भिखारी लड़की ने करोड़पति जज की जान बचाई – सच ने सबको हिला दिया!

बारिश, जज और भिखारी लड़की की कहानी 

बारिश लगातार हो रही थी। आसमान से गिरती बूंदों ने पूरे कोर्ट परिसर को गीली चादर में लपेट लिया था। लोग अपनी फाइलें और छतरियां सिर पर लेकर इधर-उधर भाग रहे थे। इसी भीड़ के बीच एक छोटी, दुबली सी लड़की फटे पुराने कपड़ों में खड़ी थी। उसके बाल भीगकर चेहरे से चिपक गए थे, पैरों में चप्पल भी नहीं थी। ठंड और बारिश से कांपती वह लड़की सबको अनदेखा कर रही थी, उसकी निगाहें कोर्ट के मुख्य द्वार पर टिकी थीं।

तभी एक बड़ी चमचमाती कार आकर रुकी। उसमें से करोड़पति जज उतरे। उनका सूट, चमड़े का बैग और पीछे चल रहे सुरक्षाकर्मी – सब कुछ बेहद व्यवस्थित था। जज की चाल में आत्मविश्वास था, लेकिन उनकी आंखों में कोर्ट की अहम सुनवाई की चिंता थी।

जैसे ही जज सीढ़ियों की ओर बढ़े, लड़की अचानक उनके रास्ते में आ खड़ी हुई। उसके चेहरे पर डर, गुस्सा और हिम्मत – तीनों भाव एक साथ थे। उसकी आवाज तेज बारिश और शोरगुल के बावजूद गूंज उठी, “अंदर मत जाना, वो झर देंगे!” सुरक्षाकर्मी हैरान रह गए। उन्होंने लड़की को हटाने की कोशिश की, लेकिन लड़की अपनी जगह डटी रही। दोनों हाथ फैलाकर जैसे अपने शरीर से जज का रास्ता रोक रही थी। उसकी आंखें जज की आंखों में थीं – उनमें सच्चाई और घबराहट साफ दिख रही थी।

जज अचानक रुक गए। उनके माथे पर सिलवटें आ गईं। उन्होंने लड़की को ध्यान से देखा। उनके मन में सवाल उठा – ये कौन है? इसे सब कैसे पता? लड़की का चेहरा भीड़ में अजनबी था, लेकिन उसकी आवाज में ऐसा डर था जैसे उसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा हो।

बारिश की बूंदें उसकी पलकों से गिर रही थीं। लड़की कांपती आवाज में फिर बोली, “कृपया अंदर मत जाइए।” इस बार उसकी आवाज में चीख नहीं, बल्कि डर और प्रार्थना थी। जज ने अपने कदम रोक लिए। सुरक्षाकर्मी चुपचाप उनकी ओर देखने लगे। भीड़ में हर किसी को लग रहा था कि कुछ बड़ा होने वाला है।

जज ने लड़की से पूछा, “तुम्हें यह सब किसने बताया? तुम मुझे क्यों रोक रही हो?” लड़की ने घबराते हुए इधर-उधर देखा और धीरे से कहा, “मैंने अपने कानों से सुना है। आपकी चाय में जहर मिलाया गया है। वह लोग आपका इंतजार कर रहे हैं।” उसकी आवाज थरथरा रही थी। जज का चेहरा पल भर को सफेद पड़ गया। उन्होंने सोचा – यह लड़की कौन है और उसे इतना यकीन कैसे है?

पीछे खड़ा एक सुरक्षा अधिकारी बोला, “सर, यह ध्यान खींचने की कोशिश कर रही है। हमें इसे हटाना चाहिए।” लेकिन जज अभी भी लड़की को देख रहे थे। उन्होंने उसकी आंखों में वही डर देखा जो किसी मासूम को सच में खतरे का एहसास होने पर आता है।

बारिश और तेज हो गई थी। लड़की ने कांपती आवाज में फिर कहा, “कृपया मत जाइए। मैं झूठ नहीं बोल रही।” जज ने गहरी सांस ली और बोले, “ठीक है, मैं खुद देखूंगा।” उन्होंने सुरक्षाकर्मियों को इशारा किया कि लड़की को वहीं छोड़ दें।

जज धीरे-धीरे सीढ़ियों की ओर बढ़े, लेकिन उनके मन में लड़की की आवाज गूंज रही थी – “वो झर देंगे!” कोर्ट के अंदर का माहौल भारी और तनावपूर्ण था। जज अपने चेंबर में पहुंचे तो सामने चाय और स्नैक्स पहले से सजे थे। स्टाफ ने उनका स्वागत किया और फाइलों पर चर्चा शुरू कर दी। लेकिन जज की नजर बार-बार चाय के कप पर जा रही थी। लड़की की चेतावनी उनके कानों में गूंज रही थी।

आखिरकार, जज ने धीरे से चाय का कप उठाया, होठों तक लाए लेकिन रुक गए। उन्होंने अपने सुरक्षा अधिकारी को इशारा किया – “इस चाय को टेस्ट करो।” सुरक्षा अधिकारी चौंका, लेकिन आदेश मान लिया। उसने कप का एक घूंट लिया, और अचानक उसका चेहरा बिगड़ गया। वह गिरते-गिरते बचा, बाकी स्टाफ ने उसे पकड़ लिया। कप जमीन पर गिरते ही चाय फैल गई और कमरे में तेज गंध भर गई।

कमरा अफरातफरी में बदल गया। डॉक्टर को बुलाने की आवाजें आने लगीं। जज के चेहरे पर गुस्सा और हैरानी थी – लड़की सच कह रही थी। किसी ने सचमुच उनकी जान लेने की कोशिश की थी। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और जहरीले कप को सबूत के तौर पर उठाया। जज चुपचाप खड़े रहे। उनकी उंगलियां कांप रही थीं, लेकिन मन में एक ही सवाल था – वह भिखारी लड़की कौन थी और उसे यह सब कैसे पता चला?

रात गहरी हो चुकी थी। कोर्ट के बाहर सड़कें सुनसान थीं। जज अपनी कार से उतरे और उसी जगह पहुंचे जहां सुबह वह लड़की उनसे टकराई थी। वहीं टूटी दीवार, गंदे प्लास्टिक के शेड, और वहीं बैठी लड़की – हाथों में पुरानी रजाई समेटे।

जज धीरे-धीरे उसके पास गए। लड़की ने सिर उठाया, आंखों में डर, थकान और इस बार हल्का संतोष भी था। जज उसके सामने झुक गए और बोले, “तुमने आज मेरी जान बचाई। बताओ तुम्हें यह सब कैसे पता चला?” लड़की कुछ देर चुप रही, फिर बोली, “मैं वहां काम करती थी, उसी रसोई में जहां आपकी चाय तैयार होती है। मैंने अपनी आंखों से देखा कि उन्होंने उसमें कुछ मिलाया। मुझे पता था अगर मैं नहीं बताऊंगी तो आप…” उसकी आवाज टूट गई। “मैं भागी, किसी ने देखा नहीं और मैं यहां आकर आपको रोकने लगी।”

जज ने उसके कांपते हाथों को पकड़ लिया। उनकी आंखें भर आईं। “तुम्हारे पास कुछ नहीं है, फिर भी इतनी हिम्मत दिखाई। तुम्हें पता है अगर तुम झूठी साबित होती तो?” लड़की हल्की मुस्कान के साथ बोली, “सच बोलने से डर नहीं लगता, साहब।”

जज कुछ क्षण चुप रहे, फिर बोले, “तुम अकेली नहीं हो। कल से तुम्हारी नई जिंदगी शुरू होगी। पढ़ाई, रहना – सब मेरी जिम्मेदारी। तुम जहां थी, वहां अब वापस नहीं जाओगी।” लड़की की आंखों में पहली बार उम्मीद की हल्की चमक आई। बारिश थम चुकी थी, लेकिन हवा में एक नई ताजगी थी। जज ने कार का दरवाजा खोला और कहा, “चलो, घर चलते हैं।”

उस पल दोनों के बीच एक नया रिश्ता बन चुका था – न्याय और इंसानियत का।

सीख:
कभी-कभी सबसे कमजोर दिखने वाले लोग सबसे बड़ी हिम्मत दिखाते हैं। इंसानियत और न्याय की राह पर चलना ही असली जीत है।