॉफ्टवेयर एंटरप्रेन्योर ईशान मेहरा की शादी का। ईशान मेहरा, 30 साल का एक ऐसा नौजवान, जिसने सिर्फ 10 सालों में अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर शून्य से 1000 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी थी। वो आज अपनी बचपन की दोस्त रिया खन्ना से शादी कर रहा था, जो खुद एक अमीर उद्योगपति की बेटी थी। यह शादी सिर्फ दो दिलों का नहीं, बल्कि दो बड़े बिजनेस घरानों का भी मिलन थी। इसलिए मेहमानों की सूची में शहर का हर बड़ा चेहरा शामिल था। बड़े-बड़े उद्योगपति, राजनेता, बॉलीवुड की हस्तियां और ऊंचे तबके के वो सारे लोग जिनकी एक झलक पाने के लिए अखबारों के पन्ने रंगे जाते थे।
हर कोई अपने सबसे कीमती लिबासों और गहनों में चमक रहा था। यहां सादगी के लिए कोई जगह नहीं थी। यहां हर कोई अपनी हैसियत का प्रदर्शन करने आया था। दूल्हा ईशान एक मशहूर डिजाइनर की बनाई हुई सोने के तारों से कढ़ी शेरवानी में किसी शहजादे से कम नहीं लग रहा था। उसके चेहरे पर कामयाबी की चमक और एक नई जिंदगी शुरू करने की खुशी साफ झलक रही थी। वह अपनी खूबसूरत दुल्हन रिया के साथ मंच पर बने भव्य सिंहासन पर बैठा मेहमानों का अभिवादन स्वीकार कर रहा था। माहौल पूरी तरह से जश्न में डूबा हुआ था।
सादगी का प्रवेश
तभी बॉल रूम के विशाल नक्काशीदार दरवाजे पर एक ऐसी शख्सियत ने कदम रखा, जो उस पूरी महफिल में किसी और ही दुनिया से आया हुआ लग रहा था। वो लगभग 70 साल के बुजुर्ग सरदार थे। लंबा लेकिन उम्र के साथ थोड़ा झुका हुआ शरीर, चेहरे पर सफेद घनी दाढ़ी और गहरी शांत आंखें जिनमें एक अजीब सा ठहराव था। उन्होंने सिर पर एक फीके आसमानी रंग की पगड़ी बांध रखी थी, जो कई बार धुलने की वजह से अपना असली रंग खो चुकी थी। शरीर पर एक साधारण सा सफेद सूती कुर्ता-पजामा था, जिस पर कुछ जगहों पर सिलवटें पड़ी हुई थीं। पैरों में एक पुरानी घिसी हुई पंजाबी जूती थी। उनके हाथ में ना तो कोई महंगा तोहफा था और ना ही कोई शगुन का लिफाफा। वह बस खाली हाथ अपनी शांत चाल से अंदर दाखिल हुए।
जैसे ही मेहमानों की नजर उन पर पड़ी, माहौल में एक हल्की सी कानाफूसी शुरू हो गई। लोगों की आंखों में हैरानी और उपहास का मिलाजुला भाव था। ईशान के बिजनेस पार्टनर विक्रम, जो अपनी इटालियन सूट और स्विस घड़ी का प्रदर्शन कर रहे थे, उन्होंने अपनी पत्नी सोनिया के कान में कहा,
“देखो तो, ईशान ने पता नहीं किन भिखारियों को भी बुला लिया है। हमारे स्टेटस का तो ख्याल रखना था।”
सोनिया ने अपनी नाक सिकोड़ते हुए कहा,
“मुझे तो यह कोई आसपास के गुरुद्वारे का सेवादार लग रहा है। शायद गलती से यहां आ गए हैं।”
रिया की एक मामी जी तो एक कदम और आगे बढ़ गई। उन्होंने पास खड़े वेटर को बुलाकर धीरे से कहा,
“देखो वो जो बूढ़े सरदार जी आए हैं, उन पर नजर रखना और उन्हें खाने के काउंटर के पास ज्यादा मत आने देना। क्या पता कौन है, कहां से आए हैं। शादी का माहौल खराब नहीं होना चाहिए।”
