कहानी सारांश: 12 साल बाद उज्जैन महाकाल मंदिर में पत्नी से पुनर्मिलन का चमत्कार

मुख्य पात्र:

रमेश (मुंबई निवासी)
रानी (रमेश की पत्नी, ब्राह्मण परिवार)

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प्रेम कहानी और शादी

कॉलेज में पढ़ते हुए रमेश और रानी को प्यार हुआ।
परिवार विरोधी थे, लेकिन बाबा महाकाल की कृपा से शादी हो गई।
शादी के बाद रमेश-रानी ने बाबा महाकाल से दर्शन की मन्नत मांगी थी, लेकिन भूल गए।

पहली यात्रा उज्जैन

डेढ़ साल बाद सपना देखकर दोनों उज्जैन पहुंचे।
महाकाल मंदिर, शिप्रा नदी, काल भैरव, चिंतामणि गणपति के दर्शन किए।
मन्नत पूरी की, माफी मांगी।

दुर्घटना: नर्मदा नदी में बह गई रानी

महेश्वर घूमने गए, नर्मदा नदी के किनारे पहुंचे।
अचानक पानी का बहाव तेज हुआ, दोनों फंस गए।
गांववालों ने बचाने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ रमेश बच पाया।
रानी बह गई, खोजने पर भी नहीं मिली।
रमेश का जीवन दुख में बीता, दूसरी शादी नहीं की।

12 साल बाद फिर उज्जैन यात्रा

2023, सावन में बाबा महाकाल ने सपने में बुलाया।
रमेश अकेले उज्जैन गया, मंदिर में दर्शन किए।
बाहर साधुओं की कतार में एक साध्वी दिखी।
साध्वी के हाथों पर वही जलने का निशान था जो रानी के हाथों पर था।
रमेश ने पहचान लिया, साध्वी ने पहले इनकार किया, फिर याददाश्त लौटी।
साध्वी यानी रानी ने बताया कि नदी में बहने के बाद किसी महिला ने बचाया, इलाज कराया, सब भूल गई थी।
बाबा महाकाल की भक्ति में साध्वी बन गई।

पुनर्मिलन का चमत्कार

रमेश ने फोटो दिखाए, रानी ने पहचान लिया।
दोनों गले लगकर फूट-फूट कर रोए।
मंदिर में मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं।
बाबा महाकाल की कृपा से 12 साल बाद पति-पत्नी का पुनर्मिलन हुआ।

सीख और संदेश

सच्चा प्रेम, श्रद्धा और विश्वास कभी हारता नहीं।
बाबा महाकाल अपने भक्तों की हर मन्नत पूरी करते हैं।
बिछड़े हुए भी मिल जाते हैं, चमत्कार होते हैं।

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अकाल मृत्यु वो मरे जो कर्म करे चांडाल का,
काल उसका क्या बिगाड़े जो भक्त हो महाकाल का।
जय श्री महाकाल!