जब Inspector ने मटका बेचने वाली लड़की की मटके तोड़ दिए फिर लड़की ने इंस्पेक्टर के साथ…

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सुबह का समय था, और सूरज की पहली किरणें आसमान में फैलने लगी थीं। एक छोटे से कस्बे में, ममता सिंह अपने पुराने ठेले पर मटके सजाकर बेच रही थी। ममता का सपना था कि उसकी छोटी बहन आलिया एक दिन डॉक्टर बने। वह अपनी बहन की पढ़ाई का सारा खर्च उठाने के लिए मेहनत कर रही थी। आलिया कॉलेज में पढ़ाई कर रही थी और उसने एक लड़के, रंजीत वर्मा, से प्यार कर लिया था। रंजीत एक डीएसपी बन गया था और दोनों का रिश्ता गहरा हो गया था।

ममता रोज की तरह अपने ठेले पर मटके सजाकर बैठी थी, तभी एक मोटरसाइकिल पर इंस्पेक्टर विक्रम सिंह वहां आया। उसने ममता को घूरते हुए कहा, “ओ लड़की, जल्दी से ₹500 निकाल।” ममता घबरा गई और कांपती आवाज में बोली, “सर, किस बात के ₹500? मैंने क्या किया है?” विक्रम ने गुस्से में कहा, “तूने बिना इजाजत के यहां ठेला लगाया है। तुझे पता नहीं, मैं हफ्ता लेता हूं। जल्दी निकाल ₹500।” ममता के चेहरे पर डर साफ झलक रहा था। उसने कहा, “मेरे पास अभी ₹500 नहीं हैं। मैंने अभी-अभी ठेला लगाया है। शाम को जो भी कमाई होगी, उसमें से दे दूंगी।”

जब Inspector ने मटका बेचने वाली लड़की की मटके तोड़ दिए फिर लड़की ने  इंस्पेक्टर के साथ...

विक्रम और भड़क गया और उसने ममता के ठेले पर लात मारी। सारे मटके टूटकर गिर गए। ममता ने हाथ जोड़कर कहा, “साहब, प्लीज माफ कर दीजिए। बहुत बड़ा नुकसान हो गया।” लेकिन विक्रम ने उसकी एक जोरदार थप्पड़ जड़ दी, जिससे ममता जमीन पर गिर पड़ी। वह रोते-रोते अपने टूटे मटके इकट्ठा करने लगी। आसपास लोग खड़े होकर तमाशा देख रहे थे, लेकिन कोई भी आगे बढ़कर मदद करने को तैयार नहीं था। ममता की आंखों में आंसू थे और वह सोच रही थी कि उसकी बहन आलिया इस बारे में क्या सोचेगी।

जब ममता घर पहुंची, तो उसने तुरंत आलिया को कॉल किया। आलिया ने जैसे ही कॉल उठाई, ममता की आवाज सुनकर समझ गई कि कुछ गड़बड़ है। ममता ने रोते हुए सारी घटना बताई। आलिया के रगों में खून दौड़ गया। वह गुस्से से भरी हुई बोली, “दीदी, मैं उसे नहीं छोड़ूंगी। वह जो कुछ भी किया है बहुत गलत है।” आलिया ने ठान लिया कि वह इंस्पेक्टर विक्रम सिंह से बदला लेगी।

अगले दिन, आलिया ने उस जगह पर जाने का फैसला किया जहां उसकी बहन ममता मटके बेचती थी। उसने वहां एक छुपा हुआ कैमरा लगा दिया ताकि इंस्पेक्टर की हरकतें रिकॉर्ड हो सकें। कुछ देर बाद, विक्रम वहां आया और आलिया को देखकर गुस्से में बोला, “तू कौन है? यहां क्यों ठेला लगाई है?” आलिया ने कहा, “मैं ममता की बहन हूं। आपने मेरी बहन के साथ जो किया, मैं उसे बर्दाश्त नहीं करूंगी।” विक्रम ने गुस्से में कहा, “जल्दी हट जा, वरना तेरा भी वही हाल होगा जो तेरी बहन का हुआ।”