वह बुजुर्ग इन सब बातों से बेखबर, अपनी शांत आंखों से उस भव्य सजावट और मंच पर बैठे दूल्हा-दुल्हन को देख रहे थे। उनके चेहरे पर ना तो कोई हीन भावना थी और ना ही इस चमक-दमक के लिए कोई आकर्षण। एक वेटर जिसे मामी जी ने इशारा किया था, झिझकते हुए उस बुजुर्ग के पास गया और थोड़ा रूखेपन से बोला,
“बाबा जी, आप गलत जगह आ गए हैं। यह एक प्राइवेट पार्टी है।”
बुजुर्ग ने बहुत ही विनम्रता और मीठी पंजाबी लहजे में कहा,
“पुत्र, मैं ईशान से मिलने आया हूं। वह मेरा बच्चा है।”
यह सुनकर वेटर और भी हैरान हो गया। यह सारी कानाफूसी और हलचल मंच पर बैठे ईशान तक नहीं पहुंच रही थी। वो मेहमानों से मिलने-जुलने में व्यस्त था। वह बुजुर्ग किसी से कुछ कहे बिना धीरे-धीरे चलकर एक दूर के कोने में एक खाली कुर्सी पर जाकर बैठ गए। किसी ने उन्हें पानी तक के लिए नहीं पूछा। वे बस चुपचाप बैठे। उस भीड़ में बिल्कुल अकेले, अपनी सादगी के कारण अछूत बना दिए गए थे।
सम्मान का पल
लगभग 15 मिनट बाद, जब ईशान मेहमानों से मिलकर वापस मंच की तरफ जा रहा था, तो अचानक उसकी नजर उस कोने में बैठे उस अकेले शांत चेहरे पर पड़ी। और वो एक पल था जब समय जैसे रुक गया। ईशान के चेहरे के सारे भाव बदल गए। उसकी आंखों में एक साथ कई भावनाएं उमड़ पड़ी — हैरानी, खुशी, सम्मान और एक अजीब सी पीड़ा। उसने अपने आसपास किसी को नहीं देखा, ना अपनी दुल्हन को, ना अपने माता-पिता को। वो सब कुछ भूल गया। वो मंच पर नहीं चढ़ा। वो अपने कदमों को मोड़कर लगभग दौड़ते हुए उस कोने की तरफ भागा, जहां वह बुजुर्ग बैठे थे।
पूरी महफिल, जो अब तक उस बुजुर्ग का मजाक उड़ा रही थी, यह नजारा देखकर सन्न रह गई। हर किसी की नजर ईशान पर टिक गई। शहनाई की आवाज भी जैसे धीमी पड़ गई थी। ईशान उन बुजुर्ग के सामने पहुंचा, जो उसे अपनी तरफ आता देख धीरे-धीरे अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए थे।
और फिर ईशान ने वह किया जिसकी उस महफिल में मौजूद किसी भी इंसान ने कल्पना तक नहीं की थी। वो हजार करोड़ की कंपनी का मालिक ईशान मेहरा सबके सामने झुका और उसने उन बुजुर्ग के घिसे हुए जूतों से भरे पैरों को अपने दोनों हाथों से छुआ। उसने अपना सिर उनके चरणों में रख दिया।
पूरी बॉल रूम में पिन ड्रॉप सन्नाटा छा गया। जैसे किसी ने सबको एक साथ सांस लेने से मना कर दिया हो। विक्रम और सोनिया का मुंह खुला का खुला रह गया था। रिया की मामी जी का चेहरा शर्म से सफेद पड़ गया था।
बुजुर्ग ने जल्दी से ईशान को उठाया और उसे अपने सीने से लगा लिया। उनकी आंखों में वात्सल्य के आंसू थे। उन्होंने कांपती हुई आवाज में कहा,
“जीते रहो पुत्त, बहुत तरक्की करो।”
ईशान की आंखों में भी आंसू थे। उसने उन बुजुर्ग का हाथ पकड़ा और उन्हें अपने साथ मंच की तरफ चलने लगा। अब हर कोई रास्ता बना रहा था। हर नजर झुकी हुई थी। हर चेहरे पर अब उपहास नहीं, बल्कि एक गहरा सवाल था — आखिर यह शख्स है कौन?
ईशान उन्हें लेकर सीधा मंच पर गया। उसने अपनी दुल्हन रिया से कहा कि वह उनके पैर छुए। रिया, जो खुद हैरान थी, लेकिन अपने पति की आंखों में उस बुजुर्ग के लिए असीम सम्मान देखकर उसने बिना कोई सवाल किए उनके पैर छुए। बुजुर्ग ने उसे भी सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। ईशान ने अपने पिता श्रीकांत मेहरा को इशारा किया। वे भी मंच पर आए और उन बुजुर्ग को देखकर मुस्कुराए और गर्मजोशी से गले मिले। जैसे वे कोई पुराने बिछड़े हुए दोस्त हों।
अब मेहमानों की उलझन और भी बढ़ गई थी।
असली पहचान का खुलासा
ईशान ने मंच पर लगे माइक को अपने हाथ में लिया। उसकी आवाज अब भी भावनाओं से थोड़ी भीगी हुई थी। उसने पूरी महफिल की तरफ देखा और बोलना शुरू किया:
“देवियों-सज्जनों, मैं आप सब से कुछ मिनट के लिए माफी चाहूंगा। आज मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा दिन है और इस दिन को और भी ज्यादा खास बनाने के लिए एक ऐसी हस्ती यहां मौजूद है, जिनकी वजह से मैं आज जो कुछ भी हूं, यहां आपके सामने खड़ा हूं।”
उसने उन बुजुर्ग के कंधे पर हाथ रखा। उसकी आवाज में एक गर्व था।
“आप में से बहुत से लोग शायद इन्हें देखकर सोच रहे होंगे कि यह कौन है? कुछ लोग शायद इनके साधारण कपड़ों को देखकर इनके बारे में कुछ और ही अंदाजा लगा रहे होंगे। तो मैं आप सबको बताना चाहता हूं, यह हैं सरदार गुरबचन सिंह जी, और यह मेरे गुरु जी हैं।”
एक पल की खामोशी के बाद ईशान ने आगे कहा,
“आज से लगभग 20 साल पहले, जब मैं पंजाब के एक छोटे से शहर लुधियाना में रहता था और मेरे पिताजी की एक छोटी सी कपड़े की दुकान हुआ करती थी, तब मैं पढ़ाई में खासकर गणित में बहुत कमजोर था। मेरे पिताजी के पास मुझे महंगे ट्यूशन दिलवाने के पैसे नहीं थे। तब हमारे मोहल्ले में एक सरकारी स्कूल के रिटायर्ड मास्टर जी रहते थे, जो अपने घर के छोटे से बरामदे में हम जैसे गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया करते थे। यह वही मास्टर जी हैं।”
ईशान की आवाज भर गई। उसने कहा,
“इन्होंने सिर्फ मुझे गणित के सवाल हल करना नहीं सिखाया, इन्होंने मुझे जिंदगी के सवाल हल करना सिखाया। इन्होंने ही मुझे सिखाया था कि इंसान का किरदार उसके कपड़ों से नहीं, उसके कर्मों से बनता है। इन्होंने ही मुझे सिखाया था कि ईमानदारी और मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। और इन्होंने ही मुझे सिखाया था कि तुम जिंदगी में चाहे कितने भी बड़े क्यों ना हो जाओ, अपनी जड़ों को, अपनी जमीन को कभी मत भूलना।”
महफिल में मौजूद हर शख्स, खासकर वे लोग जो ईशान की कामयाबी से जलते थे, अब शर्मिंदा महसूस कर रहे थे। लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई थी।
ईशान मुस्कुराया। उसने कहा,
