अजित डोभाल: भारत के जेम्स बॉन्ड की रोमांचक कहानी

1970 का दशक, मिजोरम:
मिजोरम में लालेंगा के नेतृत्व में अलगाववादी आंदोलन चरम पर था। भारत की एकता को सीधी चुनौती दी जा रही थी। हालात इतने बिगड़ गए कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने अपना सबसे तेजतर्रार सीक्रेट एजेंट अजित डोभाल को भेजा। अजित अपनी पहचान बदलकर पत्नी अरुणी के साथ मिजोरम पहुंचे।
उन्होंने पता लगाया कि विद्रोह की असली ताकत सात कमांडर्स थे। अजित ने कमांडरों को अपने घर खाने पर बुलाया, पत्नी से मीजो खाना बनवाया और अपनी बातचीत से उनमें से छह को भारत सरकार के पक्ष में कर लिया। लालेंगा को घुटने टेकने पड़े, शांति समझौता हुआ, चुनाव हुए और मिजोरम भारत का हिस्सा बना रहा। अजित डोभाल का यह मिशन ऐतिहासिक रहा।

.

.

.

असली कहानी यहीं से शुरू होती है:
अजित डोभाल को भारत का जेम्स बॉन्ड, स्पाई मास्टर, सुपर कॉप और 21वीं सदी का चाणक्य कहा जाता है। अमेरिका, रूस, इजराइल जैसी हर बड़ी एजेंसी में उनके नाम की चर्चा होती है। पाकिस्तान तो उनका नाम सुनते ही कांप जाता है।

पाकिस्तान में भिखारी बनकर जासूसी:
1972 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो पाकिस्तान ने भी न्यूक्लियर बम बनाने की कोशिश शुरू की। अजित डोभाल ने इस्लामिक रीति-रिवाज सीखे, उर्दू लहजा अपनाया और पाकिस्तान के कहूता शहर में भिखारी बनकर महीनों रिसर्च सेंटर के बाहर बैठे।
वहां काम करने वाले वैज्ञानिकों के बाल नाई से लेकर भारत भेजे, जिनकी रेडिएशन जांच से साबित हुआ कि पाकिस्तान परमाणु बम बना रहा है। उन्होंने एक वैज्ञानिक को ब्लैकमेल कर न्यूक्लियर वेपन की ब्लूप्रिंट भी हासिल की। इजराइल को भी अलर्ट किया, लेकिन भारत सरकार ने उस समय सैन्य कार्रवाई की मंजूरी नहीं दी।

कई बार मौत से बचना:
पाकिस्तान में सात साल तक रहे, कई बार पकड़े जाने से बचे। एक बार नकली दाढ़ी गिर गई, एक बार कान छिदे होने पर शक हुआ, लेकिन हर बार अपनी बुद्धि से बच निकले।

पंजाब, कश्मीर, हाईजैकिंग:
पंजाब के ऑपरेशन ब्लैक थंडर, कश्मीर में आतंकियों को भारत के पक्ष में करने, कांधार हाईजैक में यात्रियों की सुरक्षित रिहाई — हर जगह अजित डोभाल की रणनीति और नेगोशिएशन ने भारत को जीत दिलाई।

नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर:
2014 में नरेंद्र मोदी ने उन्हें भारत का NSA बनाया। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालकोट एयर स्ट्राइक, 2025 का ऑपरेशन सिंदूर — हर मिशन के पीछे अजित डोभाल की रणनीति रही।

कहानी का सार:

अजित डोभाल ने अपनी बुद्धि, साहस और रणनीति से भारत को कई बार संकट से निकाला।
दुश्मन के बीच जाकर उनकी जानकारी निकालना, भारत के हित में बड़े फैसले लेना — यही उनकी पहचान है।
आज भी प्रधानमंत्री मोदी उनकी सलाह के बिना कोई बड़ा कदम नहीं उठाते।

आपको यह कहानी कैसी लगी? क्या आपको अजित डोभाल पर गर्व है?
कमेंट में “जय हिंद” जरूर लिखें और देश के इस असली हीरो की कहानी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं!