Doha Arab Islamic Summit: Qatar Attack के बाद Israel के खिलाफ एकजुट, NATO की तर्ज पर Arab Sena
इजराइल का दोहा पर हमला: अरब देशों की एकता और क्षेत्रीय समीकरण में बड़ा बदलाव
9 सितंबर 2025 को इजराइल ने क़तर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं को निशाना बनाते हुए हमला किया। इस घटना ने पूरे मध्य पूर्व के राजनीतिक और रणनीतिक समीकरण को बदल दिया है। पहले गाजा, लेबनान, वेस्ट बैंक, सीरिया, यमन और ईरान पर इजराइल के हमलों का इतना असर नहीं हुआ था, लेकिन दोहा पर हमला होते ही अरब देशों में गुस्सा और एकजुटता देखने को मिली।
अरब देशों की प्रतिक्रिया
दोहा पर हुए हमले के बाद लगभग सभी अरब और इस्लामिक देशों ने इजराइल की कड़ी निंदा की। इसे क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बताया गया और सुरक्षा के लिए संयुक्त सेना गठित करने का प्रस्ताव फिर से सामने आया। मिस्र के राष्ट्रपति ने नाटो जैसी संयुक्त अरब सेना बनाने की बात दोहराई, जिससे भविष्य में किसी भी अरब देश की रक्षा की जा सके। इस बार ईरान समेत कई देश इस प्रस्ताव पर सहमत नजर आ रहे हैं।
इजराइल की रणनीति और ऑपरेशन
वर्ल्ड स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल ने इस ऑपरेशन को बहुत गोपनीयता के साथ अंजाम दिया। अमेरिका को भी अंतिम समय में ही जानकारी दी गई ताकि हस्तक्षेप का मौका न मिले। इजराइल ने पारंपरिक हवाई हमलों के बजाय एयर लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिन्हें लाल सागर के ऊपर से दागा गया। आठ F-15 और चार F-35 स्टील फाइटर जेट्स ने लगभग 1500 किमी दूर से सटीक मिसाइलें दागीं, जिससे इमारत का मध्य भाग नष्ट हुआ।
नेतन्याहू का बयान और आगे की स्थिति
इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ संकेत दिए हैं कि हमास के नेताओं का खात्मा ही युद्ध का समाधान है और वे आगे भी क़तर में हमास ठिकानों पर हमले जारी रखेंगे। इस बयान से क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की आशंका है। अमेरिका भी इजराइल की इस कार्रवाई से नाराज है, और ट्रंप ने नेतन्याहू को चेतावनी दी है कि ऐसी हरकत दोबारा न हो।
हमास की प्रतिक्रिया
हमास ने दावा किया है कि उनके वरिष्ठ नेता हमले से बच गए हैं और इस हमले को वार्ता प्रक्रिया की हत्या बताया है। हालांकि, हमास के पांच सदस्य मारे गए हैं, जिनमें निर्वासित गाजा प्रमुख का पुत्र भी शामिल है।
निष्कर्ष
दोहा पर इजराइली हमले ने न सिर्फ अरब देशों को एकजुट किया है, बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी बड़ा बदलाव ला दिया है। संयुक्त अरब सेना जैसे प्रस्तावों पर अब गंभीरता से विचार हो रहा है। आने वाले दिनों में मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ सकता है, जिससे इजराइल और अमेरिका दोनों के लिए खतरे की घंटी बज गई है। अब देखना होगा कि हमास और अरब देश आगे क्या रणनीति अपनाते हैं।
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