“लेकिन यह तो गुरुजी का सिर्फ एक ही परिचय है। इनका एक और परिचय भी है, जिससे शायद आप में से कोई भी वाकिफ नहीं है। आप सब मुझे कामयाब बिजनेसमैन के तौर पर जानते हैं, लेकिन मेरी कामयाबी इनकी कामयाबी के सामने एक छोटे से दिए की तरह है। लगभग 15 साल पहले, कुछ पारिवारिक मजबूरियों की वजह से गुरुजी को अपनी टीचिंग छोड़कर कनाडा जाना पड़ा। वहां जाकर इन्होंने अपने एक रिश्तेदार के साथ मिलकर एक छोटा सा ट्रांसपोर्ट का काम शुरू किया, सिर्फ एक पुराने ट्रक के साथ।”
ईशान ने एक गहरी सांस ली, ताकि उसके अगले शब्द हर किसी के दिल और दिमाग में उतर जाएं।
“आज सरदार गुरबचन सिंह जी कनाडा की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन कंपनियों में से एक ‘पंजाब एक्सप्रेस वर्ल्ड वाइड’ के मालिक और चेयरमैन हैं। इनकी कंपनी का कारोबार उत्तरी अमेरिका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक फैला हुआ है और इनकी सालाना संपत्ति हजारों करोड़ में है।”
यह सुनना था कि पूरे बॉल रूम में जैसे एक भूचाल आ गया। लोगों को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। विक्रम के हाथ से शैंपेन का गिलास छूट कर जमीन पर गिर गया। सोनिया ने अपना मुंह अपने हाथ से ढक लिया। रिया की मामी जी को लगा कि वह जमीन में जिंदा गढ़ जाएंगी। जिस इंसान को वह एक भिखारी, एक गुरुद्वारे का सेवादार समझ रहे थे, वह तो एक अंतरराष्ट्रीय बिजनेस टाइकून निकला।
ईशान ने अपनी बात खत्म की,
“लेकिन इतनी दौलत, इतनी कामयाबी के बाद भी गुरु जी आज भी वही पुराने मास्टर जी हैं। वह आज भी कनाडा के एक छोटे साधारण से घर में रहते हैं। वह अपनी कमाई का 90% हिस्सा भारत और दुनिया भर में चलने वाले चैरिटी के कामों में दान कर देते हैं। वह आज भी साल में 2 महीने के लिए अपने उसी पुराने लुधियाना वाले घर में आते हैं और बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। और आज वो मेरे बुलाने पर कनाडा से सीधी फ्लाइट लेकर बिना अपने घर गए, सीधे मेरी शादी में पहुंचे हैं, अपने उसी सरल रूप में। क्योंकि वह मानते हैं कि जब कोई अपने बच्चे से मिलने जाता है, तो उसे किसी दिखावे की जरूरत नहीं होती।”
ईशान की आंखें अब तक पूरी तरह से भीग चुकी थीं। उसने उन सब मेहमानों की तरफ देखा, जिन्होंने उनके गुरु जी का अपमान किया था और कहा,
“आज मैं आप सबसे सिर्फ एक ही बात कहना चाहता हूं। किसी भी किताब का कवर देखकर उसके अंदर की कहानी का अंदाजा मत लगाइए।”
यह कहकर ईशान ने फिर से अपने गुरु जी के पैर छुए। अब पूरी महफिल अपनी जगह पर खड़ी हो गई थी। हर कोई उन महान सरल इंसान के सम्मान में तालियां बजा रहा था। जिन लोगों ने कुछ देर पहले मुंह फेर लिया था, अब वह आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाने, उनके साथ एक तस्वीर खिंचवाने के लिए बेचैन थे।
लेकिन सरदार गुरबचन सिंह के चेहरे पर वही शांत सौम्य मुस्कान थी। उन्होंने ईशान के सिर पर हाथ फेरा और धीरे से कहा,
