खोया हुआ बेटा: एक मां की ममता और चमत्कारी मिलन
पांच साल पहले रोहित और प्रिया का जीवन खुशियों से भरा था। उनका पांच साल का बेटा सोनू उनकी दुनिया था। एक दिन वे बाजार गए, सोनू अपनी मां का हाथ पकड़कर चल रहा था। अचानक भीड़ में सोनू का हाथ छूट गया और वह आंखों से ओझल हो गया। प्रिया ने चीखकर अपने बेटे को पुकारा, रोहित ने हर गली, हर दुकान में ढूंढा, लेकिन सोनू कहीं नहीं मिला। वह दिन उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख बन गया।
पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई, अखबारों में इश्तेहार दिए, लेकिन सोनू का कोई सुराग नहीं मिला। प्रिया की दुनिया उजड़ गई। उसने खाना-पीना छोड़ दिया, रातों को जागकर अपने बेटे की तस्वीर से बातें करती रहती। रोहित ने अपने दर्द को काम में बदल लिया और धीरे-धीरे एक बड़ा बिजनेस खड़ा कर लिया। अब वे दोनों वीआईपी जीवन जीने लगे, लेकिन प्रिया के दिल में सोनू की कमी हमेशा थी। उसकी आंखों में हमेशा इंतजार था, शायद कभी उसका बेटा लौट आए।
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एक दिन प्रिया अपनी लग्जरी कार में बैठकर ऑफिस जा रही थी। सिग्नल पर कार रुकी, तो उसकी नजर खिड़की के पास खड़े एक छोटे बच्चे पर पड़ी। वह बच्चा फटे कपड़ों में, धूल से सना चेहरा लिए, एक कटोरी लेकर भीख मांग रहा था। प्रिया का दिल धड़क उठा। उस बच्चे की आंखों में उसे सोनू की मासूमियत नजर आई। उसे एक अजीब सा अहसास हुआ, मानो उसके दिल की धड़कन रुक गई हो।
प्रिया ने बिना सोचे-समझे अपनी कार की खिड़की खोली और टिफिन से दो रोटियां निकालकर बच्चे को देने लगी। बच्चा डरते-डरते कटोरी आगे बढ़ाता है। जैसे ही प्रिया ने रोटियां दी, उसने बच्चे का हाथ पकड़ लिया। बच्चा डरकर पीछे हटने की कोशिश करता है, लेकिन प्रिया की आंखों से आंसू बहने लगे। उसने बच्चे के चेहरे से धूल पोंछी और कांपती आवाज में पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है?”
बच्चे ने हिचकिचाते हुए कहा, “मेरा नाम सोनू है।”
यह सुनते ही प्रिया फूट-फूटकर रोने लगी। उसे यकीन हो गया कि ये उसका खोया हुआ बेटा है। इतने सालों का दर्द, इंतजार और मायूसी एक ही पल में खुशी में बदल गई। प्रिया ने सोनू को कसकर गले लगा लिया। आसपास के लोग यह दृश्य देखकर हैरान थे, कई की आंखें भी नम हो गईं। प्रिया ने तुरंत अपने पति रोहित को फोन किया और रोते हुए कहा, “रोहित, सोनू मिल गया! हमारा बेटा मिल गया!”
रोहित ऑफिस से भागता हुआ उस जगह पहुंचा। उसने भी सोनू को गले लगाया, दोनों की आंखों में आंसू थे। सोनू अब भी थोड़ा सहमा हुआ था, लेकिन मां-बाप की ममता ने उसके सारे डर को दूर कर दिया। उस दिन उस परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वे सोनू को घर ले गए, अच्छे कपड़े पहनाए, खाना खिलाया और उसके सारे घावों पर मरहम लगाया।
सोनू ने अपनी मां को बताया कि कैसे वह भीड़ में खो गया था, फिर किसी ने उसे सड़क पर छोड़ दिया, और वह छोटे-छोटे काम करके, भीख मांगकर जिंदा रहा। लेकिन उसके दिल में हमेशा मां-बाप की याद थी। प्रिया ने उसे सीने से लगाकर कहा, “अब तुम कभी हमसे दूर नहीं जाओगे।”
यह कहानी हमें सिखाती है कि मां-बेटे का रिश्ता कभी खत्म नहीं होता। चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, सालों बीत जाएं, ममता हमेशा अपने बच्चे को ढूंढ ही लेती है। अगर आपके दिल को यह कहानी छू गई हो, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। और हमारे चैनल को लाइक और सब्सक्राइब जरूर करें, ताकि ऐसी और कहानियां आप तक पहुंचती रहें।
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