मालिक का बेटा और विधवा नौकरानी | ये कहानी उत्तर प्रदेश के कानपुर की है

“सोनी और विक्की – दिल से दिल तक”
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक अमीर परिवार रहता था। परिवार के मुखिया नीरज शुक्ला एक फैक्ट्री के जनरल मैनेजर थे, उनकी पत्नी, बड़ा बेटा विक्की (25 साल), दो बेटियां और उनके घर में ड्राइवर, माली और घरेलू नौकर पति-पत्नी भी रहते थे। नौकर की एक बेटी थी – सोनी, जो 12वीं तक पढ़ चुकी थी और पार्लर व सिलाई सीख रही थी। सोनी बेहद सुंदर, समझदार और सुलझी हुई लड़की थी।
एक दिन नीरज शुक्ला के साले की बेटी की शादी दिल्ली में थी। पूरा परिवार दिल्ली जाने की तैयारी करता है, लेकिन विक्की का उसी दिन पेपर था, इसलिए वह घर पर ही रुक जाता है। नीरज शुक्ला अपने नौकर और उसकी पत्नी को भी दिल्ली साथ ले जाते हैं ताकि वहां मदद मिल सके। जाते-जाते सोनी को कहते हैं कि विक्की बाबू को समय पर खाना-नाश्ता देना, उनका ध्यान रखना। सोनी भी अपनी मां और विक्की की मां से समझकर, पूरे भरोसे के साथ जिम्मेदारी लेती है।
पहली मुलाकातें
शाम को सोनी घर आती है, विक्की से पूछती है – “क्या खाएंगे?” विक्की मजाक करता है – “करेला बना दो!” सोनी मुंह बनाती है, मगर विक्की जिद करता है। सोनी करेला, पराठा, अचार, दही सब बना देती है। विक्की रेस्टोरेंट से भी खाना मंगाता है, दोनों साथ बैठकर खाते हैं। सोनी को पहली बार इतना अच्छा खाना मिलता है, वह खुश हो जाती है। दोनों हंसते-बतियाते हैं। रात को सोनी मम्मी के कमरे में सो जाती है, विक्की अपने कमरे में।
बीमारी और देखभाल
अगली सुबह विक्की की तबीयत अचानक बिगड़ जाती है – तेज बुखार और कंपकंपी। सोनी उसका ख्याल रखती है, दवा लाती है, गर्म पानी देती है, कंबल-चादर ओढ़ाती है। विक्की को ठंड इतनी लगती है कि वह कांपने लगता है। सोनी चिंता में उसके ऊपर कंबल के ऊपर लेट जाती है, ताकि उसे गर्माहट मिले। फिर भी विक्की की हालत नहीं सुधरती। आखिरकार, सोनी खुद कंबल के अंदर आ जाती है, दोनों एक-दूसरे को कसकर पकड़ लेते हैं। विक्की खुद को रोक नहीं पाता, सोनी मना करती है लेकिन विक्की की जिद के आगे हार जाती है। दोनों के बीच भावनाओं की गर्माहट बढ़ जाती है।
सोनी को बाद में पछतावा होता है, वह रोती है, विक्की माफी मांगता है और उसका धन्यवाद करता है। सोनी नाश्ता बनाकर देती है, विक्की ठीक होने लगता है। विक्की उससे शादी की बात करता है, लेकिन सोनी कहती है – “मैं नौकरानी हूं, आपकी शादी मुझसे नहीं हो सकती। आपके माता-पिता मुझे स्वीकार नहीं करेंगे।”
दोस्ती और प्यार
दो-तीन दिन इसी तरह बीतते हैं, विक्की धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। दोनों के बीच दोस्ती गहरी हो जाती है। विक्की का पेपर खत्म होता है, उसके पापा मोहन प्रसाद के बेटे की शादी में जाने को कहते हैं। विक्की सोनी को भी साथ चलने को कहता है, सोनी संकोच करती है – कपड़े नहीं हैं, लोग क्या कहेंगे? विक्की उसे शोरूम से अच्छे कपड़े दिलाता है, पार्लर ले जाता है। दोनों शादी में राजकुमार-राजकुमारी की तरह तैयार होकर पहुंचते हैं। सबकी नजरें उन पर टिक जाती हैं। सोनी शादी की ठाट-बाट देखकर खुश हो जाती है।
रात को घर लौटते हैं, सोनी बहुत खुश थी। विक्की उसका हाथ पकड़ लेता है, सोनी भी अब उसे मना नहीं करती। दोनों एक ही कमरे में रात गुजारते हैं। सुबह विक्की खुद चाय बनाता है, सोनी के लिए नाश्ता तैयार करता है। सोनी हंसती है – “अब आप भी काम करेंगे?” विक्की कहता है – “शादी होगी तो आधा काम मुझे भी करना पड़ेगा।”
सपनों की उड़ान
अब दोनों थिएटर में फिल्म देखने जाते हैं, खूब एंजॉय करते हैं। बड़े-बड़े सपने देखते हैं, सोचते हैं कि आगे जिंदगी कैसी होगी। दोनों इतने मासूम थे कि उन्हें अंदाजा नहीं था कि समाज क्या सोचेगा।
सच का सामना
दिल्ली में शादी की तस्वीरें वायरल हो जाती हैं। मोहन प्रसाद, जिनकी बेटी की शादी थी, खुद ये फोटो-वीडियो विक्की के पापा को भेज देते हैं। नीरज शुक्ला और उनकी पत्नी ये देखकर हैरान-परेशान हो जाते हैं। वे सोनी के माता-पिता को बुलाकर डांटते हैं, ताने मारते हैं – “हमारे धन पर तुम्हारी नजर थी? नौकरानी की बेटी से हमारे बेटे ने गुलछर्रे उड़ाए?” सोनी की मां उसे मारती-पीटती है, विक्की की मां भी उसे भला-बुरा कहती है।
मोहन प्रसाद भी आकर ताने मारते हैं – “आपका बेटा इतना गिर गया, नौकरानी की बेटी से रिश्ता जोड़ लिया?” नीरज शुक्ला सब सुनते हैं, फिर कहते हैं – “अब जो होना था, हो गया। भगवान ने इन्हें एक-दूसरे के लिए ही बनाया है। अब यही लड़की मेरे घर की बहू बनेगी।”
सुखद अंत
सोनी और विक्की की शादी 2023 में पूरे परिवार की सहमति से हो जाती है। सोनी अब घर की बहू है, सब उससे खुश हैं। विक्की और सोनी का एक बेटा भी है। दोनों एक शानदार जीवन जी रहे हैं।
सीख
यह कहानी बताती है कि प्यार जात-पात, अमीरी-गरीबी नहीं देखता। दिल से दिल का रिश्ता सबसे बड़ा होता है। अगर कहानी पसंद आई हो तो ज़रूर बताएं।
समाप्त।
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