“जिसे खाकरूप समझा, वही निकला कंपनी का असली मालिक!”

आर्यन की कहानी: एक खाकरूप से मालिक बनने का सफर

सुबह का वक्त था। इमारत के सामने लोग अपनी गाड़ियों से उतर रहे थे। सूट, टाई और चमकते जूते उनकी शख्सियत को नुमाया कर रहे थे। हर किसी के चेहरे पर जल्दबाजी और कामयाबी की भूख साफ झलक रही थी। इसी भीड़ में एक नौजवान खामोश कदमों से चलता हुआ इमारत के दरवाजे पर पहुंचा।

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कंधे पर पुराना सा बैग, कपड़ों पर हल्की सी शिकन और जूते इतने घिसे हुए जैसे बरसों से सफर करते चले आ रहे हों। उसका नाम आर्यन था। कोई उस पर ध्यान नहीं दे रहा था क्योंकि वह सबकी नजर में सिर्फ एक मामूली मजदूर लग रहा था। मगर हकीकत यह थी कि आर्यन उसी कंपनी का असली वारिस और आने वाला मालिक था।

आर्यन ने अपनी पहचान छुपा ली थी। उसने फैसला किया था कि अगर उसे कंपनी की बागडोर संभालनी है, तो सबसे पहले यह जानना होगा कि उसकी टीम वाकई कैसी है। कौन ईमानदार है, कौन चापलूस और कौन अपनी कुर्सी के नशे में इंसानियत को भूल चुका है। इसी वजह से उसने खाकरूप का भेष अपनाया।

संजना का गुरूर

आर्यन जैसे ही इमारत के अंदर दाखिल हुआ, उसे तेज कदमों की आहट सुनाई दी। एक महिला हाई हील्स पहने उसकी तरफ बढ़ रही थी। उसका नाम संजना था। वह कंपनी की असिस्टेंट मैनेजर थी—सख्त मिजाज, रौबदार और अपने मातहतों पर धौंस जमाने में मशहूर।

संजना ने आर्यन को ऊपर से नीचे तक घूरा और सख्त लहजे में कहा, “यहां क्यों खड़े हो? फौरन सफाई करो। यह जगह तुम्हारे खड़े होने की नहीं है।” आर्यन ने सर झुका लिया। दिल में हल्की सी चुभन महसूस हुई, मगर चेहरे पर सुकून रखा। खामोशी से झाड़ू उठाया और कोने की तरफ बढ़ गया।

संजना ने जाते-जाते तंजिया अंदाज में कहा, “यहां पुराने खाकरूप की तरह सुस्ती मत दिखाना, वरना ज्यादा दिन नहीं चल सकोगे।” आसपास खड़े कुछ कर्मचारियों ने हंसी उड़ाई। किसी ने सोचा भी नहीं कि जिसे वे मामूली खाकरूप समझ रहे हैं, वही कल उनकी तकदीर का फैसला करने वाला है।

फिरोज़ की ईमानदारी

आर्यन की मुलाकात कंपनी के पुराने खाकरूप फिरोज़ से हुई। फिरोज़ बरसों से कंपनी में काम कर रहा था। वह सादा सा आदमी था, कम बोलने वाला लेकिन दिल का साफ। मुलाजिम अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे। कोई उसे “बुजुर्ग खाकरूप” कहता, तो कोई उसके कपड़ों पर तंज कसता। मगर फिरोज़ ने कभी बुरा नहीं माना।

आर्यन को फिरोज़ में एक अलग रोशनी नजर आई। वह उसके साथ सफाई करते हुए बोला, “भाई, तुम इतने बरसों से यहां हो। कभी बुरा नहीं लगता जब लोग तुम्हें यूं बेइज्जत करते हैं?” फिरोज़ मुस्कुराया और बोला, “बेटा, इज्जत देने वाला ऊपर वाला है। यह लोग जो आज हंसते हैं, कल भूल जाएंगे। मगर अगर हम अपना काम ईमानदारी से करें, तो दिल मुतमइन रहता है।”