“पुत्र, तूने मुझे सबके सामने शर्मिंदा कर दिया। एक गुरु की जगह अपने शिष्य के दिल में होती है, दुनिया की नजरों में नहीं।”
ईशान ने उन्हें अपनी और रिया के बीच में उस मुख्य सिंहासन पर बिठाया। उस दिन उस भव्य सिंहासन की कीमत और शान उस पर बैठने वाले उस सादे कपड़ों वाले फकीर दिल बादशाह की वजह से हजार गुना बढ़ गई।
शादी का जश्न फिर से शुरू हुआ। लेकिन अब माहौल बदल चुका था। अब यहां दौलत का खोखला दिखावा नहीं, बल्कि इंसानियत, सम्मान और सादगी का एक सच्चा उत्सव था।
सीख
दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि महानता कभी शोर नहीं करती। असली अमीर वह नहीं जिसके पास बहुत सारा धन है, बल्कि वह है जिसका दिल और जिसका किरदार सोने जैसा है। हमें कभी भी किसी को उसके पहनावे या उसकी बाहरी स्थिति से नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि अक्सर सबसे गहरे खजाने सबसे साधारण संदूकों में ही छुपे होते हैं।
एक गुरु का स्थान जीवन में सर्वोपरि होता है और हमें उनका सम्मान करना कभी नहीं भूलना चाहिए।
इस कहानी को जितना हो सके शेयर करें, ताकि सादगी और सच्चे किरदार का यह संदेश हर किसी तक पहुंच सके।
अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें, कमेंट करें कि आपको सबसे प्रेरणादायक पल कौन सा लगा, और ऐसी ही दिल को छू लेने वाली कहानियों के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
News
रेस्टोरेंट में डेट पर पहुँचा लड़का… वेट्रेस निकली उसकी तलाकशुदा पत्नी
रेस्टोरेंट में डेट पर पहुँचा लड़का… वेट्रेस निकली उसकी तलाकशुदा पत्नी एक अनजानी मुलाकात – तलाकशुदा पत्नी से डेट नाइट…
एक बुजुर्ग शोरूम मे फरचूनर खरीदने गया तो मनेजर ने गरीब समझकर धके मारकर निकाला फिर जो हुवा…
एक बुजुर्ग शोरूम मे फरचूनर खरीदने गया तो मनेजर ने गरीब समझकर धके मारकर निकाला फिर जो हुवा… भगवत मेहता…
जब दरोगा मेले में लड़की से की बदतमीजी… तभी IPS मैडम ने किया ऐसा वार कि पूरा मेला थम गया” सच्ची घटना
जब दरोगा मेले में लड़की से की बदतमीजी… तभी IPS मैडम ने किया ऐसा वार कि पूरा मेला थम गया”…
पत्नी आईपीएस बनकर लौटी तो पति रेलवे स्टेशन पर समोसे बेच रहा था फिर जो हुआ।
पत्नी आईपीएस बनकर लौटी तो पति रेलवे स्टेशन पर समोसे बेच रहा था फिर जो हुआ। रामलाल और राधा सिंह…
अदालत में बेटे ने पिता की ओर इशारा करके कहा – “ये वही हैं जिन्होंने मेरी माँ को धोखा दिया”… फिर….
अदालत में बेटे ने पिता की ओर इशारा करके कहा – “ये वही हैं जिन्होंने मेरी माँ को धोखा दिया”……
गांव के गंवार लड़के पर दिल हार बैठी… दिल्ली की लड़की, फिर जो हुआ
गांव के गंवार लड़के पर दिल हार बैठी… दिल्ली की लड़की, फिर जो हुआ शीर्षक: गाँव का हीरा – पिंकू…
End of content
No more pages to load