 

आलिया ने मन ही मन सोचा कि अब उसके पास पर्याप्त सबूत हैं। उसने कहा, “ठीक है, मैं जा रही हूं।” यह कहकर आलिया ठेला समेटकर घर लौट आई। घर पहुंचते ही उसने कैमरे की रिकॉर्डिंग चेक की। सब कुछ ठीक था। अब उसे अपने होने वाले पति, डीएसपी रंजीत वर्मा, को इस बारे में बताना था।

आलिया रंजीत के ऑफिस पहुंची और उसे सारी घटना बताई। रंजीत ने कहा, “आप चिंता मत कीजिए। मैं इस इंस्पेक्टर को सजा दिलाकर रहूंगा।” अगले दिन, रंजीत ने आईपीएस आकाश सिंह से संपर्क किया और उसे सबूत दिखाए। आकाश सिंह ने भी गुस्से में कहा, “इस इंस्पेक्टर ने कानून का उल्लंघन किया है। मैं इसे नहीं छोड़ूंगा।”

आकाश सिंह ने मामले को कोर्ट में ले जाने का फैसला किया। उन्होंने इंस्पेक्टर विक्रम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट तैयार की और सबूतों के साथ कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। सरकारी वकील ने कहा, “यह मामला सिर्फ एक इंसान का नहीं, बल्कि वर्दी की इज्जत का है।” उन्होंने वीडियो फुटेज दिखाया, जिसमें इंस्पेक्टर विक्रम ममता से पैसे मांगता हुआ और उसके ठेले को तोड़ता हुआ नजर आ रहा था।

कोर्ट में माहौल गंभीर हो गया। ममता और आलिया ने अपनी गवाही दी। ममता कांपते हुए बोली, “उसने मुझसे पैसे मांगे और थप्पड़ मारा।” आलिया ने कहा, “मैंने कैमरा इसलिए लगाया था क्योंकि मुझे शक था कि यह इंस्पेक्टर गरीबों से पैसे वसूल करता है।” डीएसपी रंजीत ने भी गवाही दी और कहा, “मैंने जब यह रिकॉर्डिंग देखी, तो मैं खुद हैरान रह गया।”

कोर्ट में एक दुकानदार को भी गवाह के तौर पर बुलाया गया। उसने कहा, “मैंने खुद देखा है कि यह इंस्पेक्टर गरीबों को परेशान करता था।” सरकारी वकील ने जज से कहा, “यह अपराध ना केवल एक महिला के सम्मान पर हमला है बल्कि कानून की वर्दी पर भी दाग है।” जज ने कहा, “अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी इंस्पेक्टर विक्रम सिंह दोषी है।”

जज ने आदेश पढ़ा, “इंस्पेक्टर विक्रम सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। उसे भ्रष्टाचार, बल प्रयोग और महिला उत्पीड़न के आरोप में 3 साल की सजा और जुर्माने के साथ जेल भेजा जाता है।” कोर्ट रूम में सन्नाटा छा गया। विक्रम सिंह को हथकड़ी लगाकर बाहर ले जाया गया। ममता और आलिया की आंखों में आंसू थे, लेकिन इस बार वह आंसू डर के नहीं, बल्कि सुकून के थे।

कोर्ट के बाहर भीड़ ताली बजाने लगी। लोग कहने लगे, “अब गरीबों की आवाज भी सुनी जाएगी।” डॉक्टर आलिया ने आसमान की तरफ देखा और कहा, “आज मेरी बहन का दर्द व्यर्थ नहीं गया। आज इंसाफ हुआ।” यह घटना हर किसी के लिए एक मिसाल बन गई कि अगर हम चुप नहीं रहते और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तो हमें इंसाफ मिल सकता है।

दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कभी भी अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। अगर हमारे साथ कोई अन्याय करता है, तो हमें उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। चुप रहना सही नहीं है। अगर आपको यह कहानी पसंद आई है, तो कृपया इसे लाइक करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।