जिलाधिकारी अंजलि सिंह और इंस्पेक्टर रविकांत की कहानी: जब कानून के रक्षक बने कानून के भक्षक

सुबह के 7:00 बजे का समय था। जिले की जिलाधिकारी अंजलि सिंह, गुलाबी रंग का सलवार सूट पहने हुए, साधारण लड़की की तरह बाजार घूमने निकली थीं। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि यह लड़की दरअसल जिले की जिलाधिकारी है। चलते-चलते उनकी नजर सड़क किनारे खड़े एक बुजुर्ग पर पड़ी, जो एक छोटा सा आइसक्रीम का ठेला लगाए खड़ा था।

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अंजलि को बचपन से ही आइसक्रीम खाने का शौक था। वह मुस्कुराते हुए ठेले के पास गईं और अंकल से एक आइसक्रीम मांगी। अंकल ने खुशी-खुशी आइसक्रीम निकालकर उनके हाथ में पकड़ा दी। अंजलि अभी पहला निवाला लेने ही वाली थीं कि तभी एक मोटरसाइकिल पास आकर रुकी। यह थाने का इंस्पेक्टर रविकांत था। उसने बाइक साइड में लगाई, हेलमेट उतारा और ठेले वाले से रूखे अंदाज में बोला, “अरे ओ बुड्ढे, जल्दी एक आइसक्रीम निकाल!”

अंकल ने घबराते हुए तुरंत आइसक्रीम निकालकर उसे दे दी। रविकांत वहीं खड़ा-खड़ा खाने लगा। तभी उसकी नजर अंजलि पर पड़ी। उसे अंदाजा भी नहीं था कि यह साधारण दिखने वाली लड़की जिले की जिलाधिकारी है। वह हंसते हुए बोला, “क्या बात है? आइसक्रीम तो बड़े मजे लेकर खा रही हो। बहुत पसंद है क्या? कभी हमें भी पसंद कर लो। हम भी तुम्हारे प्यार के दीवाने हो सकते हैं।”

अंजलि ने उसकी बात को नजरअंदाज किया और चुपचाप आइसक्रीम खाना जारी रखा। लेकिन रविकांत अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। उसने फिर से मजाक उड़ाते हुए कहा, “और आइसक्रीम चाहिए तो बोल देना, मंगवा दूंगा।”

इसके बाद रविकांत बिना पैसे दिए बाइक पर बैठ गया। जब बूढ़े अंकल ने हिम्मत जुटाकर पैसे मांगे, तो रविकांत गुस्से में आ गया। उसने अंकल के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा और ठेले को पलट दिया। यह सब देखकर अंजलि का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने इंस्पेक्टर को डांटते हुए कहा, “आपको किसी गरीब पर हाथ उठाने का कोई अधिकार नहीं है। आपने आइसक्रीम खाई है तो पैसे देना आपका फर्ज है।”

रविकांत ने अंजलि को भी थप्पड़ मार दिया, लेकिन अंजलि ने शांत रहते हुए उसे चेतावनी दी कि वह उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाएंगी। रविकांत ने तिरस्कार से हंसते हुए कहा, “तेरी औकात है कि तू मुझ पर रिपोर्ट दर्ज करवाए। मैं इस थाने का इंस्पेक्टर हूं। चाहूं तो अभी के अभी तुझे गिरफ्तार कर सकता हूं।”

थाने में जिलाधिकारी का सामना

अंजलि ने ठान लिया कि वह रविकांत और उसके साथियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगी। उन्होंने साधारण महिला का रूप धारण कर थाने पहुंचकर एसओ संदीप सिंह से शिकायत की। लेकिन संदीप सिंह ने भी रविकांत का पक्ष लेते हुए अंजलि को धमकाया। जब अंजलि ने कानून की बात की, तो संदीप ने भी उन्हें थप्पड़ मार दिया।

जिलाधिकारी का असली रूप

अंजलि ने थाने से बाहर निकलते हुए दोनों अधिकारियों को चेतावनी दी कि वह उन्हें सस्पेंड करवाकर रहेंगी। अगले ही दिन, अंजलि ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि रविकांत और संदीप सिंह ने कानून का उल्लंघन किया है। उन्होंने दोनों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी किया।

कानून का संदेश

अंजलि ने कहा, “यह मामला केवल दो अफसरों का नहीं है। यह एक संदेश है कि इस जिले में कानून सबसे ऊपर है। चाहे वह जिलाधिकारी हो, पुलिस अधीक्षक हो, थाना प्रभारी हो या इंस्पेक्टर। अगर कानून तोड़ेगा तो सजा मिलेगी।”

इस घटना ने पूरे जिले में संदेश दिया कि कानून का दुरुपयोग करने वालों को सजा जरूर मिलेगी। अंजलि सिंह ने न केवल गरीब का हक दिलाया, बल्कि कानून के रक्षकों को भी उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराया।