बॉलीवुड अभिनेता असरानी का अंतिम संस्कार! Asrani Last Journey And Funeral Complete Video

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बॉलीवुड के मशहूर कॉमेडियन आशरानी का निधन: एक युग का अंत

20 अक्टूबर 2025 को मुंबई में हिंदी सिनेमा के एक चमकते सितारे, मशहूर कॉमेडियन गोवर्धन असरानी, जिन्हें हम सब प्यार से ‘आशरानी’ के नाम से जानते थे, ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मौत की खबर ने पूरे फिल्म जगत को शोक में डुबो दिया। आशरानी का जाना केवल एक कलाकार का जाना नहीं था, बल्कि एक युग का अंत था जिसने बॉलीवुड को अपनी हंसी और कॉमेडी से रोशन किया।

शुरुआती जीवन और संघर्ष

गोवर्धन असरानी का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ था। बचपन से ही उन्हें नाटक और थिएटर में गहरी रुचि थी। स्कूल के फंक्शन में पहली बार स्टेज पर अभिनय करने के बाद उन्हें अपनी प्रतिभा का एहसास हुआ और उन्होंने तय किया कि वे मुंबई जाकर फिल्मों में अपना करियर बनाएंगे।

मुंबई आने के बाद उनका सफर आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में ना तो पैसे थे और ना ही कोई पहचान। कई बार उन्होंने काम के लिए दरवाजे खटखटाए, लेकिन कई बार लोग उन्हें हंसाकर टाल देते थे। लेकिन उनकी लगन और जिद ने उन्हें हार मानने नहीं दिया। धीरे-धीरे छोटे-छोटे रोल मिलने लगे और उनकी कॉमेडी टाइमिंग ने लोगों का ध्यान खींचा।

बॉलीवुड में पहचान

70 के दशक में आशरानी ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी कॉमेडी इतनी नेचुरल और प्रभावशाली थी कि डायरेक्टर उन्हें हर फिल्म में लेना पसंद करते थे। उनकी सबसे यादगार भूमिका फिल्म ‘शोले’ में जेलर की थी। “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं” जैसे डायलॉग आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं।

राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र जैसे दिग्गज कलाकारों के साथ काम करते हुए उन्होंने अपनी कला का लोहा मनवाया। हर किरदार में चाहे वह सहायक हो, दोस्ताना या कॉमेडियन, उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।

कॉमेडी की कला और विनम्रता

आशरानी की खासियत थी उनका खुद का अनोखा स्टाइल। वे किसी को कॉपी नहीं करते थे और उनका कॉमिक अंदाज इतना सजीव था कि लगता था जैसे वे खुद ही वह किरदार हैं। सेट पर उनकी मौजूदगी से माहौल हल्का हो जाता था और जूनियर कलाकार भी उनसे डरते नहीं बल्कि उन्हें अपना साथी समझते थे।

उनकी विनम्रता और दोस्ताना स्वभाव ने उन्हें इंडस्ट्री में लंबे समय तक टिकाए रखा। वे हमेशा कहते थे, “कलाकार वही जो सबको खुश कर सके।”

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जीवन के उतार-चढ़ाव

समय के साथ फिल्मों में नए चेहरे आए और पुराने कलाकारों की जगह कम होने लगी। आशरानी ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने टीवी शो में काम किया और छोटे किरदार निभाए। हर बार कुछ नया देने की कोशिश की।

उनका जाना केवल एक अभिनेता का जाना नहीं था, बल्कि एक ऐसे इंसान का जाना था जिसने लोगों को जीना और हंसना सिखाया। उनकी हंसी और जिंदादिली ने कई लोगों के जीवन में खुशियों की किरणें बिखेरीं।

अंतिम दिनों की खबर

पिछले कुछ दिनों से आशरानी की तबीयत खराब थी। उन्हें मुंबई के जूहू स्थित भारतीय आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रिपोर्ट के अनुसार उनके फेफड़ों में पानी जमा हो गया था, जिससे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों की लगातार देखभाल के बावजूद दोपहर के वक्त उन्होंने अंतिम सांस ली।

बॉलीवुड और फैंस का शोक

उनके निधन की खबर ने बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ा दी। अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा, “पिछले हफ्ते ही मुलाकात हुई थी, यकीन नहीं हो रहा कि अब वो नहीं हैं।” अमिताभ बच्चन ने कहा, “एक और साथी चला गया जिसने सिनेमा को खुशियों से भरा।” धर्मेंद्र ने कहा, “आशरानी जैसा कलाकार दोबारा नहीं होगा।”

फैंस ने भी सोशल मीडिया पर उनके डायलॉग्स और वीडियो क्लिप्स शेयर कर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। बचपन की हंसी उनके साथ चली गई, यह कहकर वे दुख प्रकट कर रहे थे।

अंतिम संस्कार और विदाई

आशरानी का अंतिम संस्कार मुंबई के सांता क्रूज श्मशान घाट में बहुत सादगी से किया गया। परिवार और करीबी दोस्त ही मौजूद थे। कोई बैंड बाजा या मीडिया का तामझाम नहीं था। उनकी इच्छा थी कि उनकी विदाई भी उनकी जिंदगी की तरह सरल और सादगी भरी हो।

उनके परिवार ने बताया कि आशरानी हमेशा कहते थे, “इंसान जितना सादा रहेगा, उतना ही बड़ा रहेगा।” उन्होंने अपने जीवन में यही साबित किया।

उनकी विरासत

आशरानी ने सिर्फ फिल्मों में काम नहीं किया, बल्कि एक युग रचा। उन्होंने यह दिखाया कि कॉमेडी सिर्फ मजाक नहीं होती, बल्कि एक कला है जो लोगों के दुख में रोशनी भर सकती है।

उनके जाने के बाद जो खालीपन आया है, उसे भरना आसान नहीं है। लेकिन उनकी यादें, उनकी हंसी, उनका अंदाज हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।

निष्कर्ष

गोवर्धन असरानी यानी आशरानी का जाना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा नुकसान है। वे सिर्फ एक कलाकार नहीं थे, बल्कि एक दौर थे जिन्होंने हर घर में खुशियां पहुंचाईं। उनकी कॉमेडी ने लोगों को न केवल हंसाया, बल्कि जीना भी सिखाया।

उनकी आखिरी इच्छा थी कि लोग उनके जाने पर रोएं नहीं, बल्कि हंसें और एक-दूसरे से कहें कि आशरानी ने सिखाया है कि जिंदगी में चाहे कुछ भी हो, हंसते रहो। यही उनकी सबसे बड़ी विरासत है।

आज जब भी कोई उनकी पुरानी फिल्में देखता है, तो उनके डायलॉग्स और हंसी को याद करता है। आशरानी का नाम और उनकी कला सदैव याद रखी जाएगी, क्योंकि उन्होंने जो छोड़कर गए, वह किसी भी कलाकार की सबसे बड़ी अमृता है।