“पति आईपीएस बनकर लौटा, पत्नी स्टेशन पर चाय बेच रही थी; आगे जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया!”

पति आईपीएस बनकर लौटा, पत्नी स्टेशन पर चाय बेच रही थी; आगे जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया!

दिल्ली के प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर एक महिला, जिसका नाम कविता था, तेजी से ग्राहकों को चाय के गिलास थमा रही थी। उसका चेहरा थकान से भरा था, लेकिन हाथ लगातार काम में लगे हुए थे। उसी समय एक लंबी ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आकर रुकी। उसमें से एक लंबा-चौड़ा आदमी उतरा। उसकी आंखों में आत्मविश्वास था और चाल में तेजी।

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कंधे पर बैग लटकाए वह सीधे चाय की दुकान की तरफ बढ़ा। कविता ने उसकी ओर देखा, लेकिन चेहरे पर कोई भाव नहीं आया। उसने गिलास में चाय डाली और कहा, “लो जी चाय पी लो, ₹10 का गिलास है। सबसे सस्ता।”

वह आदमी चाय का गिलास लेकर धीरे से बोला, “कविता, मैं हूं रोहन। तुम्हारा पति।” कविता ने बिना पलक झपकाए उसकी आंखों में देखते हुए कहा, “गलत पहचान है आपकी। मेरा कोई पति नहीं है। और अगर होता भी तो इस तरह स्टेशन पर आकर खुद को साबित नहीं करता।”

रोहन ने गुस्से में कहा, “तुम मुझे पहचानने से इंकार कर रही हो? यह नाटक बंद करो कविता। मैं सात साल बाद लौटा हूं, आईपीएस बनकर तुम्हारे लिए।”

कविता ने ठंडी आवाज में कहा, “सात साल? सात साल तक तुम्हारा कोई पता नहीं था। ना फोन, ना चिट्ठी। तुम्हें मेरी याद तब आई जब तुमने वर्दी पहन ली। और सुनो, यहां भीड़ है। बेकार का तमाशा मत बनाओ।”

रोहन का चेहरा लाल हो गया। उसने गुस्से में कविता का हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन कविता ने उसे झटक दिया। उसने कहा, “मुझे कहीं नहीं जाना। मेरा काम है और काम के वक्त फालतू बातें करने का समय नहीं।”

रोहन ने प्लेटफॉर्म पर खड़े लोगों को अनदेखा करते हुए कविता को खींचकर पुराने वेटिंग रूम में ले जाने की कोशिश की। लेकिन वहां तैनात रेलवे पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया।

कविता ने भीड़ के सामने कहा, “वीडियो बनाओ, फोटो खींचो। ताकि सबको पता चले कि यह आदमी जो खुद को मेरा पति बताता है, कैसे मुझे जबरदस्ती अंदर ले गया।”

आखिरकार मामला थाने पहुंचा। वहां रोहन ने दावा किया कि कविता उसकी पत्नी है, लेकिन कविता ने साफ इंकार कर दिया। उसने कहा, “अगर तुम मेरे पति हो, तो सबूत लेकर आओ। सात साल तक गायब रहने वाले आदमी की जगह मेरी जिंदगी में अब नहीं है।”

थाने में दोनों पक्षों के बयान लिए गए और मामला अदालत में पहुंचा। अदालत ने फैसला सुनाया कि रोहन और कविता पति-पत्नी नहीं हैं। रोहन की असली पत्नी उसे पहले ही छोड़ चुकी थी और अब वह कविता को अपनी पत्नी साबित करने की कोशिश कर रहा था।

यह कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी रिश्ते में विश्वास और सम्मान सबसे महत्वपूर्ण है। जब ये टूट जाते हैं, तो कोई भी रिश्ता टिक नहीं सकता। कविता ने अपनी हिम्मत और आत्मसम्मान से यह साबित कर दिया कि वह किसी की वर्दी के आगे झुकने वाली नहीं है।