SP मैडम का पति पंचरवाला

.

.

रोहन और आराध्या: 16 सालों की दूरी का सफर

पटना के एक छोटे से गांव में आराध्या सिंह का जन्म हुआ था। बचपन से ही वह होनहार और निडर लड़की थी। पढ़ाई में तेज, मन में सपने और दिल में जज्बा था कि वह कुछ बड़ा करेगी। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे, जो उसकी पढ़ाई के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते थे।

जब आराध्या की शादी हुई, तो उसका जीवन पूरी तरह से बदल गया। उसका पति रोहन, एक सिविल इंजीनियर था। दोनों की जोड़ी गांव से शहर तक मिसाल बन गई थी। रोहन का स्वभाव शांत और मेहनती था, जबकि आराध्या में एक जुनून था—देश सेवा करने का।

समय बीतता गया, और आराध्या ने पुलिस विभाग में नौकरी शुरू की। वह दिन-रात मेहनत करती रही। रोहन भी अपने काम में व्यस्त था, लेकिन दोनों का प्यार गहरा था। वे एक-दूसरे के सपनों में सहारा थे।

लेकिन जीवन के रास्ते हमेशा सीधे नहीं होते। रोहन को एक बड़े सरकारी प्रोजेक्ट का जिम्मा मिला, जो मुंबई के नासिक हाईवे पर था। वहां उसने देखा कि निर्माण सामग्री घटिया है। उसने इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने का निर्णय लिया। उसकी हिम्मत ने उसे मुसीबत में डाल दिया।

एक रात, जब वह घर लौट रहा था, उसे अगवा कर लिया गया। उसे पाटिल नाम के एक बड़े गैंगस्टर के सामने पेश किया गया। पाटिल ने उसे धमकी दी—या तो वह अगले दिन अपनी पत्नी आराध्या के साथ एक भयानक एक्सीडेंट में मर जाएगा, या फिर खुद मर जाएगा और आराध्या जिंदा रहेगी।

रोहन ने मजबूर होकर पहला विकल्प चुना। अगले दिन एक लावारिस लाश को उसके कपड़े पहनाकर पहाड़ी से नीचे फेंक दिया गया। आराध्या को बताया गया कि रोहन मर चुका है। उस दिन से आराध्या का जीवन उजड़ गया।

लेकिन रोहन जिंदा था। वह पाटिल के लोगों से बचकर एक अनजान शहर में छिप गया। पहचान छुपाई, मजदूरी की, छोटे-मोटे काम किए। उसने कभी आराध्या से संपर्क करने की कोशिश नहीं की, क्योंकि जानता था कि उसकी जान खतरे में है।

16 साल बीत गए। आराध्या ने अपने दर्द को छुपाकर पुलिस सेवा में ऊंचाई तक पहुंची। वह शहर की तेजतर्रार एसपी बन गई। लेकिन उसके दिल में रोहन की याद कभी कम नहीं हुई।

एक दिन, जब वह अपनी कजिन की शादी में जा रही थी, उसकी कार का टायर पंचर हो गया। पास की एक पंक्चर की दुकान पर उसने एक मजदूर को देखा, जो मास्क पहने काम कर रहा था। उस मजदूर के हाथों के हरकतों में कुछ परिचित था।

जब उसने मजदूर से मास्क हटाने को कहा, तो सामने जो चेहरा था, वह रोहन का था। 16 साल बाद वह जिंदा था। दोनों की आंखें आंसुओं से भर गईं। रोहन ने सारी सच्चाई बताई—कैसे उसने अपनी जान बचाने के लिए खुद को मृत घोषित कर दिया, कैसे उसने 16 साल तक तन्हाई में जीया।

आराध्या ने रोहन को गले लगाया और कहा, “तुम्हारे बिना यह सब अधूरा था।”

लेकिन अब उनके सामने एक नई लड़ाई थी। कानूनी जटिलताएं, पहचान वापस पाने की प्रक्रिया, और समाज की नजरें। उन्होंने मिलकर तय किया कि वे सच का सामना करेंगे।

रोहन ने धीरे-धीरे अपनी पहचान वापस पाई। दोनों ने अपने परिवार को सच बताया। उनकी कहानी ने लोगों को प्रेरित किया कि सच्चा प्यार और त्याग हर बाधा को पार कर सकता है।

आज, रोहन और आराध्या साथ हैं, अपने घर में, जहां 16 सालों की दूरी खत्म हो गई। उनका प्यार, उनकी हिम्मत और उनका संघर्ष एक मिसाल बन गया है।

धन्यवाद!