MP Khajuraho Resort Tragedy News : आलू-गोभी ने ली जान? मोदी-मोहन के पोस्टर फाड़े

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मध्य प्रदेश के खुजुराहो रिसोर्ट त्रासदी: आलू-गोभी ने ली तीन लोगों की जान, जनता में भारी आक्रोश

MP Khajuraho Resort Tragedy News : आलू-गोभी ने ली जान? मोदी-मोहन के पोस्टर  फाड़े | Dharmendra Singh

मध्य प्रदेश के खुजुराहो से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह खबर है गौतम रिसोर्ट की, जहां तीन कर्मचारियों की मौत हो गई। मौत का कारण फूड पॉयजनिंग माना जा रहा है, जिसमें आलू-गोभी की सब्जी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। इस घटना ने स्थानीय जनता में भारी आक्रोश फैला दिया है, इतना कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के पोस्टर तक फाड़ दिए। इस खबर की गंभीरता और इसके पीछे छुपे सवालों को समझना बेहद जरूरी है।

घटना का संक्षिप्त विवरण

खुजुराहो, जो अपने ऐतिहासिक मंदिरों और पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध है, वहां स्थित गौतम रिसोर्ट में सोमवार शाम करीब 5 बजे भोजन के बाद कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ने लगी। उल्टियां, चक्कर और घबराहट के लक्षण दिखे। आनन-फानन में उन्हें खुजुराहो और फिर ग्वालियर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। लेकिन दुर्भाग्यवश, एक व्यक्ति की मौत वहीं हो गई, जबकि दो अन्य ने रास्ते में दम तोड़ दिया। इसके अलावा कई कर्मचारी गंभीर हालत में वेंटिलेटर पर हैं।

मुआवजे की स्थिति और प्रशासनिक प्रतिक्रिया

घटना के तुरंत बाद कलेक्टर पार्थ जयसवाल मौके पर पहुंचे और मृतकों के परिजनों को मात्र ₹2000 का तत्काल मुआवजा दिया गया। इसके अलावा अंतिम संस्कार के लिए ₹5000 से ₹5500 की राशि दी गई। हालांकि बाद में मुआवजे की रकम बढ़ाने की बात चल रही है, जिसमें चार लाख तक की राशि स्वीकृत की जा सकती है। लेकिन इस मामूली राशि को देखकर स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं और इसे मृतकों के प्रति उपेक्षा मान रहे हैं।

जनता का आक्रोश और राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद जनता का गुस्सा फूट पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के पोस्टर फाड़े गए। यह घटना उस समय हुई जब खुजुराहो में मध्य प्रदेश की कैबिनेट की बैठक चल रही थी। कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ट्वीट कर इस घटना की निंदा की और कहा कि सत्ता के महलों में बैठे मंत्री मौन साधे हुए हैं जबकि आम लोगों की जान जा रही है। उन्होंने सरकार की असंवेदनशीलता को शर्मनाक बताया।

सुरक्षा मानकों पर सवाल

यह सवाल उठता है कि जिस रिसोर्ट में यह घटना हुई, वहां सुरक्षा मानकों का कितना ध्यान रखा गया था। रिसोर्ट के मालिक गौतम विनोद कुमार गौतम बेल्जियम में रहते हैं। रिसोर्ट में काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों के लिए भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर क्या ध्यान दिया गया था? क्या रिसोर्ट में खाद्य सुरक्षा नियमों का पालन किया जा रहा था?

देश में बढ़ती खाद्य सुरक्षा की समस्या

यह कोई अकेली घटना नहीं है। देशभर में भोजन से संबंधित कई दुर्घटनाएं सामने आती रहती हैं। कुछ दिन पहले गोवा में एक अग्निकांड में 25 लोगों की मौत हुई, जहां पब के मालिकों ने घटना के बाद देश छोड़कर विदेश भागना पसंद किया। इस तरह की घटनाएं देश में खाद्य सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की गंभीर कमी को दर्शाती हैं।

मुआवजे की रकम और सरकारी जवाबदेही

मृतकों के परिजनों को दिए गए ₹2000 के मुआवजे ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं है? सरकारी स्तर पर मुआवजे की राशि इतनी कम क्यों है? क्या यह राशि मृतकों के परिवार के लिए पर्याप्त है? क्या प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले रहा है या केवल दिखावे के लिए कार्रवाई कर रहा है?

मीडिया और सोशल मीडिया में प्रतिक्रिया

भास्कर समेत कई मीडिया हाउस ने इस घटना को प्रमुखता से उठाया है। सोशल मीडिया पर भी लोग इस घटना को लेकर आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बड़े रिसोर्ट और होटल्स में खाने की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर कोई नियंत्रण है? क्या सरकार और प्रशासन इस दिशा में उचित कदम उठा रहे हैं?

भोजन की गुणवत्ता और उपभोक्ता जागरूकता

आज के समय में जब लोग बाहर खाने को प्राथमिकता देते हैं, तो भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। कई बार देखा गया है कि बड़े होटल और रिसोर्ट में भी भोजन में मिलावट, खराब सामग्री और साफ-सफाई की कमी होती है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकता है।

आम जनता के लिए सुझाव

बाहर का खाना खाने में सतर्कता बरतें।
छोटे और भरोसेमंद ठेले या ढाबों से ही भोजन करें।
खाने की ताजगी और साफ-सफाई पर ध्यान दें।
यदि किसी भोजन से अस्वस्थता महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
खाद्य सुरक्षा के नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय प्रशासन से शिकायत करें।

निष्कर्ष

खुजुराहो रिसोर्ट की यह त्रासदी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे देश में खाद्य सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही कितनी कमजोर है। आम आदमी की जान की कीमत क्या है? क्या बड़े-बड़े होटल और रिसोर्ट में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को नजरअंदाज किया जा सकता है? क्या सरकार और प्रशासन इस दिशा में गंभीर हैं?

यह घटना हमें जागरूक करती है कि हमें अपने खाने-पीने की चीजों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और प्रशासन से भी मांग करनी चाहिए कि वे खाद्य सुरक्षा के नियमों को कड़ाई से लागू करें। साथ ही, मृतकों के परिवारों के प्रति उचित मुआवजा और सम्मान दिया जाना चाहिए।

आपका क्या विचार है? क्या आपको लगता है कि इस घटना में प्रशासन की भूमिका पर्याप्त रही? क्या आम जनता की जान की कीमत सही तरीके से आंकी जा रही है? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि ऐसी घटनाओं पर समाज का ध्यान जाए।