यह बात आर्यन के दिल को छू गई। उसने खुद से वादा किया कि अगर इस कंपनी में किसी को सबसे पहले इंसाफ मिलना चाहिए, तो वह फिरोज़ है।

संजना की साजिश

एक दिन कंपनी की कोऑपरेटिव सोसाइटी से खबर आई कि वहां से कुछ रकम गायब हो गई है। संजना ने फौरन इल्जाम फिरोज़ पर लगा दिया। उसने सबके सामने फिरोज़ को सख्त लहजे में लताड़ा। “तुम जैसे लोग ही कंपनी की बदनामी का सबब बनते हैं। तुम्हें तो यहां से निकाल देना चाहिए।”

फिरोज़ ने कांपती आवाज में कहा, “मैडम, मैंने कुछ नहीं किया। मैं तो सिर्फ पानी रखने आया था। पैसों को हाथ भी नहीं लगाया।” मगर संजना ने उसकी बात को अनसुना कर दिया। एचआर ने फिरोज़ को सख्त वार्निंग जारी कर दी।

आर्यन दूर खड़ा यह सब देख रहा था। उसका दिल टूट गया। वह जानता था कि फिरोज़ बेकसूर है। मगर सबने अपनी आंखें फेर लीं।

आर्यन का प्लान

रात को जब दफ्तर खाली हो गया, तो आर्यन सिक्योरिटी रूम में गया। उसने कमरे के कैमरे की रिकॉर्डिंग देखी। स्क्रीन पर साफ दिखा कि फिरोज़ ने पैसों के डिब्बे को छुआ तक नहीं। आर्यन ने वीडियो कॉपी कर ली। उसने खुद से कहा, “अब वक्त बदलने वाला है। यह जुल्म ज्यादा देर नहीं चल सकता।”

सच्चाई का खुलासा

कुछ दिन बाद कंपनी के तमाम कर्मचारियों को एक हंगामी पैगाम भेजा गया। सबको बड़े हॉल में जमा होने का आदेश दिया गया। वहां कंपनी के सीनियर डायरेक्टर ने कहा, “कुछ वक्त पहले कंपनी के असली वारिस ने फैसला किया कि वह आप सबका असल किरदार देखना चाहता है। उसने अपनी पहचान छुपाई और खाकरूप का रूप धारण किया।”

यह सुनते ही हॉल में खलबली मच गई। फिर पर्दा हटा और आर्यन स्टेज पर नुमाया हुआ। वही आर्यन जिसे सबने अब तक खाकरूप समझा था।

आर्यन ने माइक थामा और कहा, “मैंने खाकरूप का रूप इसलिए अपनाया ताकि देख सकूं कि आप में से कौन इंसानियत की इज्जत करता है और कौन ताकत के नशे में अंधा है।” उसने सबके सामने संजना की बदमलियों के सबूत पेश किए।

आर्यन ने कहा, “संजना, तुमने अपने ओहदे का गलत इस्तेमाल किया। कमजोरों को दबाया और कंपनी को नुकसान पहुंचाया। आज के बाद तुम इस दफ्तर का हिस्सा नहीं हो।”

नया दौर

संजना की बरतरफी के बाद कंपनी का माहौल बदल गया। आर्यन ने सबसे पहले उन कर्मचारियों के जख्म भरे जिन्हें बरसों तक दबाया गया था। उसने फिरोज़ को “लॉजिस्टिक कोऑर्डिनेटर” का ओहदा दिया।

आर्यन ने कहा, “ओहदा इंसान को बड़ा नहीं बनाता। इंसानियत बनाती है और तुमने यह सबसे बेहतर साबित किया है।”

कंपनी अब वाकई एक परिवार बन चुकी थी। हर कोई जान गया कि असल ताकत गुरूर में नहीं बल्कि सच्चाई, सब्र और इंसाफ में है।